Sunday, November 17, 2024
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राम मंदिर के लिए इकबाल अंसारी भी करेंगे निधि समर्पण, कहा- यह श्रद्धा का सवाल है, इससे पुण्य मिलता है

"धर्म के काम में मेहनत की कमाई लगती है तो भगवान भी खुश होते हैं और अल्लाहताला भी खुश होते हैं। चंदा देने में कोई बुराई नहीं। लोग चंदा दे अब वह चाहे एक रुपए हों या एक लाख रुपए। राम मंदिर में सब का सहयोग होना चाहिए।"

बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी भी भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए समर्पण निधि देंगे। श्रीराम जन्मभूमि समर्पण निधि अभियान पर इकबाल अंसारी ने कहा कि बात राम मंदिर की है। बात धर्म की है। लोग बढ़-चढ़कर चंदा दें। मंदिर- मस्जिद के विवाद में लोग न आएँ।

मस्जिद मामले के पैरोकार रहे हैं इकबाल अंसारी ने कहा, “धर्म के काम में मेहनत की कमाई लगती है तो भगवान भी खुश होते हैं और अल्लाहताला भी खुश होते हैं। चंदा देने में कोई बुराई नहीं। लोग चंदा दे अब वह चाहे एक रुपए हों या एक लाख रुपए। राम मंदिर में सब का सहयोग होना चाहिए। चंदा देने से एक दूसरे की मुसीबत कम होती है। ये श्रद्धा का सवाल है। इससे पुण्य मिलता है। शबाब मिलता है।”

सिर्फ इकबाल अंसारी ही नहीं राम मंदिर निर्माण के लिए मुस्लिम मंच ने भी समर्पण निधि प्रदान की है। मुस्लिम मंच के सदस्य डॉ. तारिक शाह, चाँदनी शाह बानो ने भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए 11 हज़ार रुपए का चंदा प्रदान किया है। यहीं नहीं चाँदनी शाह बानो ने दिल खोल कर राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा देने की अपील की है।

राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट संघ परिवार और विश्व हिंदू परिषद के सहयोग से राम जन्मभूमि समर्पण निधि अभियान संचालित किया जा रहा है। निधि समर्पण अभियान के तहत जगह-जगह कार्यालय खोले गए हैं। इसी कार्यालय से कार्यकर्ता टोलियाँ बनाकर घर-घर जाएँगे और राममंदिर निर्माण के लिए समर्पण निधि की माँग करेंगे।

गौरतलब है कि इससे पहले इकबाल अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार द्वारा धन्नीपुर में आवंटित भूमि पर बनाई जा रही मस्जिद के डिजाइन को अस्वीकार करते हुए इसका विरोध किया था। अंसारी का कहना था कि मस्जिद का डिजाइन विदेशों की तर्ज पर है। और हम भारतीय शैली पर बनी मस्जिद को स्वीकार करेंगे।

इसके अलावा उन्होंने बाबर के नाम से मस्जिद के नामकरण करने के विचार का भी उन्होंने विरोध किया था। इकबाल अंसारी ने कहा कि मस्जिद को बाबर के नाम से नहीं जाना जाना चाहिए क्योंकि वह देश के मुसलमानों का मसीहा नहीं था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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