Monday, November 18, 2024
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मस्जिद से हुआ ऐलान- जो दिखे उसे काट दो… तलवार-डंडों के साथ सड़क पर उतर गई मुस्लिम भीड़: चश्मदीदों ने बताया बहराइच में हिंसा कैसे भड़की

चश्मदीदों के मुताबिक, अब्दुल हमीद के परिवार ने डीजे पर बज रहे गाने को लेकर आपत्ति जताई थी, जिसके बाद पत्थरबाजी शुरू हो गई। विनोद ने बताया कि मस्जिदों से ऐलान हुआ था कि "जो दिखे उसे काट दो," जिसके बाद भारी संख्या में लोग तलवार और डंडे लेकर सड़कों पर उतर आए।

बहराइच जिले के महराजगंज कस्बे में 13 अक्टूबर को दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान हुई हिंसा ने पूरे इलाके को दहला दिया। इस हिंसा में कई लोग घायल हुए, जिनमें विनोद मिश्रा और उनके दिव्यांग भाई सत्यवान मिश्रा भी शामिल हैं। विनोद का हाथ टूट गया है और उनका सिर भी गंभीर रूप से घायल हुआ है। वहीं, उनके भाई सत्यवान, जो 90 प्रतिशत दिव्यांग हैं, भी इस हिंसा में बुरी तरह से घायल हो गए। इलाज के बाद अब दोनों अपने घर लौट आए हैं, लेकिन इस घटना ने उनके दिलों में गहरी चोट छोड़ी है।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया, कैसे हुई हिंसा की शुरुआत

विनोद और सत्यवान ने ‘आजतक’ से बातचीत में बताया कि उस दिन वे दुर्गा प्रतिमा विसर्जन में शामिल थे और डीजे के ठीक पीछे खड़े थे। अचानक अब्दुल हमीद के परिवार की ओर से डीजे पर बज रहे गाने पर आपत्ति जताई गई। जब डीजे नहीं रोका गया, तो डीजे ऑपरेटर को गालियाँ दी गईं और थप्पड़ मारा गया। इसके बाद डीजे की लीड खींच ली गई और दुर्गा प्रतिमा पर पत्थरबाजी शुरू हो गई, जिससे मूर्तियाँ खंडित हो गईं। इस घटना के बाद तनाव बढ़ गया और हिंसा फैल गई।

विनोद मिश्रा बताते हैं कि उस वक्त उन्हें लग रहा था कि वे शायद इस हिंसा में बच नहीं पाएंगे। पत्थरबाजी में कई लोगों के सिर फट गए, तो कई के हाथ टूट गए। बवाल इतना बढ़ गया कि मस्जिदों से ऐलान किया जाने लगा कि “जो दिखे उसे काट दो।” इसके बाद भारी संख्या में इस्लामी कट्टरपंथी तलवार और डंडे लेकर सड़कों पर निकल आए। शोभायात्रा में जा रही भीड़ भी उग्र हो गई और देखते ही देखते हिंसा ने विकराल रूप ले लिया।

विनोद का दावा है कि हिंसा के दौरान उनके घर पर भी हमला हुआ। अब्दुल हमीद के परिवार के लोग उनके घर में घुसने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन किसी तरह से उन्होंने अपनी जान बचाई। दूसरी ओर, रामगोपाल मिश्रा के परिवार पर भी हमला किया गया, जिनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। रामगोपाल को बचाने के लिए लोग हमीद के घर में घुसे थे, लेकिन पत्थरबाजी के कारण उन्हें भी चोटें आईं। विनोद का कहना है कि पुलिस ने अभी तक इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की है, जिससे पीड़ितों को न्याय नहीं मिल सका है।

हिंसा के बाद से ही महराजगंज कस्बे में तनाव का माहौल है। पुलिस और पीएसी की भारी तैनाती कर दी गई है और हर आने-जाने वाले से सख्ती से पूछताछ की जा रही है। जिले में बाहरी लोगों की एंट्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और इलाके में चप्पे-चप्पे पर पुलिस का पहरा है।

बहराइच हिंसा की जड़ें और पुलिस की कार्रवाई

13 अक्टूबर 2024 को बहराइच के महराजगंज कस्बे में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान विवाद शुरू हुआ, जिससे हिंसा भड़क गई। इस हिंसा में रामगोपाल मिश्रा की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इसके बाद कस्बे में लगातार दो दिनों तक हिंसा होती रही, जिसमें उपद्रवियों ने कई दुकानों और घरों में आग लगा दी।

इस हत्याकांड के मुख्य आरोपितों में मोहम्मद सरफराज और मोहम्मद तालिब शामिल थे, जिनकी पुलिस से मुठभेड़ बहराइच के नानपारा बायपास पर हुई। पुलिस ने उन्हें घेरकर जवाबी फायरिंग की, जिसमें दोनों आरोपी घायल हो गए। ये आरोपित नेपाल भागने की फिराक में थे, लेकिन पुलिस ने इन्हें धर दबोचा।

इसके अलावा पुलिस ने पाँच और लोगों में से तीन अन्य मोहम्मद फहीन, मोहम्मद हमीद और मोहम्मद अफजल को भी गिरफ्तार किया। सभी आरोपितों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए रासुका के तहत मामला दर्ज किया गया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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