अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण कार्य 2023 में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट अपने ट्विटर हैंडल और वेबसाइट पर लोगों को मंदिर से जुड़ी अहम जानकारियों से अवगत कराता रहता है। राम मंदिर को लेकर अब एक और नई जानकारी सामने आई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंदिर नींव का कार्य पूरा होने के बाद यह शंक्वाकार दिखेगा। बताया जा रहा है कि राम मंदिर नींव की ऊपरी सतह का क्षेत्रफल नीचे की सतह से 35 हजार चार सौ वर्ग फीट कम होगा। वहीं, नींव की अंतिम लेयर जब पूरी होगी तो इसकी ऊपरी सतह 84 हजार छह सौ वर्ग फीट ही बचेगी। इसके बाद ही तराशे गए पत्थर इस पर बिछाए जाएँगे, जिसके बाद उसके ऊपर मंदिर आकार लेगा। इन पत्थरों को 12 से 15 फीट ऊँचाई तक लगाया जाना है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक मंदिर की नींव की निचली सतह एक लाख 20 हजार क्षेत्रफल में है। इस सतह की लंबाई चार सौ फीट तथा चौड़ाई तीन सौ फीट थी, जो ऊपरी सतह तक आते आते 360 फीट लंबी तथा 235 फीट ही बचेगी।
इससे पहले गुरुवार (12 अगस्त) को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने रामलला के लिए 21 किलो चाँदी से खास झूला तैयार कराया था। उन्होंने अपनी ऑफिशियल वेबसाइट और ट्विटर अकाउंट पर इसकी जानकारी दी थी। उन्होंने बताया था कि इस झूले में बैठकर भगवान राम अपने भक्तों को दर्शन देंगे।
In Ayodhya, there is a tradition of Shravan Jhula Utsav. From Shravan Shukla Tritiya till Purnima, Bhagwan Shri Ram gives darshans on a jhula.
— Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra (@ShriRamTeerth) August 12, 2021
Now this 21 kg Silver Jhula has been put in the seva of Bhagwan. pic.twitter.com/eCFDXtaiAO
इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी में इसी साल 15 नवंबर तक पूरा हो जाएगा। पीएम मोदी द्वारा इस ड्रीम प्रोजेक्ट को विधानसभा चुनाव 2022 से पहले तमाम अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस जनता को समर्पित किया जाएगा। बताया जा रहा है कि काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर अर्थात विश्वनाथ धाम का 60 प्रतिशत से अधिक का काम हो चुका है। इस परियोजना के अंतर्गत आने वाले सभी भवन बन चुके हैं। अभी सिर्फ सुंदरीकरण का कार्य चल रहा है।
बता दें कि दिसंबर 2023 से ही श्रद्धालु राम मंदिर में पूजा शुरू कर सकेंगे। मंदिर परिसर में ही म्यूजियम, डिजिटल आर्काइव और एक रिसर्च सेंटर भी स्थापित किया जाएगा। म्यूजियम और आर्काइव के माध्यम से लोग अयोध्या और राम मंदिर के इतिहास के बारे में जान सकेंगे। इसके अलावा हिंदू संस्कृति के बारे में भी बताया जाएगा।