देश में बिस्किट बनाने वाली प्रमुख कंपनी ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता स्थित अपनी 77 वर्ष पुरानी फैक्ट्री को बंद करने का निर्णय लिया है। ब्रिटानिया ने इस निर्णय के संबंध में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को सूचित किया है।
ब्रिटानिया ने 20 जून, 2024 को स्टॉक एक्सचेंज को दी गई जानकारी में बताया है कि कोलकाता के तारातला स्थित फैक्ट्री के स्थायी कर्मचारियों ने कम्पनी द्वारा दी गई स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति को स्वीकार कर लिया था। तारातला फैक्ट्री, मुंबई के बाद ब्रिटानिया की भारत में दूसरी सबसे पुरानी फैक्ट्री है। इसकी स्थापना 1947 में हुई थी।
This is not good news – we need industries in Bengal – it’s a state which has good labour power – they need more jobs .. pic.twitter.com/mQurhWdLUW
— pallavi ghosh (@_pallavighosh) June 24, 2024
ब्रिटानिया ने यह भी बताया है कि कम्पनी पर इस फैक्ट्री के बंद होने का कोई असर नहीं पड़ने वाला है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ब्रिटानिया प्रबंधन ने कम्पनी के संविदा कर्मचारियों के साथ VRS को लेकर चर्चा भी शुरू कर दी है।
तारातला फैक्ट्री के बंद होने का असर लगभग 150 कर्मचारियों पर असर पड़ने की उम्मीद है। ब्रिटानिया का यह निर्णय ऐसे समय में सामने आया है जब कम्पनी लागत के मुकाबले मुनाफा निकालने की चुनौतियों से जूझ रही है। इससे पहले मुंबई और चेन्नई में भी ब्रिटानिया की पुरानी फैक्ट्रियों को भी बंद किया गया था।
बताया गया है कि कंपनी ने अपने कर्मचारियों के साथ VRS पर सीधे समझौता कर लिया है और उनकी बचे हुए नौकरी के सालों के आधार पर उनको ग्रेच्युटी और पीएफ के अलावा ₹13 लाख से ₹22 लाख तक के VRS पैकेज की पेशकश की है।
बताया गया है कि ब्रिटानिया ने 2018 में इस फैक्ट्री के 11 एकड़ के प्लॉट के लिए लीज को रिन्यू किया था। यह लीज 2048 तक वैध है। हालाँकि, ब्रिटानिया ने अब इस फैक्ट्री में उत्पादन जारी रखना लागत के अनुरूप नहीं पाया है। तब फैक्ट्री को बंद नहीं किया गया था लेकिन अब यह भी बताया कि ब्रिटानिया इस जमीन के बड़े हिस्से को इसके असल मालिक SMPT (पूर्व में कलकत्ता पोर्ट ट्रस्ट) को जमीन का कुछ हिस्सा वापस करने पर विचार कर रहा है।
इस बीच, ब्रिटानिया के निकलने पर राज्य की विपक्षी पार्टी भाजपा ने भी हमला बोला है। भाजपा आईटी सेल के मुखिया ने कहा है कि बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कॉन्ग्रेस ‘तोलाबाजी’ (अवैध वसूली या कमीशन लेना) और ‘यूनियनबाजी’ में लगी हुई है, जिसके कारण लगातार उद्योग धंधे राज्य से बाहर जा रहे हैं।
Today's shutdown of Britannia Industries' factory starkly epitomizes the descent of Bengal—a region once renowned for its cultural richness and intellectual prowess—into profound disarray.
— Amit Malviya (@amitmalviya) June 24, 2024
The Britannia factory, once a beacon of industrial vitality in Bengal, suffered… pic.twitter.com/K8HCxUlrZG
उन्होंने कहा कि पहले CPM ने इसे बर्बाद किया और फिर TMC ने इसके ताबूत में आखिरी कील ठोंक दी। वहीं दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर भी ब्रिटानिया फैक्ट्री के बंद होने को कई यूजर्स ने राज्य में कुछ साल पहले टाटा के बाहर जाने जैसा बताया है।
Make bombs and baby-jihad, not cars and biscuits.
— Abhijit Majumder (@abhijitmajumder) June 24, 2024
After the landmark Tata Nano fiasco, the iconic #Britannia factory is shutting down in West Bengal.
Disaster after economic disaster. My state’s spiral into doom fills me with shame, anger, and sadness. pic.twitter.com/MoRAyGMPBq
भारत में खाने पीने का सामान बनाने वाली बड़ी कम्पनियों में से एक ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज बंगाल को अपना तीसरा सबसे बड़ा बाजार मानती है, बंगाल कम्पनी के लिए ₹900 करोड़ से अधिक का व्यापार देता है। ब्रिटानिया कोलकाता के अलावा बिहार, ओडिशा, असम और उत्तर प्रदेश में अपने प्लांट चलाती है।
ब्रिटानिया ने 2016 में बंगाल में दूसरी इकाई की योजना पर बातचीत चालू की थी। ब्रिटानिया की योजना थी कि वह 2018 तक इससे उत्पादन चालू कर देगी लेकिन राज्य में कई जगह जमीन की तलाश करने के बावजूद, योजना साकार नहीं ही सकी। वहीं दूसरी तरफ कंपनी ने 2018 में अपने असम प्लांट का उद्घाटन भी कर दिया दिसम्बर 2023 में बिहार में भी एक फैक्ट्री लगा दी।
गौरतलब है कि ममता बनर्जी की वाली टीएमसी सरकार के व्यापार विरोधी रवैये के कारण पश्चिम बंगाल से बाहर निकलने वाली ब्रिटानिया कोई पहली कंपनी नहीं है। इससे पहले टाटा मोटर्स ने भी सिंगूर में टाटा नैनो प्लांट को लेकर विवादों के चलते राज्य छोड़ दिया था।
वर्ष 2006, में बंगाल की वामपंथी सरकार ने सिंगूर और हुगली में लगभग 1,000 एकड़ जमीन अधिग्रहित की थी। इसके बाद, इसने राज्य में रोजगार बढ़ाने के लिए यह जमीन टाटा मोटर्स को दे दी थी। टाटा मोटर्स यहाँ नैनो कार का प्लांट लगाना चाहती थी।
हालाँकि तब बंगाल में विपक्ष की नेता और तृणमूल कॉन्ग्रेस मुखिया ममता बनर्जी ने जमीन अधिग्रहण का विरोध किया था। इसको लेकर काफी बवाल हुआ था। टाटा मोटर्स के शोरूम पर तक हमले हुए थे। परिणामस्वरूप, टाटा मोटर्स को सिंगूर प्लांट को स्थगित करना पड़ा था, टाटा मोटर्स तब तक सिंगूर संयंत्र में ₹1,000 करोड़ से अधिक का निवेश कर चुकी थी।
बंगाल में हुए इस हंगामे के बाद टाटा मोटर्स ने गुजरात के सानंद में अपना प्लांट स्थापित किया था। टाटा मोटर्स ने गुजरात में इस प्लांट का 2010 में उद्घाटन किया था। टाटा नैनो के साणंद प्लांट का उद्घाटन गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और टाटा समूह के अध्यक्ष रतन टाटा ने किया था।