ज्ञानवापी की जगह एक बड़ा हिंदू मंदिर था… ऐसा भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण ने अपनी रिपोर्ट में बताया है। उन्होंने कई सबूत पेश किए हैं जिनसे पता चलता कि हिंदू मंदिर को तोड़कर वहाँ ज्ञानवापी का ढाँचा खड़ा किया गया। 26 जनवरी की सुबह इस रिपोर्ट पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने जानकारी दी थी। हालाँकि अब रिपोर्ट में जोड़ी गई कुछ तस्वीरें भी मीडिया में आ गई हैं जिन्हें देख हिंदू आक्रोशित हैं।
ASI की रिपोर्ट में साफ लिखा गया था ज्ञानवापी परिसर में हिंदू मंदिर था, जिसे 17वीं शताब्दी में तोड़कर नया ढाँचा बनाया गया और ज्ञानवापी परिसर को बनाने में उसी मंदिर के मलबे को लगा दिया गया।
तस्वीरों में देख सकते हैं कि कितनी बेरहमी से हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों को खंडित किया गया। इन तस्वीरों में हनुमान जी की मूर्ति है, गणेश जी की प्रतिमा है, विष्णु जी हैं और योनिपट्टा भी है जिसमें से शिवलिंग गायब है।
बता दें कि ASI क रिपोर्ट में मंदिर होने के 32 सबूत मिले हैं।
ज्ञानवापी मामले में ASI रिपोर्ट से हुए मुख्य खुलासे
- सबसे बड़ी चीज जो इस रिपोर्ट में आई वो भगवान शिव के 3 नाम दीवारों पर लिखे मिले हैं- जनार्दन, रुद्र और ओमेश्वर।
- दीवारों पर कन्नड़, तेलुगु, देवनागरी और ग्रंथा भाषाओं में लेखनी मिली है।
- ढाँचे के सारे खंभे भी गवाही दे रहे हैं कि वह पहले मंदिर का हिस्सा थे उन्हें मॉडिफाई करके वहाँ नए ढाँचे में शामिल किया गया।
- ढाँचे की पश्चिमी दीवार से भी पता चलता है कि वो मंदिर की दीवार है जो 5 हजार साल पहले की नागर शैली में निर्मित है।
- दीवार के नीचे 1 हजार साल पुराने अवशेष भी मिले हैं।
- ये भी पता चला है कि ढाँचे से पहले मंदिर में बड़ा केंद्रीय कक्ष और उत्तर की ओर छोटा कक्ष था।
- कुछ खंबों से हिंदू चिह्नों को मिटाने के भी प्रमाण मिले हैं।
- इतना ही नही हनुमान जी और गणेश जी की खंडित मूर्तियाँ, दीवार पर त्रिशूल की आकृति भी मिली हैं। साथ ही तहखाने में भी हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ मिलीं।
- यह भी पता चला कि ढाँचे का गुंबद महज 350 साल पुराना है जबकि उसके परिसर में मिलने वाले हिंदू साक्ष्य हजारों वर्ष पुराने हैं।
- ढाँचे के निर्माण संबंधी एक शिलापट पर अंकित समय को मिटाने का भी प्रयास हुआ है।
- ASI रिपोर्ट से निष्कर्ष आया है कि 2 सितंबर 1669 को मंदिर ढहा दिया गया था।
इस रिपोर्ट के आने के बाद मुस्लिम पक्ष ने इस मुद्दे पर कानूनी लड़ाई आगे बढ़ाने का ऐलान किया है। वहीं हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने कहा है कि 839 पेज की रिपोर्ट में वजूखाने को छोड़कर हर कोने का एक-एक ब्योरा एएसआई ने लिखा है। रिपोर्ट से यह साफ हो गया है कि मंदिर तोड़कर ज्ञानवापी ढाँचा बनाया गया थी। इसलिए अब हिंदुओं को वहाँ पूजा-पाठ की अनुमति मिलनी चाहिए।
#Exclusive: The Archaeological Survey of India (ASI) survey report of the Gyanvapi Mosque in Varanasi has ignited a fresh wave of controversy, with photos revealing fragments of what appear to be statues of Hindu deities and other iconography within the mosque complex.
— IndiaToday (@IndiaToday) January 26, 2024
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उन्होंने कहा कि ढाँचे के भीतर वजूखाने में मिले शिवलिंग का भी एएसआई सर्वे होने के बाद साफ हो जाएगा कि वो कोई फव्वारा नहीं शिवलिंग ही है। इसके अलावा भी कई सबूत मिलेंगे जो हिंदुओं के पक्ष को मजबूत करेंगे।