राजस्थान के भीलवाड़ा में हिंसा की एक के बाद एक घटनाओं के पीछे किसी गहरी साजिश की बात कही जा रही है। हाल ही में वहाँ आदर्श नाम के एक हिन्दू युवक की मुस्लिम नाबालिगों ने हत्या कर दी थी। न सिर्फ सीने पर चाकू से वार किया गया, बल्कि सरिए से उसका पैर भी तोड़ डाला गया था। उसके बाद आपसी झगड़े में एक अन्य युवक को जख्मी कर दिया गया। हिन्दू नेता पर लोहे की रॉड से हमला किया गया। राजस्थान सांप्रदायिक आग में झुलस रहा है। भीलवाड़ा की घटना के पीछे भी दंगे की साजिश बताई जा रही है।
आदर्श तापड़िया के घर की महिलाओं का रो-रो कर बुरा हाल है। ‘दैनिक भास्कर’ ने अपनी ग्राउंड रिपोर्ट में बताया है कि माँ अब तक सदमे में हैं और बेटे को याद कर के बार-बार बेहोश हो जाती हैं। एक CCTV फुटेज भी सामने आया है, जिसमें तीनों भाई सड़क पर साथ जाते हुए दिख रहे हैं। सबसे छोटा भाई 15 साल का है और उसकी आठवीं की परीक्षाएँ चल रही हैं। बोर्ड की साइंस का पेपर देने वो नहीं जा पाया। 10 मई की घटना को याद कर के ही वो सहम जाता है।
उसने बताया कि जब वो किराने की दुकान पर जूस लेने जा रहा था तो कुछ लड़कों ने उसे पतला बताते हुए टिप्पणी कर दी कि जूस की बोतल भी उससे ज्यादा मोटी है। साथ ही एक घूसा मार कर नीचे गिराने की धमकी भी दी। जब उसने अपने बड़े भाई आदर्श को ये सब बताया तो आदर्श ने जाकर उन लड़कों को समझाया और अपने भाई को भी मारपीट न करने की सलाह दी। घर लौटने पर एक बदमाश फोन कर के उसे धमकी देने लगा।
मँझले भाई मयंक ने उस बदमाश को फोन पर सॉरी भी बोला। इसके बाद रात को 10 बजे जब तीनों भाई जा रहे थे तो आदर्श को रोक कर कुछ लड़कों ने धमकी देनी शुरू कर दी। सबक सिखाने की बात की। छोटे भाई ने बताया कि आदर्श के फोन करने पर मयंक भागा-भागा गया, क्योंकि आदर्श आगे निकल गया था। वहाँ उसने देखा कि बदमाश उसके भाई को पीट रहे हैं। चाकू घोंप कर बदमाश भाग निकले, और वहाँ खून ही खून था।
भीलवाड़ा दंगे का सबसे बड़ा खुलासा:मृतक का भाई बोला- बदमाश जानबूझकर उलझे थे; घर में कमाने वाला अकेला था आदर्श#rajasthan #bhilwarariots https://t.co/TXjzLfzhwh
— Dainik Bhaskar (@DainikBhaskar) May 14, 2022
मामा का कहना है कि निशाना बना कर इस घटना को अंजाम दिया गया है। उन्होंने कहा कि दो गली छोड़ कर ही मुस्लिमों का मोहल्ला शुरू हो जाता है और बच्चों को परेशान किया जाता है, जबकि पुलिस कुछ नहीं करती। 11वीं में पढ़ रहा आदर्श पुलिस भर्ती की तैयारी कर रहा था और स्कूल से आकर किराने की दुकान भी सँभालता था। तीन साल पहले पिता की हार्ट अटैक की मौत से उनकी बाइक रिपेयरिंग की वर्कशॉप बंद हो गई थी। माँ-बेटे ने उसके बाद किराने की दुकान खोल ली थी।