अदालत के आदेश पर 19 नवंबर 2024 को जब पहली बार संभल की जामा मस्जिद का सर्वे हुआ था, तब भी आसपास की छतों पर लोग जमा हो गए थे। लेकिन सर्वे में कोई व्यवधान नहीं आया। पर 24 नवंबर को जैसे ही टीम दोबारा सर्वे के लिए मस्जिद पहुँची तो कट्टरपंथी मुस्लिमों की भीड़ ने धावा बोल दिया। कुछ इस तरीके से हमला किया गया जैसे दंगाई इस हिंसा के लिए तैयार बैठे थे।
पत्थरबाजी हुई। आगजनी की गई। फायरिंग तक हुई जिसमें पुलिसकर्मी घायल भी हुए हैं। 3 लोगों की मौत हुई है। पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। आँसू गैस के गोले दागने पड़े। वरिष्ठ अधिकारियों को मौके पर आकर मोर्चा सँभालना पड़ा। आखिर 5 दिनों ही ऐसा क्या हुआ कि संभल में उपद्रव हो गया? इतनी बड़ी संख्या में भीड़ कहाँ से आई? इतने पत्थर एक साथ कैसे बरसे कि उससे सड़क पट गई, ट्रैक्टरों में पत्थरों को लादकर ले जाना पड़ा?
जब इन सवालों के आप जवाब तलाशते हैं तो 19 से 24 नवंबर के बीच ही 22 नवंबर भी पड़ता है, जिस दिन जुमे पर इसी जामा मस्जिद में सामान्य से अधिक जमावड़ा देखने को मिला था। इसी बीच में सपा के स्थानीय सांसद जियाउर्रहमान बर्क का ‘मस्जिद ही रहेगी’ वाला वह बयान आया, जिसने मुस्लिमों को एक अदालती कार्रवाई के खिलाफ उकसाने का काम किया। 24 नवंबर की हिंसा के बाद भी पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सहित सपा के अन्य नेता घटनाक्रम को इस तरह से पेश कर रहे हैं जैसे पत्थरबाजी करने वाली इस्लामी भीड़ पीड़ित हो। जैसे बिना किसी अदालती आदेश के मस्जिद का सर्वे किया जा रहा था।
मुस्लिमों के वाहनों को छोड़ दिया, पुलिस लिखी गाड़ियों में ही लगाई आग
हिंसक भीड़ ने जामा मस्जिद के पास खड़ी गाड़ियों में आग लगा दी। संभल के पुलिस अधीक्षक आईपीएस कृष्ण कुमार विश्नोई ने बताया कि इस हिंसा को पूरी तरह से सोची-समझी साजिश के तहत अंजाम दिया गया है। इस्लामी भीड़ ने उन बाइकों और कारों में आग लगाई जिस पर पुलिस लिखा हुआ था या उसका स्टीकर चिपका था। इन्ही वाहनों के बगल कई मुस्लिमों के वाहन भी खड़े थे, जिसे भीड़ ने हाथ भी नहीं लगाया।
पुलिस अधीक्षक बताया है कि घटना की वीडियोग्राफ़ी ड्रोन व अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से करवाई गई है। हमलावरों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत भी केस दर्ज होगा। कई हमलावरों को हिरासत में लिया गया है। उनसे पूछताछ के साथ उनके खिलाफ आगे की कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया जारी है।
पथराव में कई पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। इनमें पुलिस अधीक्षक मुरादाबाद के जनसम्पर्क अधिकारी (PRO), डिप्टी कलेक्टर (SDM) और डिप्टी एसपी (DSP) अनुज चौधरी शामिल हैं। हिंसा में नईम अहमद, बिलाल अंसारी और एक अन्य की मौत होने की खबर है। मौत कैसे हुई इस बारे में अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है।
अचानक ही नहीं जमा हुई हिंसक भीड़
हिंसक भीड़ में करीब 2 हजार दंगाई शामिल बताए जा रहे हैं। हिंसा के वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि भीड़ किसी भी हालत में मस्जिद में सर्वे कर रही टीम तक पहुँचना चाहती थी। रास्ते में पुलिस ने पहले बैरिकेड और बाद में समझा-बुझाकर भी भीड़ को रोकने की कोशिश की। यहाँ बड़ा सवाल ये है कि हजारों की भीड़ को एक ही दिशा और टारगेट की तरफ पीछे से कौन बढ़ा रहा था?
भीड़ लगभग एक ही तरह का नारा लगा रही थी। उनके पहनावे भी कमोबेश एक जैसे थे। इन सभी के हमले का तरीका भी एक जैसा ही था। छतों और गलियों में दीवालों की ओट ले कर पत्थरबाजी भी एकदम प्रशिक्षित तरीके से भीड़ कर रही थी। यही कारण है कि शुरुआत में पुलिस को भी पीछे हटना पड़ा। हमले के अंदाज से साफ लग रहा था कि कोई इसे कंट्रोल कर रहा है।
कहाँ से आए इतने पत्थर
हिंसक भीड़ के हमले से गलियाँ और सड़कें पत्थरों से पट गईं। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि नगर निगम का ट्रैक्टर ईंट के टुकड़े और पत्थरों को ट्रालियों में भर रहा है। अगर पूरे हिंसाग्रस्त इलाके के पत्थरों को जमा किया जाए तो यह ट्रक भर से ज्यादा निकलेगा। ऐसे में सवाल बनता है कि ये पत्थर कब से जमा किए जा रहे थे और इन्हें लाया कहाँ से गया। खबर लिखे जाने तक 4 ट्राली ईंट-पत्थर बरामद किए जा चुके थे।
#WATCH | Uttar Pradesh: Stones being collected on tractors from the spot in Sambhal where an incident of stone pelting took place when a survey team arrived at the Shahi Jama Masjid to conduct a survey of the mosque. pic.twitter.com/a2Ju1sd6JK
— ANI (@ANI) November 24, 2024
इन ईंट व पत्थरों को बाकायदा काट-काट कर साइज दिया गया था। वह साइज जिससे पुलिस पर फेंकने में आसानी रहे। इतना ही नहीं, हिंसक भीड़ में बुजुर्ग से लेकर नाबालिग बच्चों तक के हाथों में ईंट-पत्थर दिख रहे थे।
सपा सांसद को पुलिस की तैनाती से थी दिक्कत, नमाज़ में भारी भीड़
सर्वे के बाद संभल के सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने कहा था, “यहाँ पर मस्जिद है, मस्जिद थी और मस्जिद ही रहेगी। हम चाहते हैं कि देश का माहौल खराब न हो।” इशारों में जियाउर्रहमान ने विष्णु शंकर जैन को सम्बोधित करते हुए कहा था, “कुछ लोग बाहर से आकर यहाँ का माहौल खराब करना चाहते हैं।”
इसी बीच शुक्रवार (22 नवम्बर, 2024) को इसी जामा मस्जिद में भारी भीड़ देखी गई थी। इसी मस्जिद में नमाज पढ़ने वाले एक वकील ने मीडिया को बताया था कि सामान्य तौर पर मस्जिद में 500-600 लोग जुमे की नमाज पढ़ने आते थे। लेकिन मुकदमे और सर्वे के बाद जुमे को 4000 से अधिक लोग पहुँचे। आखिर इस जुमे में ऐसा क्या था जो 10 गुना अधिक लोग जुट गए?
वही जुम्मे की नमाज को लेकर सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क़ ने कहा कि कुछ लोग बाहर से आकर जिले और शहर की फिजा खराब करना चाहते हैं। @barq_zia @DmSambhal pic.twitter.com/pH6AgbkWM7
— Uttar Pradesh news (@Mubarak37440254) November 22, 2024
शुक्रवार को ही जुमे की नमाज़ के दौरान सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने इस्लाम को ‘शांति का मजहब’ बताते हुए पुलिस की तैनाती पर आपत्ति जताई थी।
अखिलेश ने दोहराई मुजफ्फरनगर वाली हरकत
हिंसा के बाद सपा प्रमुख अखिलेश ने हमलावरों का बचाव करते हुए प्रशासन पर ही सारा दोष मढ़ने की कोशिश की है। मुजफ्फरनगर की ही तरफ इस बार भी उन्होंने पूरी हिंसा की एक छोटी क्लिप काट कर प्रशासन को ही गुनहगार ठहराने की कोशिश की।
संभल में शांति की अपील के साथ ही ये भी अपील है कि कोई भी इंसाफ़ की उम्मीद न छोड़े। नाइंसाफ़ी का हुक्म ज़्यादा दिन नहीं चलता सरकार बदलेगी और न्याय का युग आएगा। pic.twitter.com/XE99C72zw9
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) November 24, 2024
शायद सपा नेताओं की यह बयानबाजी ही है जिसके कारण पत्थरबाज युवकों को समझाने की कोशिश करते हुए एसपी कृष्ण कुमार विश्नाेई ने कहा कि बेटा अपना भविष्य खराब ना करो। बार-बार उन्होंने इन युवकों से कहा, “अपना भविष्य बर्बाद मत करो इन नेताओं के चक्कर में।”