Sunday, November 3, 2024
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औरंगजेब ने ही तुड़वाया था केशवदेव मंदिर, बनवा दिया था ईदगाह ढाँचा: ASI ने ऐतिहासिक रिकॉर्ड से दिया जवाब, हिंदू पक्ष कोर्ट में सबूत के तौर पर करेगा पेश

मुस्लिम समाज चाहे कितना भी दावा करे कि किसी भी मुस्लिम शासक ने हिंदू मंदिरों को नहीं तोड़ा, लेकिन सच्चाई इससे अलग है और ऐतिहासिक रिकॉर्ड इसकी पुष्टि भी करते हैं। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि को तोड़कर वहाँ मुगल आक्रांता औरंगजेब ने शाही ईदगाह ढाँचा खड़ा करवाया था। एक आरटीआई के जवाब में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर यह बात कही है।

मुस्लिम समाज चाहे कितना भी दावा करे कि किसी भी मुस्लिम शासक ने हिंदू मंदिरों को नहीं तोड़ा, लेकिन सच्चाई इससे अलग है और ऐतिहासिक रिकॉर्ड इसकी पुष्टि भी करते हैं। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि को तोड़कर वहाँ मुगल आक्रांता औरंगजेब ने शाही ईदगाह ढाँचा खड़ा करवाया था। एक आरटीआई के जवाब में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर यह बात कही है।

दरअसल, उत्तर प्रदेश के मैनपुरी के रहने वाले अजय प्रताप सिंह ने देश भर के मंदिरों के बारे में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से आरटीआई के तहत जानकारी माँगी थी। इसमें मथुरा का श्रीकृष्ण जन्मभूमि के बारे में भी पूछा गया था। इसी जवाब में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, आगरा ने ऐतिहासिक रिकॉर्ड का हवाला दिया है।

आरटीआई में दिए गए जवाब में कहा गया है कि अंग्रेजों के शासन के दौरान सन 1920 में इलाहाबाद से प्रकाशित गजट में यूपी के विभिन्न जिलों के 39 स्मारकों की सूची दी गई है। इसमें 37 नंबर पर कटरा केशवदेव भूमि पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि का उल्लेख है। उसमें कहा गया है कि मस्जिद के स्थान पर पहले कटरा टीले पर केशवदेव मंदिर था, जिसे ध्वस्त करके मस्जिद बनाया गया है।

पुरातत्व विभाग की पुष्टि के बाद श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पक्षकार और कृष्ण जन्मभूमि के वादी एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह इस महत्वपूर्ण साक्ष्‍य को 22 फरवरी 2024 को हाई कोर्ट और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में पेश करेंगे। उन्होंने कहा कि यह सरकार का गजट है। इससे स्थिति एकदम साफ हो गई है।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह ने आगे बताया कि आगे अगर मंदिर का ASI सर्वे होता है तो आरटीआई में मिला यह जवाब उसमें बड़ा सबूत साबित होगा। उन्होंने कहा कि यह पुरातत्व विभाग के अधिकारियों के द्वारा खुद सूचना दी गई है।

बता दें कि मथुरा का केशवदेव मंदिर अति प्राचीन मंदिर है, लगभग पाँच हजार वर्ष पुराना। कहा जाता है कि जिस जगह पर कंस के कारागार में देवकी के गर्भ से भगवान विष्णु के परमावतार श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, कालांतर में वहीं पर केशवदेव मंदिर का निर्माण हुआ था। श्रीकृष्ण के प्रपौत्र व्रज और व्रजनाभ ने राजा परीक्षित के सहयोग से इस मंदिर का निर्माण कराया था। जिसे समय-समय पर अन्य राजाओं ने इसका जीर्णोद्धार कराया।

हिंदू पक्ष का दावा है कि मुगल आक्रांता औरंगजेब ने 1670 में फरमान जारी करके मथुरा में भगवा केशवदेव के मंदिर को तोड़ने के लिए फरमान जारी किया था। इसके बाद वहाँ शाही ईदगाह मस्जिद बना दी गई। कहा जाता है कि इस मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए औरंगजेब खुद भी आया था।

मथुरा का यह विवाद 13.37 एकड़ जमीन के मालिकाना हक से जुड़ा है। श्रीकृष्ण जन्मस्थानभूमि के पास 10.9 एकड़ जमीन का मालिकाना हक है, जबकि ढाई एकड़ जमीन शाही ईदगाह मस्जिद के पास है। हिंदू पक्ष इस पूरी जमीन पर अपना दावा करता है। हिंदू पक्ष ईदगाह ढाँचे को हटाकर श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर बनाने की भी माँग करता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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