दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में मंगलवार (24 जनवरी 2023) की देर शाम वामपंथी छात्रों का शुरू किया हुआ बखेड़ा देर रात तक चलता रहा। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) पर आरोप और दिल्ली पुलिस को शिकायत देने के साथ इस पर विराम लग गया है। इस बार भले बवाल की वजह बीबीसी की प्रोपेगेंडा डॉक्यूमेंट्री (BBC Documentary) की स्क्रीनिंग बनी हो, लेकिन इसके पीछे के चेहरे और आरोप वही पुराने हैं।
यूनिवर्सिटी प्रशासन के निर्देशों की अनदेखी कर पहले जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष प्रोपेगेंडा यूनिवर्सिटी की स्क्रीनिंग को लेकर अड़ी। फिर एबीवीपी पर स्क्रीनिंग देख रहे छात्रों पर पत्थरबाजी का आरोप लगाया। कैंपस में हंगामे के बाद बाद वामपंथी छात्रों ने वसंत कुंज पुलिस थाने तक मार्च किया। पुलिस को शिकायत दी। दिल्ली पुलिस ने कहा है कि फिलहाल कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। मामले की जाँच जारी है।
No FIR has been filed yet. We have registered a complaint and inquiry has also been started: Delhi Police
— ANI (@ANI) January 25, 2023
उल्लेखनीय है कि 2020 में भी वह जनवरी का ही महीना था जब वामपंथी छात्रों ने जेएनयू में हंगामा किया था। सर्वर रूम ठप कर लोगों को बंधक बनाया था। संपत्ति को नुकसान पहुँचाया था। तब भी इस बवाल का चेहरा यही आइशी घोष थी। उस समय भी एबीवीपी पर इसी तरह आरोप लगाए गए थे।
इस बार भी जेएनयूएसयू जिस डॉक्यमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर अड़ा हुआ था उस पर सरकार बैन लगा चुकी है। जेएनयू प्रशासन ने शांति और सद्भाव भंग होने की आशंका जताते हुए स्क्रीनिंग पर रोक लगा दी थी। यह भी कहा था कि विश्वविद्यालय प्रशासन से इसकी अनुमति नहीं ली गई है। बावजूद मंगलवार की देर शाम यूनिवर्सिटी का माहौल बिगाड़ने की कोशिश वामपंथी छात्रों ने की। पहले उन्होंने बिजली सप्लाई बंद करने का आरोप लगाते हुए नारेबाजी की और फिर पत्थरबाजी के आरोप लगाते हुए बवाल खड़ा करने की कोशिश हुई।
JNSU president #aishe_ghosh circulated QR code 🤔#BBCDocumentary #JNU #JNUCAMPUS pic.twitter.com/aUtKOmTxbt
— Rahul Sisodia (@Sisodia19Rahul) January 24, 2023
पत्रकार राहुल सिसोदिया ने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें आइशी घोष को कहते हुए सुना जा सकता है, “वे एक स्क्रीन को बंद करेंगे, हम हजार स्क्रीन उनके सामने खोल कर देखेंगे। वे एक व्यूअरशिप बंद करेंगे। हम लाखों व्यूअरशिप उनको देंगे। यह जेएनयूएसयू के विरोध करने का तरीका है। अगर पुलिस में दम है, बीजेपी के लठबाज के पास दम है तो आए यहाँ और स्क्रीनिंग बंद करके दिखाए।” इसके बाद वह सभी से क्यूआर कोड स्कैन करने प्रोपेगेंडा डॉक्यूमेंट्री को देखने को कहती हैं।
Delhi | Students in JNU claim stones were pelted during the screening of banned BBC documentary on PM Modi pic.twitter.com/3apVsq8Ots
— ANI (@ANI) January 24, 2023
मंगलवार देर रात पुलिस स्टेशन के बाहर आइशी घोष ने पत्रकारों से कहा, “हमने शिकायत दर्ज करवाई है। पुलिस ने हमें घटना की जाँच का आश्वासन दिया है। हमने इसमें शामिल सभी व्यक्तियों के नाम और विवरण दिए हैं। फिलहाल, हम विरोध-प्रदर्शन वापस ले रहे हैं। हम जेएनयू प्रॉक्टर कार्यालय में भी शिकायत दर्ज कराएँगे”
Delhi | We filed a complaint, and police assured us they’ll be immediately looking into the incident. We gave the name & details of all the persons involved. As of now, we’re calling off the protest. We’ll also file a complaint at JNU Proctor office: JNUSU President pic.twitter.com/RGprcOoMvW
— ANI (@ANI) January 24, 2023
इससे पहले हैदराबाद यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन और मुस्लिम स्टूडेंट फेडरेशन ने इस प्रोपेगेंडा डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की थी। इस स्क्रीनिंग में दोनों इस्लामी छात्र संगठनों के 50 से अधिक छात्र मौजूद थे। एबीवीपी ने विश्वविद्यालय प्रबंधन से इसकी शिकायत करते हुए आयोजन करने वाले लोगों पर कार्रवाई की माँग की थी। एबीवीपी के अनुसार बिना अनुमति के यूनिवर्सिटी कैंपस के अंदर स्क्रीनिंग की गई थी।
दरअसल, इस डॉक्यूमेंट्री में BBC ने दंगों का दोष वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर डालने की कोशिश की है। यही नहीं, उनकी छवि इस्लाम विरोधी भी दिखाने की कोशिश की है। दो पार्ट में बनाई गई BBC की इस सीरीज में प्रधानमंत्री मोदी और भारत के मुस्लिमों के बीच तनाव की बात कही गई है। बीबीसी ने मोदी सरकार के देश के मुस्लिमों के प्रति रवैए, कथित विवादित नीतियाँ, कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने और नागरिकता कानून को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं।
BBC की डॉक्यूमेंट्री पर सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। सरकार के आदेश के बाद ट्विटर और यूट्यूब से डॉक्यूमेंट्री से संबंधित लिंक हटाए जा रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूट्यूब वीडियो के लिंक वाले 50 से ज्यादा ट्वीट्स को ब्लॉक किया गया है। आईटी नियम, 2021 के तहत इमरजेंसी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए सरकार ने यह कार्रवाई की है।