पूरी दुनिया में कोरोना वायरस संक्रमण की दवा खोजने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में भारत में अश्वगंधा (Ashwagandha), यष्टिमधु (Yashtimadhu), गुडूची पिप्पली (Guduchi Pippali), आयुष-64 जैसे पारंपरिक आयुर्वेदिक दवाओं का क्लीनिकल ट्रायल शुरू किया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह जानकारी दी है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने गुरुवार (7 मई, 2020) को बताया कि स्वास्थ्यकर्मी और उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों पर इनका क्लीनिकल ट्रायल शुरू कर दिया गया है।
यह अध्ययन आयुष मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय और विज्ञान मंत्रालय, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और साथ में आईसीएमआर के तकनीकी समर्थन से पूरा किया जाएगा। साथ ही परीक्षण मौजूदा उपायों के साथ-साथ मानक देखभाल के रूप में किया जाएगा।
#WATCH …Clinical trials of Ayush medicines like Ashwagandha, Yashtimadhu, Guduchi Pippali, Ayush-64 on health workers and those working in high risk areas has begun from today: Union Health Minister Dr Harsh Vardhan #COVID19 pic.twitter.com/dHKUMGCclX
— ANI (@ANI) May 7, 2020
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और आयुष मंत्री श्रीपद नाईक ने गुरुवार को संयुक्त रूप से कोविड-19 से संबंधित तीन केंद्रीय आयुष मंत्रालय आधारित अध्ययनों का शुभारंभ किया। स्वास्थ्य मंत्रालय के सहयोग से आयुष मंत्रालय प्रोफिलैक्सिस के रूप में आयुर्वेद हस्तक्षेपों पर नैदानिक अनुसंधान अध्ययन और कोविड-19 की देखभाल के लिए एक ऐड-ऑन के रूप में लॉन्च किया गया है।
मंत्रालय ने 50 लाख लोगों के लक्ष्य के साथ बड़ी आबादी का डेटा तैयार करने के लिए आयुष संजीवनी मोबाइल ऐप भी विकसित किया है।
उल्लेखनीय है कि चीन कोरोना वायरस के उपचार के लिए पारंपरिक दवाओं से जुड़े उपयोग और अध्ययन को बढ़ावा दे रहा है। जैसा कि चीन से निकले कोरोना वायरस का आधुनिक चिकित्सा में अभी तक कोई इलाज संभव नहीं हो सका है। इस बीच विश्व के कई छोटे-बड़े देश इसकी वैक्सीन विकसित करने के प्रयासों में रात-दिन लगे हुए हैं।
कुछ देशों ने कोरोना वायरस की वैक्सीन पर सकारात्मक परिणाम आने की बात कही है, लेकिन अभी तक कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आ सके हैं। भारत में कई आयुर्वेद विशेषज्ञ और चिकित्सक यह कहते रहे हैं कि तुलसी, अश्वगंधा, गुडूची, पिप्पली आदि जैसे पौधे, जो परंपरागत रूप से बुखार, सर्दी और अन्य संक्रमणों के उपचार के लिए उपयोग किए जाते हैं और प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करते हैं, कोरोना वायरस के उपचार में इनके असर का अध्ययन किया जाना चाहिए।