इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पॉलिटिकल साइंस विभाग के प्रोफेसर शाहिद अंसारी ने अपनी करतूत से करीब 144 छात्र-छात्राओं और सहकर्मियों के लिए भी कोरोना संक्रमण का खतरा पैदा कर दिया है। दरअसल कुछ महीने पहले विदेश से लौटे इस प्रोफेसर ने तबलीगी जमात के आयोजन में शरीक होने की बात छिपा रखी थी। यह आयोजन निजामुद्दीन के उसी मरकज में हुआ था जो इस वक्त देश में कोरोना संक्रमण का केंद्र बनकर उभरा है।
देश भर में यहॉं से लोगों की तलाश की जा रही है। सरकार ने यहॉं आए लोगों से खुद आगे आकर जॉंच करवाने की अपील भी कर रखी है। लेकिन, इलाहाबाद विवि के प्रोफेसर शाहिद अंसारी पर इसका कोई असर नहीं हुआ। अब मामला सामने आने के बाद प्रोफेसर साहब पूरे परिवार के साथ क्वारंटाइन हो गए हैं। सच्चाई छिपाने को लेकर उन पर मुकदमा भी दर्ज किया गया है।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर भी दिल्ली के निजामुद्दीन तब्लीगी जमात में शामिल हुए थे। उन्हें करेली के महबूबा गेस्ट हाउस में क्वारंटाइटन कर दिया। इसमें खास बात यह भी है कि एयू के करीब 144 छात्र-छात्राएं और कई प्रोफेसर भी इनके संपर्क में आए थे, जिनकी तलाश शुरू हो गई है। pic.twitter.com/T4RXqOhPWW
— Allahabad University Beat (@AubeatMedia) April 9, 2020
प्रोफेसर शाहिद अंसारी के जमात के आयोजन में शामिल होने का खुलासा बुधवार की रात हुआ। इंटेलीजेंस की सूचना पर गोविंदपुर मेहदौरी कॉलोनी स्थित उनके घर पुलिस पहुॅंची। स्वास्थ्य विभाग की टीम की सहायता से प्रोफेसर, उनकी पत्नी और गोद लिए हुए एक बच्चे को करेली के महबूबा गेस्ट हाउस में क्वारंटाइन कराया गया। एसपी सिटी ने बताया कि तथ्य छिपाने के आरोप में प्रोफेसर पर महामारी अधिनियम के तहत शिवकुटी थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है।
इसकी जानकारी मिलते ही आस-पड़ोस में रहने वाले लोगों के साथ ही विश्वविद्यालय में पढ़ने वालों छात्र-छात्राओं के बीच हड़कंप मच गया है। इसके पीछे की वजह ये कि जमात के आयोजन में हिस्सा लेने के बाद प्रोफेसर ने विश्वविद्यालय के करीब 150 छात्र-छात्राओं को पढ़ाया था। विश्वविद्यालय में चल रही परीक्षाओं में उनकी कक्ष नियंत्रण के तौर पर तैनाती थी। विश्वविद्यालय के अन्य प्रोफेसरों सहित शहर के कई प्रमुख लोगों से मुलाकात भी की। अब पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम इन लोगों की तलाश में जुट गई है।
प्रोफेसर शाहिद अंसारी इसी साल इथोपिया गए थे। वहाँ से मार्च में लौटने के बाद दिल्ली में जमात के आयोजन में हिस्सा लिया। इसके बाद 10 मार्च को वह गरीब रथ से प्रयागराज वापस आ गए। चौंकाने वाली बात यह कि इससे पहले पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में प्रोफेसर ने जमात के किसी भी कार्यक्रम में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया था।