केंद्र सरकार ने जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और उनके परिवार को ‘Z’ श्रेणी की सुरक्षा कवच प्रदान करने का फ़ैसला किया है। वे राम मंदिर पर फ़ैसला देने वाली सुप्रीम कोर्ट की पाँच जजों की पीठ का हिस्सा थे। दरअसल, जस्टिस नज़ीर और उनके परिवार को पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) से ख़तरे के मद्देनज़र सुरक्षा प्रदान की गई है। सुरक्षा एजेंसियों ने अयोध्या मामले पर फैसला आने के बाद पीएफआई से अब्दुल नजीर और उनके परिवार की जान को खतरा होने को लेकर आगाह किया है।
गृह मंत्रालय ने केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) और स्थानीय पुलिस को निर्देश दिया है कि जस्टिस नज़ीर और उनके परिवार को सुरक्षा प्रदान करें। ANI की ख़बर के अनुसार, PFI से ख़तरे के मद्देनज़र सुरक्षा बल और स्थानीय पुलिस को आदेश दिया गया है कि कर्नाटक व देश के अन्य हिस्सों में जस्टिस नज़ीर के परिवार के सदस्यों को ‘Z’ श्रेणी की सुरक्षा ‘तुरंत’ प्रदान की जाए। आपको बता दें कि PFI एक इस्लामिक संगठन है, जिस पर राजनीतिक हत्याओं, धर्म-परिवर्तन जैसे गंभीर आरोप लगते रहे हैं।
The Centre has decided to provide ‘Z’ category security cover to Justice S Abdul Nazeer, who was part of the SC bench which pronounced the Ayodhya verdict, and his family members in view of the threat from the Popular Front of India (PFI)
— ANI Digital (@ani_digital) November 17, 2019
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जस्टिस नज़ीर को कर्नाटक के कोटा के साथ बेंगलुरु, मंगलुरु और अन्य जगहों पर ‘Z’ श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की जाएगी। इसी तरह, कर्नाटक (बेंगलुरु और मंगलुरु) में रहने वाले उनके परिवार के सदस्यों को भी सुरक्षा दी जाएगी।
बता दें कि ‘Z’ श्रेणी के सुरक्षा कवच के तहत अर्धसैनिक बल के 22 जवान और पुलिस एस्कॉर्ट द्वारा एक व्यक्ति को सुरक्षा घेरे में रखा जाता है। 9 नवंबर को, सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर पर आदेश दिया था। साथ ही मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में एक मस्जिद के निर्माण के लिए पाँच एकड़ भूमि प्रदान करने का निर्देश भी दिया गया था।
रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद के फ़ैसले अलावा, न्यायमूर्ति नज़ीर सर्वोच्च न्यायालय की उस पाँच-सदस्यीय पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने तत्काल ट्रिपल तलाक़ को असंवैधानिक घोषित किया था। जानकारी के अनुसार, 61 वर्षीय न्यायमूर्ति नज़ीर ने 1983 में कर्नाटक उच्च न्यायालय में एक वकील के रूप में अपना करियर शुरू किया था। बाद में उन्हें 2003 में उच्च न्यायालय में अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया। न्यायमूर्ति नज़ीर को 17 फरवरी, 2017 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था।