महाराष्ट्र के अमरावती जिले में पिछले कुछ दिनों से अशांति का महौल है। 12 नवंबर से शुरू हुई हिंसा में अब तक सार्वजनिक एवं निजी संपत्तियों को काफी नुकसान पहुँचा है। शहर में इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया गया है और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए चार दिन का कर्फ्यू भी लगाया गया है। प्रशासन के फैसले के बाद से लोग अपने घरों में बंद हैं।
भाजपा नेता तुषार भारतीय ने इस मामले पर ऑपइंडिया से बातचीत की। उन्होंने बताया, “अभी माहौल शांत है और स्थिति नियंत्रण में है। पुलिस ने तलाशी अभियान शुरू कर दिया है और अब सीसीटीवी कैमरों के जरिए उन बदमाशों की पहचान कर रही है, जो शहर में अराजकता फैलाने और कानून की धज्जियाँ उड़ाने के लिए जिम्मेदार हैं।”
12 नवंबर को हुई घटनाओं का खुलासा करते हुए भाजपा के तुषार भारतीय ने ऑपइंडिया को बताया कि शुक्रवार को रजा अकादमी के नेतृत्व में विरोध मार्च हिंसक होना तय था, क्योंकि कुख्यात समूह का हिंसक घटनाओं में शामिल होने का इतिहास रहा है। भारतीय ने कहा, “विरोध प्रदर्शन हिंसा का रूप लेने जा रहे थे, क्योंकि रजा अकादमी को भावनाओं को भड़काने के लिए जाना जाता है। उनके द्वारा 3 विरोध प्रदर्शनों का आयोजन किया गया था, जिनमें से सभी हिंसा और अराजकता के रूप में सामने आए हैं।”
इस्लामी समूह रजा अकादमी सहित मुस्लिम संगठनों के अनुयायी वही हैं, जो 2012 में मुंबई में आजाद मैदान दंगों के लिए जिम्मेदार थे। इसके साथ ही मुस्लिम शासक टीपू सुल्तान को अपना आदर्श मानने वाले एक कट्टरपंथी समूह के सदस्यों ने एक विरोध रैली में भाग लिया, जिनका उद्देश्य त्रिपुरा में मस्जिदों में कथित तोड़फोड़ की जाँच की माँग को लेकर कलेक्टर कार्यालय पहुँचकर ज्ञापन सौंपना था।
विरोध रैली काफी हद तक नियंत्रण में थी, जब तक कि यह हिंदू बहुल क्षेत्र चित्रा चौक तक नहीं पहुँच गई। ऑपइंडिया के साथ बातचीत में भारतीय बताते हैं कि जल्द ही यह चित्रा चौक को पार कर गई। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने दंगा, हिंदू मंदिरों पर पथराव शुरू कर दिया। उन्होंने हिन्दुओं की दुकानों में तोड़फोड़ भी की।
भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने लापरवाही बरती, जिसके चलते वह मुस्लिम भीड़ को काबू नहीं कर सके। भारतीय ने आगे कहा, ”हजारों प्रदर्शनकारियों के मुकाबले बेहद कम संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था। प्रदर्शनकारी अधिक संख्या में थे। इसका फायदा उठाते हुए उन्होंने पथराव किया और सार्वजनिक एवं निजी संपत्तियों को भी नुकसान पहुँचाया।
भाजपा, बजरंग दल के समर्थकों के खिलाफ लाठीचार्ज
अगले दिन यानी शनिवार को भी हिंसा जारी रही। पुलिस अधिकारियों ने भाजपा, बजरंग दल और अन्य संगठनों के समर्थकों के खिलाफ लाठीचार्ज किया। भारतीय ने कहा कि हिंदू प्रदर्शनकारी अपनी आत्मरक्षा के लिए लाठियाँ ले जा रहे थे, जबकि विरोधियों के पास तलवारें और पत्थर थे।
यह जानने के लिए कि शनिवार को पुलिस अधिकारियों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प किस वजह से हुई थी ऑपइंडिया ने भाजपा नेता और BJYM के उपाध्यक्ष बादल कुलकर्णी से भी संपर्क किया। भाजपा नेता ने कहा कि विरोध तब तक शांतिपूर्ण रहा, जब तक पुलिस अधिकारियों ने उन प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज नहीं किया, जो मुस्लिम समर्थकों द्वारा उन पर की गई हिंसा के विरोध में एकजुट हुए थे।
कुलकर्णी ने बताया, “भाजपा, बजरंग दल, विहिप और अन्य संबंधित संगठनों ने शनिवार को बंद का आह्वान किया था। हमारे बंद को सभी व्यापार संघों का समर्थन मिला, जो मुस्लिम समर्थकों द्वारा की गई रैली के दौरान भड़की हिंसा से त्रस्त थे। कुलकर्णी ने कहा, “पुलिसकर्मियों द्वारा उनके साथ किए गए अन्याय के विरोध में शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे लोगों के खिलाफ लाठीचार्ज करने के बाद झड़पें शुरू हो गईं।”
मुस्लिम प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया
कुलकर्णी ने यह भी बताया कि मुस्लिम प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कोई लाठीचार्ज, आँसू गैस या अन्य सख्त कदम नहीं उठाया गया। लेकिन पुलिस अधिकारियों ने हमारे समर्थकों पर हमला करने में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाई, जो केवल शांतिपूर्वक विरोध कर रहे थे।
प्राचीन शनि मंदिर में तोड़फोड़
कुलकर्णी ने अमरावती में हंगामा करने वाली मुस्लिम भीड़ की क्रूरता का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि त्रिपुरा में कथित मस्जिद में तोड़फोड़ के विरोध में इकट्ठे हुए मुस्लिम प्रदर्शनकारियों की एक टुकड़ी 25,000 से 30,000 के करीब चित्रा चौक के पास हिंदू बहुल क्षेत्र से गुजरते ही हिंसक हो गई थी। कुलकर्णी ने यह भी खुलासा किया कि प्राचीन शनि मंदिर में भी तोड़फोड़ की गई। यह मंदिर हिंदू-बहुल क्षेत्र के किनारे और मुस्लिम-बहुल कॉलोनी से सटा हुआ है। मंदिर की देखभाल करने वाले परिवार के घर में भी बदमाशों ने धावा बोल दिया था। यहाँ तक कि मंदिर के पंडित को भी पीटा गया था।
बता दें कि त्रिपुरा में एक मस्जिद को जलाने की झूठी घटना के विरोध में मुस्लिम संगठनों द्वारा शुक्रवार (12 नवंबर) को आयोजित की गई रैलियों के दौरान इन घटनाओं का सिलसिला शुरू हुआ था। अमरावती के अलावा नांदेड़, मालेगाँव, वाशिम और यावतमाल में रैलियाँ आयोजित की गई थीं। इन रैलियों के लिए पुलिस की इजाजत भी नहीं ली गई थी। वहीं त्रिपुरा पुलिस ने स्पष्ट किया था कि जिस कथित घटना को लेकर महाराष्ट्र में हिंसा हो रही है वो घटना हमारे यहाँ हुई ही नहीं है।