जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में पिछले तीन दिनों से चल रही मुठभेड़ जारी है। मुठभेड़ के दौरान बुधवार (13 सितंबर 2023) को वीरगति को प्राप्त हुए मेजर आशीष धौंचक पंचतत्व में विलीन हो गए हैं। मेजर आशीष को उनके भाई विकास ने मुखाग्नि दी। इस दौरान उन्हें पूरे सैन्य सम्मान के साथ आखिरी विदाई दी गई।
उनकी अंतिम यात्रा में 10 हजार से अधिक लोग शामिल हुए। उनका पार्थिव शरीर पानीपत के उसी घर में पहुँचा, जिसे वो बनवा रहे थे। इस घर का गृह प्रवेश 23 अक्टूबर 2023 को तय हुआ था और इस दिन मेजर छुट्टी लेकर आने वाले थे। उन्हें इस साल 15 अगस्त को सेना मेडल से भी सम्मानित किया गया था।
“मैंने शेर को जन्म दिया है, बेटा देश की शान… पोती बदला लेगी”
मेजर आशीष की अंतिम यात्रा में ‘जब तक सूरज चाँद रहेगा, मेजर आशीष तेरा नाम रहेगा‘ के नारे लगते रहे। इस दौरान उनकी बहन ने सैल्यूट कर अंतिम विदाई दी। वहीं, उनकी माँ कमला देवी जब उनके पास आईं तो उनके मुख से दो ही लाइन निकल रही थी, “मेरा बेटा देश की शान, मेरी पोती बदला लेगी।”
वीरगति को प्राप्त हुए मेजर आशीष धौंचक की माँ ने हरियाणवी में कहा कि मेजर आशीष की बेटी भी पिता की तरह सेना में अधिकारी बनेगी और आतंकियों को सबक सिखाएगी। उन्होंने कहा, “मैं क्यों रोऊँ? मैं सैल्यूट करूँगी, क्योंकि मैंने शेर को जन्म दिया है।”
23 अक्टूबर को नए घर में गृह प्रवेश करने वाले थे मेजर
अनंतनाग में वीरगति को प्राप्त हुए 19 आरआर (राष्ट्रीय राइफल्स) के मेजर आशीष धौंचक का परिवार किराए के मकान में रह रहा था। वो अपने लिए टीडीआई में नया घर बना रहे थे, और 23 अक्टूबर को अपने नए घर में गृह प्रवेश करने वाले थे। वो जीते जी तो उस घर में रह नहीं पाए, लेकिन उनका पार्थिव शरीर उसी टीडीआई सिटी वाले घर पर लाया गया। यहीं से उन्हें आखिरी विदाई दी गई।
बहादुर और निडर थे मेजर आशीष
मेजर आशीष धौंचक के दोस्तों का कहना है कि वो हमेशा से निडर थे। आतंकियों के खिलाफ कई ऑपरेशन चला चुके थे और ऑपरेशन्स को लीड करते थे। कई ऑपरेशन में वो आतंकियों को ढेर कर चुके थे। अनंतनाग के सर्च ऑपरेशन के दौरान आतंकियों की ओर से छिपकर की गई गोलीबारी की चपेट में आकर वो वीरगति को प्राप्त हुए।
चचेरा भाई भी सेना में मेजर, उन्होंने ही ने दी मुखाग्नि
मेजर आशीष धौंचक की तीन बहनें हैं और वो अकेला भाई थे। तीनों बहनों की शादी हो चुकी है। वो अपने पीछे पत्नी ज्योति और 2 साल की बेटी वामिका को छोड़ गए हैं। उनके पिता लालचंद एनएफएल से रिटायर्ड हैं। वहीं, उनका चचेरा भाई विकास भी सेना में मेजर हैं।
मेजर आशीष को मुखाग्नि मेजर विकास ने ही दी। मेजर आशीष 25 साल की उम्र में बतौर लेफ्टिनेंट साल 2012 में सेना में भर्ती हुए थे और अपनी साहसिक सेवा के दम पर साल 2018 में प्रमोट होकर मेजर बने थे। वो ढाई साल से राजौरी में तैनात थे।
कर्नल मनप्रीत सिंह और जेके पुलिस के डीएसपी हुमायूँ भट्ट को भी वीरगति
बता दें कि अनंतनाग एनकाउंटर में मेजर आशीष धौंचक के साथ ही कर्नल मनप्रीत सिंह और जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी हुमायूँ भट्टे को भी वीरगति प्राप्त हुई है। इस एनकाउंटर में एक जवान को आज (15 अक्टूबर 2023) को वीरगति प्राप्त हुई है।
अनंतनाग एनकाउंटर के दौरान वीरगति पाने डीएसपी हुमायूँ भट्ट को पूरे राजकीय सम्मान के आखिरी विदाई दी गई। हुमायूँ भट्ट के पिता DIG रह चुके हैं। वहीं, सैनिकों के परिवार से आने वाले कर्नल मनप्रीत सिंह को चंडीगढ़ में आखिरी विदाई दी गई।