इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शादी का झूठा वादा कर एक महिला के साथ रेप और फिर जबरन धर्म परिवर्तन कराने के आरोपित को जमानत देने से इनकार कर दिया है। न्यायमूर्ति ओम प्रकाश त्रिपाठी की बेंच ने फरहान अहमद उर्फ शानू की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि आरोपित के खिलाफ आरोप गंभीर है। उसे जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता है। फरहान ने याचिका दायर करते हुए कहा था कि वह निर्दोष है। उसे ब्लैकमेल करने के उद्देश्य से मामले में झूठा फँसाया गया है।
क्या है पूरा मामला?
जानकारी के मुताबिक पीड़िता फेसबुक के माध्यम से आरोपित के संपर्क में आई। दोनों के बीच बातचीत होने लगी। आरोपित ने खुद को नगर निगम गोरखपुर में टैक्स इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत बताया था। बातचीत के दौरान पीड़िता ने अहमद के सामने शादी का प्रस्ताव रखा था। अहमद ने पीड़िता को शादी का आश्वासन दिया। इसके बाद उसने पीड़िता के साथ शारीरिक संबंध बनाया। जब वह गर्भवती हो गई तो आरोपित ने उस पर गर्भ गिराने के लिए दबाव डाला। इतना ही नहीं, जब पीड़िता ने शादी करने के लिए कहा तो उसने इस्लाम स्वीकारने की शर्त रख दी। उसने कहा कि जब तक वह इस्लाम स्वीकार नहीं कर लेती, वह उससे शादी नहीं करेगा।
उसने पीड़िता के साथ अपमानजनक व्यवहार किया और इस्लाम कबूलने का दवाब डाला। उससे कहा कि धर्म बदले बिना न तो वह उससे शादी करेगा और न ही वह उसे स्वीकार करेगा। साथ ही मार डालने की धमकी भी दी। इसके बाद पीड़िता ने आरोपित के खिलाफ आईपीसी की धारा 376, 504, 506 और यूपी में गैरकानूनी धर्मांतरण का निषेध अधिनियम, 2020 की धारा 3/5 (1) के तहत FIR दर्ज कराई।
आरोपित के वकील का तर्क था कि यह आपसी सहमति का मामला है। दोनों पक्षकार बालिग हैं और गर्भपात का कोई सबूत नहीं है। हालाँकि कोर्ट ने मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए फरहान को जमानत देने से इनकार कर दिया।