कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका डालकर पश्चिम बंगाल में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की माँग करने वाली तथाकथित ‘कार्यकर्ता’ रोशनी अली एक न्यूज चैनल पर डिबेट के दौरान ‘नागिन डांस’ करने लगी। रिपब्लिक बांग्ला पर एक पैनल में शामिल अली को जब अपनी बात रखने का मौका नहीं मिला तो उन्होंने डांस करना (31:50 मिनट पर) शुरू कर दिया। जैसे ही कई पैनलिस्टों ने एक साथ बोलना शुरू कर दिया तो रोशनी अली ने उनका ध्यान अपनी तरफ खींचने के लिए ‘नागिन डांस’ करना शुरू कर दिया।
अली ने पटाखों पर प्रतिबंध की जरूरत के बारे में बताते हुए कहा, “कुछ महीने पहले हम ऑक्सीजन के लिए परेशान थे और ऑक्सीमीटर पर अपने ऑक्सीजन के स्तर की जाँच कर रहे थे।” वह हवा की गुणवत्ता के साथ महामारी के दौरान मेडिकल ऑक्सीजन की आवश्यकता को आपस में लिंक कर रही थीं। हालाँकि, पैनल में शामिल अन्य लोगों ने उन्हें बीच में ही रोक दिया, तभी वह डांस करने लगीं।
Bengal’s very own Greta Thunberg has lost her mind. Watch till the end. 😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆 pic.twitter.com/BHBhvuxRjg
— MayaB.🇮🇳 (@ignisfatuus1110) November 2, 2021
उल्लेखनीय है कि अली पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध को खारिज करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश से नाराज हैं। उन्होंने कहा कि वह फिर से पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट में अपील करने वाली हैं। इसकी जानकारी उन्होंने एक इंस्टाग्राम वीडियो के जरिए दी। इसमें अली ने कहा था, “जैसा कि आप देख सकते हैं कि मैं कलकत्ता हाईकोर्ट में हूँ। लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। मैं एक अपील करने जा रही हूँ और अभी भी अपने साँस लेने के अधिकार के लिए लड़ूँगी। यह सिर्फ पर्यावरण को लेकर नहीं है, बल्कि यह हमारे व्यक्तिगत स्वास्थ्य को लेकर है जो इस तरह के फैसले से दाँव पर लगा है। यह सिर्फ कलकत्ता नहीं, बल्कि पूरा देश देख रहा है।”
मंगलवार (2 नवंबर 2021) की देर रात रोशनी अली ने फेसबुक पर एक पोस्ट अपलोड किया, जिसमें अली ने लोगों से कहा कि जो कोई भी उनसे इंटरव्यू, ऑनलाइन शो या इंस्टाग्राम लाइव के लिए बुलाना चाहते हैं, वो उन्हें ईमेल कर सकते हैं। रोशनी ने पोस्ट में अपनी ईमेल आईडी शेयर की है।
अपने मामले को मजबूत करने और निष्पक्ष दिखाने के लिए अली ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जी-20 जलवायु शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण को भी शेयर करती रही हैं।
‘विक्टिम कार्ड और कार्यकर्ता’
अली ने विक्टिम कार्ड खेलते हुए ‘ TheQuint‘ को दिए अपने इंटरव्यू में आरोप लगाया कि उनका सरनेम ‘अली’ होने के कारण ‘घृणा’ के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने दावा किया, “यह बहुत ही सांप्रदायिक मामला बन गया है और मेरे अली सरनेम को नफरत के मुख्य कारण के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। यह मजहब के बारे में नहीं है। हम एक वैश्विक जागरूक समुदाय का हिस्सा हैं और जलवायु परिवर्तन हमारी वास्तविकता का एक हिस्सा है।”
#Calcutta HC ordered a complete ban on #firecrackers in WB based on Roshni Ali’s PIL, which was overruled by the SC on 1 October. Roshni tells @taniat_writes why she filed the PIL and how she is dealing with the trolls online. Read more: https://t.co/iEdiuanMbo pic.twitter.com/tZyLXVbXIR
— The Quint (@TheQuint) November 2, 2021
हालाँकि, जब अली से पूछा गया कि क्या उन्होंने मस्जिदों में लाउडस्पीकर द्वारा दिये जा रहे अज़ान पर प्रतिबंध लगाने के लिए समान सक्रियता और सामाजिक जागरूकता दिखाईं, तो उन्होंने दावा किया कि ‘यह मजहब के बारे में नहीं है।’
‘पटाखे ऑक्सीजन की मात्रा को कम करते हैं’
पटाखों के पीछे पड़ने पर अली ने कहा, “ग्रीन क्रैकर्स या अन्य पटाखे, वे बहुत अधिक ऑक्सीजन सोखते हैं। हम मुश्किल समय में जी रहे हैं, हमारे फेफड़े पीड़ित हैं। हमें ऐसे त्योहारों की आवश्यकता क्यों हैं, चाहे वह हिंदू, मुस्लिम, सिख, नया साल हो… जो हमारे फेफड़ों को मारता है…? हम अपनी धार्मिक पहचान से कहीं बढ़कर हैं।”
रोशनी अली ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद G24 ऑवर के साथ एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि उन्हें “एलर्जी” है। दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने दिवाली से तीन दिन पहले ऐसा कहा था। बता दें कि रोशनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार (29 अक्टूबर, 2021) को दीवाली/काली पूजा के दौरान पूरे पश्चिम बंगाल में सभी प्रकार के पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था। हालाँकि, सोमवार (1 नवंबर 2021) को सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के इस फैसले को रद्द कर दिया।