बिहार के भागलपुर में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर आशुतोष पाठक की हत्या कर दी गई। मृतक के परिजनों ने इस हत्याकांड के लिए पुलिस को दोषी ठहराया है। उनका आरोप है कि आशुतोष पाठक दुर्गाष्टमी के दिन अपने परिवार के साथ माता का दर्शन कर लौट रहे थे, तभी उन्होंने एक बैरियर के पास पुलिस से कुछ सवाल कर दिए और गुस्से में पुलिस ने उनके पत्नी व बच्चे के सामने इतना पीटा की उनकी मौत हो गई।
आशुतोष पाठक उर्फ़ अप्पू पाठक भागलपुर के बिहपुर स्थित गोड्डा सिनेमा हॉल चौक के निवासी थे। इस दौरान वो दुर्गास्थान में दुर्गा पूजा में परिवार के साथ माता का दर्शन करने गए थे। परिजनों का आरोप है कि मरवा गाँव लौटते समय एक पुलिस बैरियर के पास उनकी गाड़ी रोकी गई, जहाँ उनकी पुलिस के साथ कहासुनी हुई। उनके भाई सूरज पाठक का कहना है कि पुलिस ने गाली-गलौज के बाद आशुतोष को अपनी गाड़ी में बिठाया और थाने ले जाकर लॉकअप में बंद कर दिया, जहाँ उनके साथ बर्बरता की गई।
पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर आशुतोष पाठक कुछ ही दिनों पहले टायफायड जैसी बीमारी से उबरे थे। इस कारण वो कमजोर भी थे। गोड्डा के कई युवकों ने इस मामले में पुलिस पर कार्रवाई की माँग करते हुए ट्विटर पर ‘जस्टिस फॉर आशुतोष’ ट्रेंड कराया। भागलपुर के सांसद और भाजपा नेता निशिकांत दुबे ने फेसबुक पर आशुतोष पाठक की हत्या मामले में न्याय की माँग करते हुए तस्वीर डाल कर लिखा है, ‘न्याय मिलेगा, पुलिस को होगी फाँसी।‘
मृतक के चाचा प्रफुल्ल पाठक ने ओपी अध्यक्ष को दिए गए शिकायत ज्ञापन में लिखा है कि अक्टूबर 24, 2020 को उनका भतीजा परिवार के साथ लौट रहा था, तभी NH-31 के पास मौजूद पुलिसकर्मी उससे उलझ गए। ज्ञापन में आगे उन्होंने आरोप लगाया है कि थाने में उनके भतीजे के कपड़े उतार कर उसकी पिटाई की गई। साथ ही पुलिस परिजनों से भी बदसलूकी से पेश आई, ऐसा आरोप है। बता दें कि बिहार में फ़िलहाल चुनाव भी चल रहे हैं।
उन्होंने अपनी शिकायत में लिखा है, “जब पुलिस ने आशुतोष को परिजनों के सुपुर्द किया, तब हम उसे लेकर बिहपुर में डॉक्टर राजेश के क्लिनिक लेकर भागे। एम्बुलेंस में हमने आशुतोष को खून से लथपथ देखा।” तत्पश्चात, बेहतर इलाज के लिए भागलपुर स्थित मंगलम हॉस्पिटल में रेफर किया गया। उन्होंने ओपी अध्यक्ष से माँग की है कि उक्त पुलिसकर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए और उन्हें सज़ा दी जाए।
बिहपुर थाना क्षेत्र में लोगों ने कई घंटों तक सड़क पर उतर कर प्रदर्शन किया और पुलिस के खिलाफ आक्रोश जताया। मृतक के चाचा ने बताया कि आशुतोष अपनी पत्नी स्नेहा और अपनी 2 वर्षीय बच्ची को लेकर दुर्गा स्थान से दोपहर के करीब 3 बजे वापस अपने गाँव मड़वा लौट रहे थे, जहाँ रास्ते में महेश स्थान चौक के पास उपस्थित पुलिस अधिकारियों ने उनके भतीजे को रोककर गाली-गलौज की। उन्होंने आगे बताया,
“पुलिस के गाली-गलौज का विरोध करने पर मेरे भतीजे को बिहपुर थानाध्यक्ष रंजीत कुमार मंडल व वहाँ मौजूद अन्य पुलिसकर्मियों ने हथियार के कुंदों एवं लाठी से मेरे भतीजे को पीटा। इस दौरान एक ड्राइवर के साथ पुलिस की ही गाड़ी से मेरे भतीजे को थाना ले जाया गया। इस पूरी घटना को आशुतोष के चचेरे भाई सूरज पाठक ने अपनी आँखों से देखा है और उनके साथ बर्बरता करने वालों को भी उन्होंने पहचाना है। जब वो मरणासन्न स्थिति में आ गया तो उसे हवालात से निकाल कर हमें सौंप दिया गया, जिसके बाद इलाज के दौरान ही उसकी मृत्यु हो गई।”
परिजनों का कहना है कि आशुतोष के शरीर पर घाव व मारपीट के निशान पुलिस की बर्बरता की गवाही दे रहे थे। उनके सिर और नाक से लगातार खून बह रहा था। साथ ही बताया कि छाती पर बन्दूक की नोंक से मारे जाने के भी निशान थे। उनकी पत्नी स्नेहा का कहना है कि जब परिवार वाले लॉकअप में बंद आशुतोष से मिलने गए थे, तब लाख गिड़गिड़ाने के बावजूद उन्हें मिलने नहीं दिया गया।
स्थानीय पोर्टल ‘MaiHuGodda’ के अनुसार, आशुतोष बचपन से पढ़ाई में अच्छे थे और जिला स्तर पर बतौर तेज गेंदबाज क्रिकेट भी खेला था। आशुतोष दो भाई और एक बहन थे और हाल ही में उनके पिता की मौत के बाद घर चलाने के दारोमदार इन्हीं दोनों भाइयों पर आ गया था। उनके दोस्तों का कहना है कि उनका स्वभाव भी बहुत अच्छा था, ऐसे में उनके साथ ऐसा क्यों किया गया, ये उनकी समझ से परे है।
नीचे हम उस वीडियो को संलग्न कर रहे हैं, जिसमें सूरज रो रहे हैं और उनके भाई आशुतोष पाठक जमीन पर पड़े हुए हैं। इस वीडियो में बार-बार पुलिस पर आरोप लगाते हुए सूरज यही पूछ रहे हैं कि बाहर नौकरी करने वाले उनके भाई ने ऐसा क्या किया था कि उन्हें इतनी बेरहमी से मारा गया? इस दौरान वो अपने भाई के शरीर पर ऊपर नाक से लेकर पाँवों तक चोट और जख्म के कई निशान भी दिखाते हैं।
इस पूरे मामले के संज्ञान में आने के बाद नवगछिया के एसपी स्वप्नाजी मेश्राम ने तात्कालिक कार्रवाई की और बिहपुर थानाध्यक्ष रंजीत कुमार मंडल को निलंबित कर दिया है। साथ ही उन्हीं के थाने में उनके खिलाफ परिवार के बयान को आधार बना कर हत्या का मामला दर्ज किया गया है। एसपी ने कहा है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जाँच हो, इसीलिए ये कार्रवाई की गई। पुलिस ने अपनी ‘डेथ रिव्यू रिपोर्ट’ में आशुतोष के शरीर पर चोट व जख्म के निशान मिलने की पुष्टि की है।
ऑपइंडिया ने भी आशुतोष पाठक की हत्या मामले में हुई कार्रवाई के बारे में जानने के लिए भागलपुर के बिहपुर थाने से संपर्क किया, जहाँ थानाध्यक्ष मंडल के सस्पेंड होने की पुष्टि की गई। पुलिस की ‘डेथ रिव्यू रिपोर्ट’ के अनुसार, मृतक के सीना, दोनों पैर के घुटने, नाक पर चोट व खून का दाग और शरीर के पिछले हिस्सों में चोट के कई निशान मिले हैं। भागलपुर रेंज के आईजी सुजीत कुमार खुद इस पूरे मामले की निगरानी कर रहे हैं। उनके निर्देश के बाद ही डेड बॉडी के पोस्टमॉर्टम के लिए मेडिकल टीम का गठन किया गया और पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफ़ी भी हुई।
प्रतिनियुक्त किए गए मजिस्ट्रेट की निगरानी में पोस्टमॉर्टम की पूरी प्रक्रिया संपन्न कराई गई। डीआईजी ने स्पष्ट किया है कि जाँच के साथ कोई कम्प्रमाइज नहीं किया जाएगा और नियम-क़ानून के तहत जाँच होगी, जिसकी रिपोर्ट आते ही उस आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। उधर थानेदार मंडल ने भी मारपीट का आरोप लगाते हुए अपनी नाक पर चोट लगने का दावा किया है। पुलिस ने कहा है कि बिना पक्षपात के जाँच की जाएगी।