नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) संसद में पारित होने के बाद से ही भारत के वामपंथियों और मुस्लिमों के लिए एक विवादित क़ानून बन गया है। देश के कई हिस्सों में हिंसक हुई मुस्लिम भीड़ द्वारा विरोध-प्रदर्शन के नाम पर हिन्दू विरोधी नारे और पोस्टर लगाए जाने से लेकर उग्र प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। ताज़ा मामले में शाहीन बाग का एक और पोस्टर सामने आया है। इसे पत्रकार, सबा नकवी ने शेयर किया है। इस पोस्टर को देखते ही आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि यह हिन्दू-विरोधी कल्पना से भरा है।
Posters on display …#ShaheenBagh pic.twitter.com/sZpo8ZaR1v
— Saba Naqvi (@_sabanaqvi) January 15, 2020
सबा नकवी द्वारा गर्व के साथ शेयर की गई इमेज में तीन महिलाओं को बुर्क़ा पहने और माथे पर बिंदी लगाए दिखाया गया है। इसके अलावा, पोस्टर के नीचे, फ़ैज़ की कविता ‘हम देखेंगे’ शीर्षक से कुछ पंक्तियाँ भी लिखी हुई हैं। अंत में, हिन्दू स्वस्तिक को खंडित कर उसका विघटित रूप दर्शाया गया।
यह पोस्टर स्पष्ट रूप से हिन्दुओं पर इस्लामी वर्चस्व की स्थापना और हिन्दुओं के घृणा जताने की मंशा से ओत-प्रोत है। इसे CAA विरोधी-प्रदर्शनों का प्रतीक मानकर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। और न ही इसे राजनीतिक विरोध मानकर हवा में उड़ाया जा सकता है।
हिजाब पहने और माथे पर बिंदी लगाए महिलाओं के इस पोस्टर को देखकर ऐसा भी लगता है कि मुस्लिम समुदाय हिन्दू महिलाओं को किस नज़रिए से देखता है। पहली नज़र में ऐसा भी प्रतीत होता हो सकता है जैसे यह पोस्टर कश्मीर से है, जहाँ कश्मीरी हिन्दू महिलाओं का बलात्कार इस्लामी ताकतों द्वारा किया गया और फिर उनकी उनकी हत्या कर दी गई। इसके अलावा, यह पोस्टर मुस्लिमों के अत्याचार के उस दौर का भी खुला चित्रण करती है जिसके तहत कश्मीर में हिन्दू पुरुषों को धर्म परिवर्तन, पलायन या मरने के अलावा अपनी महिलाओं को बलात्कार और मुस्लिम बनाने के लिए छोड़ने तक के लिए मजबूर किया गया।
मुस्लिम महिलाओं की इमेज के ठीक नीचे फैज़ की कविता का शीर्षक ‘हम देखेंगे’ तो लिखा था, लेकिन उसके नीचे की पंक्तियों को बदल कर नई पंक्तियों को गढ़ा गया। इसके अनुसार,
जब ज़ुल्म-ओ-सितम मोदी-शाह के,
खाक में मिल जाएँगे,
जनता के एक इशारे पे,
सब कुर्सी से उतारे जाएँगे,
लाज़िम है कि हम देखेंगे।
इस पोस्टर के अंत में, हिन्दुओं के पवित्र स्वास्तिक चिन्ह को खंडित कर उसके विघटित रूप को दिखाया गया था।
एक बात और ध्यान दिला दें कि हिन्दू घृणा से सने शाहीन बाग़ इलाक़े में CAA और NRC के ख़िलाफ़ ‘जिन्ना वाली आज़ादी’ जैसे नारे लगाए गए थे। इस दौरान ऐसे पोस्टर भी देखे गए जिनमें हिन्दू धर्म की तुलना नाज़ीवाद से और स्वास्तिक का दुरुपयोग करते हुए विखंडित दिखाया गया।
दिलचस्प बात यह है कि CAA विरोधी-प्रदर्शनों में ‘ला इलाहा इल्लल्लाह’ के जमकर नारे लगाए गए। पवित्र हिन्दू स्वास्तिक की इमेज को कलंकित किया गया, इसकी तुलना नाज़ी हैकेन क्रुज़ (Nazi Haken Kreuz) से की गई है। बता दें कि ‘ला इलाहा इल्लल्लाह’ का शाब्दिक अर्थ ‘अल्लाह के सिवाय कोई ईश्वर नहीं’ है। जिसका किसी भी राजनीतिक प्रोटेस्ट से कोई लेना-देना नहीं है।
स्वास्तिक को इस्लामवादी हमेशा से ही हिटलर हैकेन क्रुज़ के साथ जोड़ने की कोशिश करते हैं। जबकि सच्चाई यह है कि ख़ुद हिटलर ने कभी भी Hast Kreuz के लिए स्वस्तिक शब्द का इस्तेमाल नहीं किया, लेकिन आतंकी संगठन ISIS ने ला इलाहा इल्लल्लाह को अपने झंडे में शामिल किया।
ग़ौरतलब है कि बीते दिनों CAA के ख़िलाफ़ हुए दंगों में देश ने मुस्लिमों की भीड़ का एक अलग ही चेहरा देखा गया। ये याद रखने वाली बात है कि खुद को भारत का नागरिक कहने वाले लोग एक तरफ देश में धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देते हैं, वहीं दूसरी तरफ ये लोग हिन्दुओं से आजादी की माँग कर रहे थे। और हिन्दू विरोधी नारों के साथ उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दिल्ली में हिंसा और दंगा कर रहे थे। ख़िलाफत 2.0 का संदेश दे रहे थे और ला इलाहा इल्लल्लाह के नारे लगा रहे थे।
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