मध्य प्रदेश पुलिस के आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) ने हाल ही में इस्लामी कट्टरपंथी संगठन हिज्ब-उत-तहरीर (HUT) का पर्दाफाश करके इसके कई आतंकियों को गिरफ्तार किया। इस संगठन पर कार्रवाई करने के लिए ATS ने लंबे समय तक इसकी जासूसी की और इसके सदस्यों से दोस्ती की थी।
मध्य प्रदेश पुलिस के एक कॉन्स्टेबल ने इस संगठन के क्रियाकलापों का पर्दाफाश करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उसने जासूस बनकर लगभग 4 महीने तक संगठन के संदिग्धों पर नजर रखी। इसके लिए उसने संगठन में अपनी पैठ बनाई और उनकी गतिविधियों की जानकारी जुटाई।
इस तरह का ऑपरेशन आम तौर पर भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) और इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) ही करती आई है। हालाँकि, इस बार मध्य प्रदेश ATS ने यह कारनामा कर दिखाया और इस तरह के अपने पहले ऑपरेशन में वह सफल भी हुई।
रिपोर्ट के मुताबिक, ATS की योजना के तहत कॉन्स्टेबल संदिग्धों पर नजर रख रहा था। उनमें से एक संदिग्ध रोज सुबह जिम जाता था। कॉन्स्टेबल भी जिम जाने लगा और उससे मेलजोल बढ़ा लिया। धीरे-धीरे उसने संदिग्ध से दोस्ती गाँठ ली। उसके माध्यम से कॉन्स्टेबल HUT में अपनी पैठ बनाता गया।
नई दुनिया की रिपोर्ट के अनुसार, कॉन्स्टेबल ने हिज्ब-उत-तहरीर के सदस्यों के सामने खुद को पढ़े-लिखे व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत किया। कॉन्स्टेबल ने बताया कि वह रोजगार के लिए निजी काम करता है। धीरे-धीरे कॉन्स्टेबल ने HUT सदस्यों को अपनी बातों में ले लिया और उनका विश्वासपात्र बन गया।
अपनी पैठ को और गहरा करने के लिए कॉन्स्टेबल ने कट्टरपंथी सदस्यों के सामने धर्मांतरण करने की भी इच्छा जाहिर की। उसने कहा कि वह मुस्लिम बनना चाहता है। इसके बाद संगठन के संदिग्धों का कॉन्स्टेबल पर विश्वास और बढ़ गया। कॉन्स्टेबल को संगठन की गोपनीय बैठकों में भी बुलाया जाने लगा। उसे कट्टरपंथी किताबें पढ़ने के लिए दी जाने लगीं।
कॉन्स्टेबल कट्टरपंथी बातचीत में भी शामिल होने लगा। इसी तरह एक दिन बातचीत में कॉन्स्टेबल ने खुद को हिंदू बताया और कहा कि वह सनातन धर्म से है, लेकिन जाति आदि के कारण वह खिन्न रहता है। इसलिए उसे इस्लाम पसंद है। इस्लाम में लोग एक-दूसरे से जुड़ जाते हैं।
इन सबके बीच कॉन्स्टेबल अपने अधिकारियों को फीडबैक देता रहा। जब संगठन के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर ली गई और उसके सभी सदस्यों की जानकारी जुटा ली गई तो उन्हें गिरफ्तार करने की रणनीति बनाई गई। ATS ने सभी आरोपितों को एक साथ और एक ही समय में दबोचने की रणनीति अपनाई।
ATS के सूत्रों के अनुसार, एक बार इस कॉन्स्टेबल को HUT के सदस्यों के साथ घूमते हुए ऐशबाग थाने के एक पुलिसकर्मी ने देख लिया था। उस पुलिसकर्मी ने HUT के सदस्य से पूछ लिया, “तेरे पीछे पुलिस क्यों लगी है?” हालाँकि, उसने इसे गंभीरता से नहीं लिया। इसके बाद इन संदिग्धों की गिरफ्तारी को एक महीने के लिए टाल दिया गया था।
बताते चलें कि HUT के 16 सदस्यों को मध्य प्रदेश ATS ने भोपाल, छिंदवाड़ा और हैदराबाद से गिरफ्तार किया था। फिलहाल ये सभी न्यायिक हिरासत में जेल में हैं। इस मामले की जाँच गुरुवार (25 मई 2023) को राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) अपने हाथों में ले ली है। अधिकारियों का कहना है कि इस केस में हैंडलर विदेशों में बैठे हुए हैं।
गिरफ्तार किए गए कुल 16 सदस्यों में से 8 सदस्य ऐसे हैं, जो पहले हिंदू थे। उनका ब्रेनवॉश करके उन्हें मुस्लिम बना दिया गया। इस संगठन के कुछ सदस्यों ने हिंदू लड़कियों से शादी करके उन्हें भी इस्लाम कबूल करवाया है। HUT का प्रमुख सलीम हैदराबाद में ओवैसी के स्वामित्व वाले मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर था।
सलीम मूल रूप से भोपाल का रहने वाला है और उसका पहले का नाम सौरभ राजवैद्य है। साल 2009 में सौरभ की शादी हुई थी। साल 2010 में सौरभ ने इस्लाम कबूल कर लिया था। उस समय उसके घर वालों ने इसका काफी विरोध किया था। सलीम बन चुके सौरभ ने साल 2012 में अपनी पत्नी को भी मुस्लिम बना दिया।
सौरभ के पिता का कहना है कि उनका बेटा पीएचडी करने के बाद भोपाल के एक कॉलेज में प्रोफेसर बन गया था। कॉलेज में पढ़ाने के दौरान कमाल नाम के एक प्रोफेसर से उनके बेटे का संपर्क हुआ और उस प्रोफेसर ने उनके बेटे का ब्रेनवॉश शुरू कर दिया था।