उत्तराखंड के हरिद्वार में हाल ही में आयोजित हुए धर्म संसद में एक समुदाय विशेष को लेकर दिए गए भाषण को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। इस मामले में वसीम रिजवी से जितेंद्र नारायण त्यागी बने उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व प्रमुख के बाद अब साध्वी अन्नपूर्णा और संत धर्मदास के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। वहीं, संतों के बयानों को लेकर अखाड़ा परिषद के प्रमुख रवीन्द्र पुरी ने माफी माँगी है।
वही, शिकायतकर्ता द्वारा रिजवी के खिलाफ UAPA (Unlawful Activities (Prevention) Act, 1967) लगाने के आग्रह पर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा था कि यह मामला UAPA लगाने लायक नहीं है।
DGP अशोक कुमार ने कहा था, “जितेंद्र नारायण के बयान से किसी की हत्या या हिंसा नहीं हुई। इसलिए इस मामले में UAPA एक्ट नहीं लागू होता है। इसी के साथ विवादित वीडियो फेसबुक से हटा दिया गया है। हम नियमानुसार कार्रवाई कर रहे हैं। हमने 153A के 1 और 2 दोनों सेक्शन लगाए हैं। इसी के साथ इस मामले में पुलिस की जाँच भी जारी है।”
बता दें कि उत्तरी हरिद्वार खड़खड़ी स्थित वेद निकेतन में 17 से 19 दिसंबर तक धर्म संसद का आयोजन किया गया था।, जिसमें यति नरसिंहानंद, जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी, संत धर्मदास, साध्वी अन्नपूर्णा समेत कई संत शामिल हुए थे। इस आयोजन का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसको लेकर सोशल मीडिया पर तीखी आलोचना की गई थी।
हरिद्वार के ज्वालापुर निवासी गुलबहार खाँ ने जितेंद्र नारायण त्यागी और अज्ञात के खिलाफ कोतवाली थाने में धार्मिक उन्माद फैलाने का आरोप लगाते हुए शिकायत दी थी। इस मामले में रिजवी के खिलाफ पहले ही मुकदमा दर्ज कर लिया गया था।
शहर कोतवाली प्रभारी राकेंद्र सिंह कठैत ने बताया कि वायरल वीडियो में संत धर्मदास और साध्वी अन्नपूर्णा की भी भूमिका सामने आई है और उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि अब तीन आरोपी नामजद हो गए है, अन्य लोगों के संबंध में जाँच जारी है।
उधर धर्म संसद में शामिल आनंद स्वरूप ने कहा कि वे अपने बयानों पर कायम हैं। उन्होंने कहा कि उनके बयान सुविचारित हैं। अगर कोई बहन-बेटियों से दुष्कर्म करे तो क्या उसे नहीं मार डालेंगे? वक्ताओं ने ऐसे व्यक्तियों को मारने की बात की थी, न कि आम मुसलमान की।
इस पूरे प्रकरण पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवीन्द्र पुरी ने नाराजगी जाहिर करते हुए माफी माँगी है। न्यूज 18 से बातचीत में उन्होंने कहा, “संत महात्माओं ने उत्तेजना में इस तरह की बातें की हैं। ऐसी भाषा का प्रयोग किया जाना उचित नहीं था। संतों की ओर से मैं माफी माँगता हूँ।”