हरियाणा पुलिस ने आसिफ की रविवार (मई 16, 2021) को हुई हत्या में किसी भी तरह के सांप्रदायिक एंगल से इनकार किया है। रिपोर्टों के अनुसार, आसिफ अपने दो चचेरे भाइयों के साथ अपनी बहन के घर से लौट रहा था जब उन पर कथित तौर पर पुरुषों के एक समूह ने हमला किया और उन्हें पीट-पीट कर मार डाला।
हालाँकि, उसकी मृत्यु की रिपोर्ट आने के तुरंत बाद, कुछ मीडिया हाउसों ने दावा किया कि उसे मारे जाने से पहले ‘जय श्री राम’ बोलने के लिए मजबूर किया गया था, जिसकी वजह से घटना ने सांप्रदायिक मोड़ ले लिया।
केरल स्थित पोर्टल मकतूब मीडिया ने दावा किया कि आसिफ को ‘जय श्री राम का नारा लगाने के लिए मजबूर’ किया गया था और धार्मिक नारे को ‘हिंदू राष्ट्रवादी उग्रवादियों के युद्ध’ के रूप में संदर्भित किया। हालाँकि, मकतूब मीडिया ने इस तथ्य को साबित करने के लिए कोई सबूत पेश नहीं किया।
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र शरजील उस्मानी ने भी मामले में झूठ फैलाते हुए ‘जय श्री राम’ का एंगल दिया। उसने जस्टिस फॉर आसिफ का हैशटैग देते हुए ट्वीट किया कि ‘जय श्री राम’ का जाप करने वाला हिंदू किसी आतंकवादी से कम नहीं होता है। इसके साथ ही एक और ट्वीट में कहा कि 30 हिंदू लोगों के समूह ने आसिफ की हत्या कर दी।
वास्तव में, यहाँ तक कि एक गवाह के शुरुआती बयान में कहा गया था कि कैसे उन पर एक ऐसे समूह द्वारा हमला किया गया, जहाँ ज्यादातर पुरुष उन्हें जानते थे।
अब, हरियाणा पुलिस ने भी एक बयान दिया है और किसी भी सांप्रदायिक एंगल से इनकार किया है। पुलिस के मुताबिक आसिफ हत्याकांड के मुख्य आरोपित आसिफ उर्फ सद्दू के खिलाफ दो और प्रदीप उर्फ पटवारी के खिलाफ पाँच मामले दर्ज हैं।
शुरुआती जाँच में पता चला है कि आसिफ सोहना से बसपा नेता जावेद अहमद का करीबी सहयोगी है। वह नूंह से कॉन्ग्रेस विधायक चौधरी आफताब अहमद का रिश्तेदार है। प्रदीप स्थानीय भाजपा नेता भल्ला का करीबी सहयोगी है, जो भाजपा के सोहना विधायक कंवर संजय सिंह के करीबी सहयोगी हैं।
जानकारी के मुताबिक गाँव में दो जाति-आधारित समूह हैं, एक जाकिर जाति का आसिफ और दूसरा गुर्जर जाति का प्रदीप के नेतृत्व में। प्रत्येक ग्रुप में 15-20 सदस्य हैं। करीब 20 दिन पहले आसिफ के गुट ने प्रदीप के गुट के सदस्यों को पीटा था और उसी का बदला लेने के लिए प्रदीप के गुट ने आसिफ पर हमला किया था।