उच्चतम न्यायालय में इस समय राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद मामले की पिछले 23 दिनों से नियमित सुनवाई हो रही है। इस बीच, सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्वाणी अखाड़ा ने एक बार पुनः मध्यस्थता की माँग उठाई है और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त मध्यस्थता पैनल के अध्यक्ष पूर्व न्यायाधीश कलीफुल्ला को पत्र लिखा है। दोनों पक्ष एक बार फिर से कोर्ट के बाहर बातचीत के जरिए इस विवाद को सुलझाना चाहते हैं।
खबर के मुताबिक, मुस्लिम पक्षकारों में से कुछ का मानना है कि राम जन्मभूमि हिंदुओं को देने में कोई आपत्ति नहीं है, मगर इसके बाद हिन्दू किसी अन्य मस्जिद या ईदगाह पर दावा न करें। इसके साथ ही उनका कहना है कि एएसआई के कब्जे वाली सारी मस्जिदें नियमित नमाज के लिए वापस से खोल दी जाएँ।
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— Dainik Jagran News (@JagranNewspaper) September 16, 2019
गौरतलब है कि, इससे पहले भी अयोध्या मामले पर सर्वोच्च न्यायालय ने पहले मध्यस्थता से हल निकालने के लिए पैनल बनाया था। 155 दिनों तक इसके लिए प्रयास भी हुए, किन्तु कोई हल नहीं निकला। सर्वोच्च न्यायालय ने मध्यस्थता के लिए जो पैनल बनाया था उसमें तीन लोग शामिल थे। इसमें शीर्ष अदालत के जज एफएम कलीफुल्ला, सीनियर वकील श्रीराम पंचू और श्री श्री रविशंकर को शामिल किया गया था, किन्तु मध्यस्थता पैनल से कोई समाधान नहीं निकल सका, जिसके बाद अदालत ने प्रतिदिन सुनवाई कर मामले का फैसला लिया है और 6 अगस्त से रोजाना सुनवाई जारी है।
बता दें कि, यह विवाद अयोध्या की 2.77 एकड़ जमीन के मालिकाना हक को लेकर है। 5 जजों की संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है, जिसमें जस्टिस एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड, अशोक भूषण और एस. अब्दुल नजीर भी शामिल हैं। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई इसके अध्यक्ष हैं।