बिहार में इस बार सामान्य से कम बारिश होने के बावजूद वहाँ के कई जिलों में बाढ़ आ गई है। इसके कारण लोग अपने-अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जा रहे हैं। रेलवे लाइन और बस डिपो से लेकर एयरपोर्ट तक में पानी भर गया है। कोसी, गंडक और गंगा नदी उफान पर है। इधर कोसी में 56 साल बाद और गंडक में 21 साल बाद इतना पानी देखने को मिल रहा है। नेपाल में भारी बारिश के कारण बिहार डूब रहा है।
हालात को देखते हुए सरकार और NDRF की टीमें अलर्ट हो गई हैं। बिहार सरकार ने बताया कि नेपाल में भारी वर्षा के कारण रविवार (29 सितंबर 2024) की सुबह 5 बजे कोसी बैराज वीरपुर (नेपाल) से 6,61,295 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। यह साल 1968 के बाद सबसे अधिक पानी छोड़ गया है। राज्य के सीमांचल क्षेत्र के लगभग 13 जिले जलमग्न होने के कगार पर पहुँच चुके हैं। बाढ़ पर नजर बनाए रखने के लिए पटना में वॉर रूम स्थापित किया गया है।
जरूरी सूचना!🚨
— Sanjay Kumar Jha (@SanjayJhaBihar) September 29, 2024
नेपाल में भारी वर्षा के कारण आज सुबह कोसी बराज, वीरपुर से 6,61,295 क्यूसेक जलस्राव हुआ है, जो 1968 के बाद सबसे अधिक जलस्राव है।
इससे उत्पन्न आपदा की घड़ी में बाढ़ से सुरक्षा तथा राहत के लिए जल संसाधन विभाग और जिला प्रशासन की टीमें दिन-रात काम कर रही हैं। यदि आप… pic.twitter.com/sz5p2tIfaa
सोशल मीडिया पर बिहार में आई बाढ़ के कई खौफनाक वीडियो देखने को देखने को मिल रहे हैं। गाँवों में पानी भरा हुआ है। घर-मकान भरभरा कर गिर रहे हैं। लोगों को अब 2008 जैसी बाढ़ की आशंका सताने लगी है। उस समय कुशहा बाँध टूट गया था। दो-तीन लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था, जिससे बाँध टूट गया था। इस बार नेपाल में लगातार बारिश के बाद कोसी बराज से 6.5 लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी छोड़ा जा चुका है।
इस समय बाढ़ का सबसे ज्यादा असर सीतामढ़ी, सुपौल और पश्चिमी चंपारण के इलाके में देखने को मिल रहा है। अररिया में भी बारिश और बाढ़ के कारण पानी रेलवे ट्रैक पर आ गया है। जोगबनी स्टेशन की पटरियाँ पानी में डूब गई हैं। जो जिले प्रभावित हुए हैं उनमें इनमें पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, सारण, मुजफ्फरपुर, वैशाली, शिवहर, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, कटिहार, सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, मधुबनी, दरभंगा, खगड़िया, भागलपुर शामिल हैं।
बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग ने 45 जूनियर इंजीनियर, 25 सहायक इंजीनियर, 17 कार्यपालक अभियंता और 3 अधीक्षण अभियंता को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में तैनात किया है। ये अधिकारी तटबंधों की स्थिति पर कड़ी निगरानी रख रहे हैं और किसी भी आपात स्थिति में तुरंत कार्रवाई के लिए तैयार हैं। तटबंधों की सुरक्षा के लिए चौकसी बढ़ा दी गई है। संवेदनशील क्षेत्रों में इन पर विशेष नजर है।