जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में छात्रों का विरोध-प्रदर्शन दिन प्रतिदिन अधिकाधिक नकारात्मकता से भरता जा रहा है। अब जेएनयू कैम्पस में ब्राह्मणविरोधी नारे लिखे जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हुई है, जिसमें जेएनयू के छात्रों ने कैम्पस में ‘ब्राह्मण, भारत छोड़ो’ लिखा हुआ है। इस आपत्तिजनक नारे के जरिए जेएनयू के छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस फोटो को ट्वीट करते हुए ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के पत्रकार राजशेखर झा ने पूछा कि अगर इस नारे में ब्राह्मण की जगह दलित या मुस्लिम लिखा होता, तब क्या होता?
आगे उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि अगर ब्रह्मण की जगह दलित या मुस्लिम लिखा होता तो कई कथित लिबरल व सेक्युलर लोग ‘नॉट माय इंडिया’ (ये मेरा भारत नहीं हो सकता) जैसी ‘कूल’ बातें लिख कर सोशल मीडिया पर ज़हर फैला रहे होते। लेकिन, ब्राह्मणों के बारे में आपत्तिजनक बातें लिखी गईं और किसी के कानों में जूँ तक न रेंगी। झा ने जेएनयू के छात्रों को सलाह देते हुए कहा कि जिसने भी ऐसा किया है, उसे आत्ममंथन करने की ज़रूरत है। ऐसी घृणास्पद हरकतें विरोध प्रदर्शनों का हिस्सा नहीं होनी चाहिए।
राज शेखर झा ने लिखा कि जिसने भी ये लिखा है, कल को हो सकता है कि कोई उसके समुदाय के बारे में लिख दे। इस तरह से तो सभी आपस में जाति को लेकर लड़ बैठेंगे। उन्होंने ‘ये मेरा भारत नहीं’ वाले गैंग पर निशाना साधते हुए कहा कि वो लोग देश तो नहीं छोड़ेंगे लेकिन यहाँ रह कर आपस में लड़ते-लड़ाते ज़रूर रहेंगे। दुनिया बेहतर करती जाएगी और ऐसे लोग भारत को इन्हीं चीजों में उलझा कर रखे रहेंगे। किसी भी व्यक्ति को किसी अन्य समुदाय के बारे में ऐसी आपत्तिजनक बातें नहीं लिखनी चाहिए।
अभी हाल ही में जेएनयू के छात्रों ने वैज्ञानिक आनंद रंगनाथन को अपने ही डिपार्टमेंट के लैब में घुसने से रोक दिया था। उनके साथ बदतमीजी भी की गई थी। कई अन्य लोगों ने भी ट्विटर पर जेएनयू के ब्राह्मणविरोधी नारे को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई। लोगों ने पूछा कि ये कैसा विरोध प्रदर्शन है, जहाँ देश के ही लोगों को गालियाँ दी जाती हैं और उन्हें भागने को कहा जाता है? जेएनयू में छात्र हॉस्टल फी को 10 रुपए से 300 रुपए प्रतिमाह किए जाने के ख़िलाफ़ हंगामा कर रहे हैं।
You will write this, somebody will write about your community. While no one will leave the country, be rest assured, but we will remain here and keep fighting amongst ourselves as the world proceeds towards better things. Better to do away with contempt for the other community.
— Raj Shekhar Jha (@rajshekharTOI) November 24, 2019
छात्रों के विरोध प्रदर्शन के कारण जेएनयू के डीन उमेश कदम की तबियत बिगड़ गई थी। नारेबाजी के कारण प्रोफेसर कदम की तबियत और बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें एम्बुलेंस से अस्पताल ले जाया गया। एम्बुलेंस के रास्ते में भी छात्र लगातार नारेबाजी करते रहे। इस दौरान प्रोफेसर के बीवी-बच्चे भी वहीं मौजूद थे। इसी तरह छात्राओं ने एक महिला प्रोफेसर के कपड़े फाड़ने का प्रयास किया। महिला पत्रकार के साथ भी छात्रों ने बदतमीजी की। वामपंथी छात्र नेताओं में कैम्पस में सरकार द्वारा सीआरपीएफ के जवानों को तैनात किए जाने की झूठी अफवाह भी फैलाई। वामपंथी छात्रों ने स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा के साथ भी छेड़छाड़ की और उनका अपमान किया था।