बिहार के बेगूसराय ज़िले में 22 नवंबर को एक परिवार ने स्थानीय पुलिस स्टेशन में एक लिखित शिक़ायत दर्ज करवाई। शिकायत क्या थी – नाबालिग बेटी अचानक ग़ायब हो गई है, शक़ यह है कि उसका अपहरण उसे पढ़ाने वाले एक ट्यूटर ने किया है। लेकिन मामला इस दो लाइन से कहीं ज्यादा गंभीर है।
इस घटना के एक सप्ताह बीत जाने के बाद अब तक पुलिस ने इस मामले में किसी की गिरफ़्तारी नहीं की है। नाबालिग अभी भी ग़ायब है।
लड़की की माँ ने पुलिस को अपनी शिक़ायत में बताया कि 20 नवंबर को उसकी बेटी समीर कोचिंग सेंटर के लिए अपने दैनिक कार्यक्रम के अनुसार सुबह 9:30 बजे घर से निकली थी। जब वह 12:30 बजे तक वापस नहीं आई, तो वो कोचिंग सेंटर गईं। वहाँ उन्हें पता चला कि उनकी बेटी कोचिंग के मालिक मोहम्मद जसीम उर्फ़ समीर के साथ एक घंटे पहले ही सेंटर से जा चुकी है। तभी से, लड़की का कोई अता-पता नहीं है।
ख़बर के अनुसार, मुफ्फसिल थाना के डुमरी प्रखंड के स्टेशन हाउस ऑफि़सर (SHO) मनीष सिंह ने बताया कि इस मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) संख्या 612/19 में आरोपित के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा-366 (नाबालिग लड़की की खरीद, दस साल तक की कैद की सजा) और 364 (हत्या करने या अपहरण करने के लिए अपहरण, दस साल तक की कैद की सजा) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
सिंह ने बताया कि इस मामले की जाँच चल रही है। इस दौरान न ही जसीम के बारे में कुछ पता चल सका है और न ही नाबालिग लड़की के बारे में कोई जानकारी मिल सकी है।
वहीं, लड़की के परिजनों ने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि पुलिस ने लड़की की तलाश करने में गंभीरता न दिखाते हुए बहुत कम प्रयास किए। परिजनों ने यहाँ तक कहा कि पुलिस इस मामले को नज़रअंदाज़ किया है।
लड़की के परिवारवालों ने कुछ ऐसे दस्तावेज दिखाए हैं, जो मामले की गंभीरता को दर्शाता है। एक दस्तावेज के अनुसार, लगभग एक साल पहले, लड़की का धर्म परिवर्तन करवा कर इस्लाम कबूल कराया गया था। उसका नाम भी बदल दिया गया था और तब उसने जसीम से निक़ाह कर लिया था। जबकि, लड़की हिन्दू है और महतो जाति की है।
परिजनों ने पिछले साल के उस हलफ़नामे को दिखाया, जिसमें लड़की की उम्र 19 साल है। इस हलफ़नामे में यह भी दिखाया गया कि उसने अपनी मर्ज़ी से इस्लाम क़बूल किया है। इसके बाद उसका नाम बदलकर नाज़मा खातून कर दिया गया और 28 अगस्त 2018 को लखमिनिया की एक मस्जिद में मोहम्मद जसीम के साथ उसका निक़ाह हो गया।
वहीं, परिवार ने लड़की के असली आधार कार्ड को भी दिखाया, जिससे हलफनामे में किए गए फर्जीवाड़े का पता चलता है। आधार के अनुसार लड़की की जन्मतिथि 27 फरवरी 2002 है। इस हिसाब से लड़की की उम्र 17 साल की है। फ़र्जी हलफनामे में उसकी उम्र 27 फरवरी 2000 दर्शाई गई है।
लड़की के चाचा ने बताया, “जब हमें दो दिन तक लड़की नहीं मिली, तो हम ट्यूटर के घर गए और उसकी माँ से पूछताछ की। वह कागज़ों का एक ढेर ले आई, जिसमें हमें बताया गया कि जसीम ने लड़की से निक़ाह कर लिया है और कुछ समय में वापस आ जाएगा।”
उन्होंने बताया कि कागज़ात में एक ऐसा दस्तावेज़ भी था, जिसमें दिखाया गया था कि 26 जून 2019 को जसीम ने लड़की के पिता के ख़िलाफ़ बेगूसराय ज़िला अदालत में एक रिपोर्ट दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि लड़की के परिवार वाले उस जोड़े पर लड़की की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ अलग होने के लिए दबाव डाल रहे हैं। इस दस्तावेज़ के मुताबिक जसीम की उम्र 26 वर्ष थी।
लड़की के चाचा ने कहा, “यह बड़ी बेहुदी बात है। हमें जब लड़की के धर्मांतरण और निक़ाह की बात पता ही नहीं थी, तो हम दंपती पर किसी तरह का दबाव कैसे डाल सकते थे? लड़की तो हम सबके साथ ही रह रही थी।”
इसके आगे उन्होंने कहा, “जसीम का परिवार अब फ़रार हो चुका है और उसके घर पर अब ताला लगा हुआ है।”
लड़की के परिजनों ने बेगूसराय में बजरंग दल के 23 वर्षीय कार्यकर्ता शुभम भारद्वाज से सम्पर्क किया। उन्होंने बताया कि ज़िले में पहले भी ऐसे कई मामले देखे गए हैं, जहाँ नाबालिग लड़कियों के उम्र संबंधी फ़र्जी दस्तावेज़ बनाकर उनसे निक़ाह कर लिया गया है।
उन्होंने कहा, “पुलिस को मस्जिद और नोटरी अधिकारी से पूछताछ करनी चाहिए जिन्होंने ग़लत जानकारी के आधार पर इन दस्तावेज़ बनाए। लेकिन, उन्होंने (पुलिस) एक हफ़्ते के बाद भी में कुछ नहीं किया।”