हरियाणा के सोनीपत में स्थित अशोका यूनिवर्सिटी में आयोजित दीक्षांत समारोह में फिलिस्तीन के समर्थन में तख्तियाँ दिखाई गईं। फिलिस्तीन के समर्थन में तख्तियाँ दिखाने वाले अशोका के छात्र थे। तख्तियाँ दिखाने का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है। इस वीडियो में यह सभी छात्र अपने सर के ऊपर तख्तियाँ रख कर ले जा रहे हैं।
यह आयोजन 24 मई, 2024 को किया गया था। इस आयोजन से पहले अशोका यूनिवर्सिटी का छात्र संघ AUSG भारत और इजरायल सम्बन्धों को खत्म करने की माँग कर रहा है। यह इजरायल का विरोध इसकी इस्लामी आतंकी संगठन से लड़ाई के कारण कर रहा है।
Ashoka University students displayed pro-Palestine placards during the graduation ceremony, including posters that read: “Free Palestine”, “Stop genocide” and “cut ties now.”
— Maktoob (@MaktoobMedia) June 30, 2024
The students have been protesting Ashoka’s collaboration with Israeli institutions.
Watch: pic.twitter.com/VuV5OYvWr4
बताया गया कि है कि AUSG ने कॉलेज को ने एक याचिका भी दी थी जिसमें इस बात चिंता जताई थी कि अशोका यूनिवर्सिटी के किसी इजरायली शिक्षा संस्थान के साथ संबंध हैं। AUSG ने इजरायली शिक्षा संस्थान के साथ संबंध खत्म करने का दबाव बनाया था।
दरअसल, अशोका यूनिवर्सिटी और तेल अवीव यूनिवर्सिटी के बीच एक रिसर्च को लेकर साझेदारी है। इसके अंतर्गत इजरायल के अध्यापक अशोका में अपने व्याख्यान दे सकते हैं। अशोका यूनिवर्सिटी ने यह याचिका खारिज कर दी थी। उसका कहना था कि वह इस मामले के राजनीतिक पहलू में शामिल नहीं है।
हालाँकि, यह पहली बार नहीं है जब अशोका यूनिवर्सिटी के छात्र गलत कारणों से चर्चा में हैं। मार्च, 2024 में अशोका यूनिवर्सिटी के छात्रों ने यूनिवर्सिटी में हिंदू विरोधी नारे लगाए थे। इन छात्रों ने ‘ब्राह्मण-बनियावाद मुर्दाबाद’ के नारे लगाए थे। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। ब्राह्मण और बनिया समुदाय को गाली देने के अलावा उन्होंने ‘जय भीम-जय मीम’ और ‘जय सावित्री-जय फातिमा’ नारे भी लगाए थे। उन्होंने अशोका में जाति जनगणना और आरक्षण की भी माँग की।
अशोका यूनिवर्सिटी में "ब्राह्मण वाद – बनिया वाद मुर्दाबाद" के नारे लगाये गये। क्या मतलब है इसका… कौन इनके दिमाग में ज़हर भर रहा है? #Ashoka_University pic.twitter.com/ruj1Y2vbLs
— Prakhar Shrivastava (@Prakharshri78) March 27, 2024
फरवरी 2024 में, AUSG ने गाजा में इजरायल की कार्रवाई की निंदा करते हुए एक बयान जारी किया था। AUSG की माँग थी कि गाजा में कथित ‘नरसंहार’ बंद होना चाहिए। सोशल मीडिया पर की गई एक पोस्ट में 7 अक्टूबर को इजरायली क्षेत्र में हमास इस्लामी आतंकियों द्वारा किए गए भयानक आतंकी हमले को सामने घटनाओं की बताया गया था।
इस पोस्ट में 1,300 इजरायली और विदेशी नागरिकों की हत्या, महिलाओं के साथ रेप और बंधकों को गाजा ले जाने का कोई जिक्र नहीं था। इस पोस्ट में इस्लामी आतंकी संगठन हमास के सभी कुकर्मों को बहुत ही आसानी से दबा दिया गया।
अशोका यूनिवर्सिटी के ना केवल छात्रों, बल्कि प्रोफेसरों तक को भी उनके उल्टे-सीधे रिसर्च के लिए आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। अगस्त 2023 में, प्रोफेसर सब्यसाची दास के एक रिसर्च पेपर में दावा किया गया था कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने चुनाव में गड़बड़ी की है। इसे कॉन्ग्रेस नेता शशि थरूर ने बढ़ावा दिया था और सोशल मीडिया पर वायरल किया था।
यह रिसर्च काफी गड़बड़ थी, इसमें कई खामियाँ थी। दास ने इसके बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। जहाँ एक ओर दास ने अपने गड़बड़ काम के लिए इस्तीफ़ा दिया था वहीं AUSG ने उनका समर्थन किया था। AUSG ने इसे मॉडर्न बताया था।
नवंबर 2021 में, अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर नीलांजन इरकर ने झूठा दावा किया कि राष्ट्रपति भवन में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की तस्वीर बंगाली अभिनेता प्रोसेनजीत चटर्जी की है। उन्होंने भाजपा की आलोचना के बहाने भगवान राम का मज़ाक उड़ाने के लिए इस कहानी का इस्तेमाल किया था।
अशोका यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर के बाद में डिलीट किए गए ट्वीट में लिखा, “बिल्कुल आश्चर्यजनक! यह नेताजी सुभाष चंद्र बोस नहीं हैं, यह एक फिल्म में नेताजी की भूमिका निभा रहे प्रसिद्ध बंगाली अभिनेता प्रोसेनजीत चटर्जी की तस्वीर है।”
यदि वह यहीं तक रुकते तो यह झूठ ही होता। इसके आगे अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर ने कहा, “और यह नेताजी के एक कार्यक्रम में ‘जय श्री राम’ चिल्लाए जाने के बाद हुआ। स्वतंत्रता-युग के नेताओं के राजनीतिक इस्तेमाल का दिवालियापन।”
हाल ही में फिलिस्तीन की तख्तियों का दिखाया जाना, हिन्दुओं के खिलाफ नारे, फर्जी रिसर्च को समर्थन देना हो या फिर इजरायल-हमास विवाद जैसे मुद्दों पर सही संवाद के प्रति संवाद के प्रति घोर उपेक्षा, अशोका यूनिवर्सिटी में वोक संस्कृति की ओर खतरनाक बदलाव का संकेत है। इस संस्थान की एक वर्ष की स्नातक की फीस लगभग ₹10 लाख है।