असम (Assam) के नौगाँव जिले के बटाद्रवा पुलिस स्टेशन में कथित तौर पर एक मुस्लिम व्यक्ति शफीकुल इस्लाम (Shafiqul Islam) की मौत के बाद कट्टरपंथियों की करीब 2,000 की भीड़ ने थाने पर हमला कर उसे आगे के हवाले कर दिया था। अब इस मामले में जिला प्रशासन ने रविवार (22 मई 2022) को आरोपित 5 परिवारों के घरों पर बुलडोजर चलाकर पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया। इस मामले में तीन को गिरफ्तार भी किया गया है।
घटना को लेकर असम के डीजीपी भास्कर ज्योति महंत ने कहा कि पुलिस मौत के मामले को गंभीरता से ले रही है और इसकी जाँच जारी है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि थाने में आग लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस हमले में शामिल रहे तीन आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया गया है और बाकियों की तलाश की जा रही है। डीजीपी ने रविवार को एक बयान जारी कर कहा कि शफीकुल इस्लाम (39) की मौत के मामले में बटाद्रबा थाने के प्रभारी को निलंबित कर दिया गया है। बाकियों पर भी कार्रवाई की गई है।
डीजीपी ने आगे कहा, “20 मई 2022 की रात लगभग 9.30 बजे पुलिस को सड़क पर एक व्यक्ति के शराब पीकर लेटे होने की सूचना मिली थी। इस पर शफीकुल इस्लाम को बटाद्रवा थाने लाया गया था। उसे मेडिकल चेकअप के लिए भेजा गया। अगले दिन उसे उसकी पत्नी को सौंप दिया गया। शफीकुल की पत्नी ने उसे खाना और पानी दिया। बाद में शफीकुल ने अपनी तबियत खराब होना बताया, जिसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया। दुर्भाग्य से वहाँ उसकी मौत हो गई।”
इसके अगले दिन कुछ असामाजिक तत्वों ने कानून को अपने हाथों में लिया और थाने को जला दिया। डीजीपी के अनुसार, इन असामाजिक तत्वों में युवा, महिला, पुरुष और वृद्ध भी शामिल थे। इनके द्वारा पुलिस पर सामूहिक हमला किया गया।
उल्लेखनीय है कि शफीकुल सलोनाबोरी गाँव का रहने वाला था। उसके परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने उसे रिहा करने के लिए 10,000 रुपए और एक बतख के घूस की माँग की थी। गाँववालों का कहना है कि उसकी बीवी सुबह बतख और 10,000 रुपए लेकर जब थाने पहुँची।
थाने पहुँचने पर उसे पता चला कि उसके शौहर की तबीयत बिगड़ने से उसे नौगाँव सिविल अस्पताल ले गए हैं। इसके बाद जब वो अस्पताल पहुँची तो पता चला कि शफीकुल की मौत हो चुकी है। इस मामले में ग्रामीणों ने पुलिसकर्मियों पर टॉर्चर करने का आरोप लगाते हुए थाने का घेराव कर लिया था।