Sunday, December 22, 2024
Homeदेश-समाजदान कर दी ₹200 करोड़ की संपत्ति, गुजरात के इस कारोबारी ने पत्नी समेत...

दान कर दी ₹200 करोड़ की संपत्ति, गुजरात के इस कारोबारी ने पत्नी समेत लिया संन्यास: भिक्षा माँग कर खाएँगे, बेटे-बेटी पहले से इसी रास्ते पर

भावेश भाई भंडारी, उनकी पत्नी समेत कुल 35 लोग एक साथ साबरकांठा के हिम्मत नगर रिवर फ्रंट पर 22 अप्रैल को दीक्षा लेकर भिक्षुक बन जाएँगे। अब वो कोई भी संपत्ति नहीं रख पाएँगे, यहाँ तक कि मोबाइल फोन भी।

गुजरात के साबरकाँठा के रहने वाले व्यापारी भावेश भाई भंडारी और उनकी पत्नी ने सबकुछ त्याग कर जैन धर्म की दीक्षा लेने का फैसला किया है। उन्होंने अपनी 200 करोड़ से अधिक की संपत्ति को दान कर दी है। भावेश भाई भंडारी, उनकी पत्नी समेत कुल 35 लोग एक साथ साबरकांठा के हिम्मत नगर रिवर फ्रंट पर 22 अप्रैल को दीक्षा लेकर भिक्षुक बन जाएँगे। अब वो कोई भी संपत्ति नहीं रख पाएँगे, यहाँ तक कि मोबाइल फोन भी।

साल 2022 में भावेश भाई भंडारी के 16 साल के बेटे और 19 साल की बेटी ने भी संन्यास ले लिया था। इस घटनाक्रम के दो साल बाद अब भावेश भाई और उनकी पत्नी ने संन्यासी जीवन अपनाने का फैसला किया है।

सन्यास से पहले 200 करोड़ की संपत्ति की दान, निकली शोभा यात्रा

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, संन्यासी बनने जा रहे भावेश भाई भंडारी और उनकी पत्नी की साबरकांठा जिले के हिम्मतनगर में धूमधाम से शोभायात्रा निकाली गई। ये यात्रा लगभग 4 किलोमीटर लंबी थी। इसी शोभा यात्रा में भावेश भाई ने अपनी सारी संपति 200 करोड़ रुपये दान में दे दी है। उन्होंने अचानक दीक्षार्थी बनने का फैसला किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, 22 अप्रैल को हिम्मतनगर रिवर फ्रंट पर भावेश भाई और उनकी पत्नी समेत 35 लोग संयमित जीवन जीने का संकल्प लेने वाले हैं।

बेटा-बेटी ने भी दो साल पहले ली थी दीक्षा

भावेश भाई भंडारी और उनकी पत्नी से पहले साल 2022 में उनके 16 साल के बेटे और 19 साल की बेटी ने भी जैन समाज में दीक्षा ली थी। दोनों भाई-बहनों ने संयमित जीवन जीने का फैसला किया था और अब अपने बेटे और बेटी से प्रेरित होकर भावेश भाई और उनकी पत्नी ने सन्यासी बनने का फैसला कर लिया है।

भावेश भाई भंडारी के परिवार का हमेशा से जैन शिक्षा की तरफ झुकाव रखता है। अक्सर इनके परिवार की मुलाकात दीक्षार्थियों और गुरुजनों से होती रहती थी। भावेश भाई और उनकी पत्नी दीक्षा लेने के बाद अपना बाकी का जीवन भिक्षा माँगकर गुजारा करेंगे। इतना ही नहीं इनको पंखा, एसी, मोबाइल फोन जैसी सारी सुख-सुविधाएँ भी त्यागनी पड़ेगी। वो अब जैन धर्म के प्रचार के लिए नंगे पाँव पूरे देश की यात्रा पर भी निकलेंगे।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

नाम अब्दुल मोहसेन, लेकिन इस्लाम से ऐसी ‘घृणा’ कि जर्मनी के क्रिसमस मार्केट में भाड़े की BMW से लोगों को रौंद डाला: 200+ घायलों...

भारत सरकार ने यह भी बताया कि जर्मनी में भारतीय मिशन घायलों और उनके परिवारों से लगातार संपर्क में है और हर संभव मदद मुहैया करा रहा है।

भारत में न्यूक्लियर टेस्ट हो या UN में दिया हिंदी वाला भाषण… जानें अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन कैसे दूसरे नेताओं के लिए भी...

अटल बिहारी वाजपेयी न केवल एक सशक्त राजनेता थे, बल्कि वे एक संवेदनशील कवि, एक दूरदर्शी विचारक और एक फक्कड़ व्यक्तित्व के धनी थे।
- विज्ञापन -