Friday, November 22, 2024
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8 साल की दुष्कर्म पीड़िता को शिवराज सरकार ने दिया था घर, कॉन्ग्रेस सरकार ने दिया खाली करने का आदेश

कक्षा 3 में पढ़ने वाली दुष्कर्म पीड़िता से बीते 26 जून 2018 को दो लोगों ने स्कूल के पास से अपहरण कर दुष्कर्म किया था। दुष्कर्म के बाद आरोपितों ने उसका गला काटकर उसे मरती हालत में छोड़ दिया और भाग निकले।

मध्यप्रेदश के इंदौर जिले में सामूहिक बलात्कार का शिकार हुई 8 साल की बच्ची को मुआवजे के तौर पर मिले घर को खाली करने के निर्देश जारी किए गए हैं। इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) ने बुधवार को रेप पीड़िता बच्ची को आवंटित हुए घर को खाली करने का निर्देश दिया है। बता दें कि भाजपा सरकार और शिवराज सिंह के कार्यकाल में बच्ची को शहर में एक घर और दुकान आवंटित की गई थी।

आईडीए के अधिकारियों का कहना है कि पिछली भाजपा सरकार ने इसके लिए कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया था, इसलिए घर खाली करना होगा। ख़बरों की मानें तो पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पीड़िता के लिए पुनर्वास पैकेज की घोषणा की थी। जिसके बाद आईडीए ने परिवार को ज़िला प्रशासन में एक घर आवंटित करते हुए बच्ची के पिता को मंदिर स्थल में एक दुकान आवंटित की थी। साथ ही बच्ची और उसके दो भाई बहनों का एक अच्छे स्कूल में दाख़िला भी करवाया था।

स्कूल के पास से अपहरण करके हुआ था दुष्कर्म

कक्षा 3 में पढ़ने वाली दुष्कर्म पीड़िता से बीते 26 जून 2018 को दो लोगों ने स्कूल के पास से अपहरण कर दुष्कर्म किया था। दुष्कर्म के बाद आरोपितों ने उसका गला काटकर उसे मरती हालत में छोड़ दिया और भाग निकले। स्थानीय लोगों को बच्ची ख़ून से लथपथ झाड़ियों में पड़ी मिली थी, जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहाँ 5 महीने इलाज के बाद वह घर वापस लौट सकी थी। बता दें कि दोनों आरोपितों को दोषी पाया गया था और उन्हें सज़ा भी दी गई थी।

कॉन्ग्रेस के आते ही छोड़ना पड़ रहा है घर

पीड़िता के पिता ने कहा कि राज्य में कॉन्ग्रेस की सरकार आई तो लोगों ने कहा कि सरकार बदल गई है, अब घर छोड़ना पड़ेगा क्योंकि पुरानी सरकार ने घर के लिए कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया था। वह कहते हैं कि लोगों की बात सच हो गई, लगता है हमें वापस घर जाना होगा। हमें समझ नहीं आ रहा है कि क्या किया जाए।

आईडीए के एक अधिकारी एनएल महाजन का कहना है कि पिछली सरकार द्वारा की गई घोषणा के बाद घर दिया गया था, लेकिन अभी इसको लेकर मौजूदा सरकार ने कोई आदेश जारी नहीं किया है इसलिए घर खाली करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हमें औपचारिक आदेश के बिना किसी को भी घर सौंपने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने बताया कि परिवार घर में नहीं रह रहा है बल्कि घर को किराए पर दिया गया है ताकि कुछ पैसा मिल सके। ख़ुद के लिए उन्होंने मंदिर के पास घर किराए पर लिया है, जहाँ बच्ची के पिता को दुकान मिली है।

घर खाली करने की बात सामने आने के बाद बच्ची के पिता ने कहा कि उन्हें डर है कि अगले शैक्षणिक सत्र में उनके बच्चों को स्कूल से निकाल दिया जाएगा। उन्होंने कहा, “मैं ₹4.5 लाख की फीस नहीं दे सकता हूँ।” लड़की की माँ ने कहा, “उस दर्द और पीड़ा को राजनेता भूल सकते हैं लेकिन हम अब भी काफी दर्द में हैं। मेरी बेटी अब भी उस आघात से गुजर रही है। वह अब भी नींद में चिल्लाते हुए कहती है ‘मम्मी बचाओ, मम्मी बचाओ’।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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