सीबीआई प्रमुख के पद से हटाए जा चुके आलोक वर्मा पर विभागीय कार्रवाई की जा सकती है। इसका मुख्य कारण यह है कि उन्हें जब सरकार ने फ़ायर सर्विस, सिविल डिफेन्स और होम गार्ड्स के प्रमुख की ज़िम्मेदारी दी थी, तो उन्होंने ज्वाइन नहीं किया।
आज के ही दिन उन्हें ज्वाइन करना था। अगर विभागीय कार्रवाई में उन्हें दोषी पाया गया तो उनकी पेंशन और उससे सम्बंधित सुविधाएँ ख़त्म की जा सकती है।
10 जनवरी, 2019 को सीबीआई निदेशक पद से हटाए जाने के बाद आलोक वर्मा ने शनिवार को नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया था। उससे पहले प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाले हाई पावर्ड समिति ने आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक पद से हटा कर उनका तबादला फ़ायर सर्विसेज में कर दिया था। इसके बाद वर्मा ने फ़ायर विभाग में चार्ज लेने से इनकार कर दिया और सर्विस से इस्तीफ़ा दे दिया। फरवरी 1, 2017 को सीबीआई डायरेक्टर बनाए गए वर्मा आज (जनवरी 31, 2019) रिटायर होने वाले थे। अपने इस्तीफ़े में उन्होंने कहा:
“मैं अपनी सर्विस 31 जुलाई 2017 को ही पूरी कर चुका था और सिर्फ सीबीआई डायरेक्टर के पद पर कार्यरत था। सिविल डिफेंस, फायर सर्विसेज़ और होमगार्ड का महानिदेशक बनने के लिए तय आयु सीमा को मैं पार कर चुका हूँ।”
बता दें कि सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा और उनके डिप्टी राकेश अस्थाना के बीच हुए विवाद के बाद दोनों को ही पद से हटा दिया गया था। 23 अक्टूबर की आधी रात को केंद्र सरकार ने सीबीआई के भीतर बढ़ते विवाद को लेकर आलोक वर्मा को उनके पद से मुक्त कर लम्बी छुट्टी पर भेज दिया था। इसके करीब ढ़ाई महीने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के इस फ़ैसले को पलटते हुए वर्मा को फिर से बहाल कर दिया था। अदालत ने अपने इस निर्णय में कहा था कि इस मामले में आगे का फैसला चयन समिति करेगी। चयन समिति में प्रधानमंत्री के अलावे नेता प्रतिपक्ष और मुख़्य न्यायाधीश का शामिल होना था। शुक्रवार को हुई समिति की बैठक में मुख़्य न्यायाधीश के प्रतिनिधि के रूप में न्यायमूर्ति एके सीकरी ने भाग लिया था।
1979 बैच के IPS अधिकारी आलोक वर्मा सीबीआई के 27वें निदेशक थे। सीबीआई निदेशक के रूप में उनका कार्यकाल काफी विवादित रहा और राकेश अस्थाना से उनके झगड़े के कारण सीबीआई भी कई दिनों तक सुर्ख़ियों में रही। वर्मा के खिलाफ केंद्रीय सतर्कता आयोग में भ्रष्टाचार संबंधी जाँच भी चल रहा है। वर्मा ने कहा कि उन्होंने सीबीआई की अखंडता बनाए रखने की पूरी कोशिश की लेकिन कुछ लोगों द्वारा इस संस्था को बर्बाद करने की कोशिश की जा रही है।