काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) का उर्दू विभाग पोस्टर के बाद एक ऑडियो क्लिप बाहर आने से अभी भी विवादों में बना हुआ है। दरअसल, उर्दू दिवस पर आयोजित वेबिनार के पोस्टर में महामना मदन मोहन मालवीय की तस्वीर की जगह अल्लामा इकबाल की तस्वीर लगाई गई थी जिसपर यूनिवर्सिटी के छात्रों ने विरोध शुरू कर दिया।
BHU उर्दू विभाग के वेबिनार का ऑडियो क्लिप आया सामने, छात्रों ने की प्रशासन से पूरी रिकॉर्डिंग पब्लिक करने की माँग, परिसर में लगे पोस्टर, "BHU को हिन्दू विरोध का अड्डा नहीं बनने देंगे!" pic.twitter.com/tZAURhNh19
— Ravi Agrahari (@Ravibhu09) November 11, 2021
हालाँकि, मामले को तूल पकड़ता देख आर्ट्स विभाग के डीन विजय बहादुर सिंह इस पर माफी माँगते हुए और उर्दू विभाग के अध्यक्ष आफताब अहमद से जवाब माँगा है। साथ ही छात्रों की माँग पर जाँच समिति का गठन कर दिया गया है। जिसे छात्र लीपापोती कमेटी कह रहे हैं।
A three member committee chaired by Prof. K. M. Pandey, Head, Dept. of English, Faculty of Arts, has been formed to inquire the facts into the controversy regarding the e-poster of a #Webinar hosted by Dept.of Urdu on 09.11.2021. @bhupro @VCofficeBHU https://t.co/CGZepFDHEM
— Chander Shekher Gwari (@CSGwari) November 9, 2021
वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन ने बताया, “उर्दू दिवस के अवसर पर उर्दू विभाग द्वारा आयोजित वेबिनार के ई-पोस्टर को लेकर उत्पन्न हुए विवाद के संबंध में तथ्यों को स्पष्ट करने के लिए विभागाध्यक्ष, उर्दू विभाग, को नोटिस जारी किया गया है। इस बारे में तथ्यों की जाँच के लिए प्रो.के.एम.पांडे,विभागाध्यक्ष, अंग्रेज़ी विभाग, की अध्यक्षता में जाँच समिति गठित की गई है। प्रो. बिमलेन्द्र कुमार, विभागाध्यक्ष, पाली एवं बौद्ध अध्ययन विभाग, समिति के सदस्य एवं सहायक कुलसचिव, कला संकाय, सदस्य सचिव होंगे। समिति 3 दिन में रिपोर्ट सौंपेगी।”
इस बारे में तथ्यों की जांच के लिए प्रो.के.एम.पांडे,विभागाध्यक्ष, अंग्रेज़ी विभाग,की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की गई है। प्रो. बिमलेन्द्र कुमार,विभागाध्यक्ष,पाली एवं बौद्ध अध्ययन विभाग,समिति के सदस्य एवं सहायक कुलसचिव,कला संकाय,सदस्य सचिव होंगे। समिति 3दिन में रिपोर्ट सौंपेगी।
— BHU Official (@bhupro) November 9, 2021
वहीं, उर्दू विभाग के अध्यक्ष प्रो. आफताब अहमद आफाकी ने बुधवार (10 नवंबर, 2021) को कहा, “अल्लामा इकबाल को कहाँ-कहाँ से निकालेंगे। इकबाल पर विवाद नहीं होना चाहिए। वह पैदा भारत में हुए और भारत विभाजन से करीब दस साल पहले उनकी मृत्यु हो गई। 1938 में लाहौर में उन्होंने अंतिम साँस ली थी। उन्हें पाकिस्तानी की संज्ञा देना मेरी समझ से परे है। उन्हीं के जन्मदिन को उर्दू दिवस के रूप में मनाया जाता है।” हालाँकि, प्रोफेसर आफताब अहमद ने इस पूरे विवाद पर माफी माँगते हुए कहा है कि उनका उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाना नहीं था।
बता दें कि बुधवार को ही कार्यक्रम का एक ऑडियो क्लिप बाहर आया जिससे मामले ने फिर तूल पकड़ लिया और विश्वविद्यालय परिसर में कई जगह सावरकर विचार मंच द्वारा पोस्टर लगाए गए हैं। तो वहीं उर्दू विभाग द्वारा आयोजित वेबिनार में आपत्तिजनक क्रियकलापो के संदर्भ में ABVP BHU द्वारा कुलपति को ज्ञापन सौंप कर उच्च स्तरीय जाँच की माँग की गई।
कला संकाय के डीन ने जो जाँच कमेटी बनाई है छात्र उसका विरोध करते हुए उसे लीपापोती कमेटी कह रहे हैं। ABVP BHU ने कुलपति से मिल कर यह माँग रखी है कि विश्वविद्यालय अपने स्तर से उच्चस्तरीय जाँच कराए। जिसमें संकाय का कोई भी शिक्षक न रहे। साथ ही छात्रों का कहना है कि इस वेबिनार में आपत्तिजनक विचार भी रखे गए है इसलिए इसकी रिकार्डिंग भी सार्वजनिक की जाए।
इस सम्बन्ध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के एक प्रतिनिधिमंडल ने विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति से भेंट कर तीन सूत्रीय माँग पत्र सौंपा। जिसमें तीन सूत्रीय माँग रखी गई है।
- कला संकाय स्थित उर्दू विभाग द्वार आयोजित वेबिनार की समयबद्ध उच्च स्तरीय जाँच हो। विश्वविद्यालय प्रशासन अपने स्तर पर एक उच्च स्तरीय समिति का गठन करे एवं वेबिनार के माध्यम से किए गए आपत्तिजनक क्रियाकलापों की ज़िम्मेदारी तय करते हुए दोषियों पर कार्रवाई की जाए।
- उक्त वेबिनार की सम्पूर्ण रिकॉर्डिंग को सार्वजनिक किया जाए जिससे वेबिनार में हुई गैर शैक्षणिक एवं आपत्तिजनक चर्चाओं का खुलासा हो सके।
- विश्वविद्यालय प्रशासन यह सुनिश्चित करे कि इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो एवं यह सुनिश्चित किया जाए कि विश्वविद्यालय में आयोजित होने वाले सभी सेमिनार, कॉन्फ्रेंस, वेबिनार की सम्पूर्ण जानकारी कम से कम एक सप्ताह पूर्व विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध रहे।
इस दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, BHU के विभाग संयोजक अधोक्षज पांडेय ने कहा, “काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की परंपरा रही है कि विश्वविद्यालय के हर आधिकारिक कार्यक्रम के पोस्टर में पंडित मदन मोहन मालवीय जी की तस्वीर होती है परन्तु उर्दू विभाग द्वारा आयोजित इस वेबिनार में ऐसा नहीं किया गया बल्कि भारत के विभाजन एवं घोर साम्प्रदायिक विचारों वाले शायर इकबाल की तस्वीर उंस पोस्टर में प्रदर्शित की गई जिससे छात्रो की भावना को ठेस पहुँची। उक्त वेबिनार के दौरान JNU समेत अन्य स्थानों के वक्ताओं ने घोर आपत्तिजनक एवं साम्प्रदायिक वक्तव्य दिया जिससे समाज में वैमनस्यता पैदा हो सकती है। यह विश्वविद्यालय की गरिमा के खिलाफ है एवं विद्यार्थी परिषद इसका सख्त विरोध करता है।“
ABVP के विभाग सह संयोजक अभय प्रताप सिंह ने भी अपनी बात रखते हुए कहा, “उर्दू दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित इस कार्यक्रम को शैक्षणिक न रखते हुए सांप्रदायिक बना दिया गया। इस कार्यक्रम में ऐसे व्यक्ति के महिमामंडन का प्रयास किया गया जो कि भारत देश के विभाजन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले था एवं घोर सांप्रदायिक एवं हिन्दू घृणा से ग्रस्त था। कार्यक्रम के आयोजन में जो बातें सामने आ रही हैं उससे विश्वविद्यालय की छवि को ठेस पहुँची है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद यह माँग करता है कि विश्वविद्यालय प्रशासन इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जाँच करा कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई करे।”