Sunday, November 17, 2024
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‘रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की प्रक्रिया चल रही है’: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दी जानकारी, UPA सरकार ने तोड़ने की बनाई थी योजना

लगभग 48 किलोमीटर लंबे रामसेतु को आदम ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है। इतिहासकारों की मानें तो साल 1480 में आए एक तूफान में यह पुल काफी टूट गया। उससे पहले लोग पैदल और वाहन के जरिए भारत और श्रीलंका आते-जाते थे।

सनातनियों के आस्था के केंद्र रामसेतु (Ram Setu) को लंबे समय से राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की माँग जल्दी ही पूरी हो सकती है। केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) ने शीघ्र ही इसे राष्ट्रीय धरोहर घोषित करेगी। इसकी प्रक्रिया जारी है।

केंद्र सरकार (Central Government) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताया है कि इस ऐतिहासिक धरोहर को राष्ट्रीय विरासत स्मारक घोषित करने की प्रक्रिया संस्कृति मंत्रालय में चल रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी को कहा है कि अगर उनके पास इससे संबंधित कोई अन्य दस्तावेज या सामग्री है तो वो संस्कृति मंत्रालय को दे सकते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि स्वामी चाहें तो मंत्रालय के समक्ष अतिरिक्त बातें रख सकते हैं। इस पर स्वामी ने कहा कि वे अपनी बातें रख चुके हैं।

सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा, “अगर मंत्री जी मुझसे मिलना चाहते हैं तो मिल सकते हैं। अगर मंत्री मिलना नहीं चाहते हैं तो मैं भी किसी से नहीं मिलना चाहता। हम एक ही पार्टी में हैं। यह मुद्दा हमारे घोषणा-पत्र में शामिल था। उन्हें (संस्कृति मंत्रालय) को 6 हफ्ते में फैसला करने दीजिए।”

बता दें कि भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद सु्ब्रमण्यम स्वामी (Subramaniyan Swamy) ने रामसेतु को ऐतिहासिक स्मारक के रूप में मान्यता देने की माँग वाली याचिका दाखिल की थी। इसके बाद उन्होंने साल 2020 में इस याचिका पर जल्द सुनवाई की माँग की थी।

इससे पहले केंद्र सरकार ने 12 जनवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि स्वामी की याचिका पर वह फरवरी के पहले सप्ताह में जवाब दाखिल करेगी। जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने सुनवाई फरवरी के दूसरे सप्ताह में करने की बात कही थी। हालाँकि, मामले को गुरुवार (19 जनवरी 2023) को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर लिया गया।

भाजपा नेता ने स्वामी ने कहा कि वह मुकदमे का पहला दौर उसी समय जीत चुके थे, जब केंद्र सरकार ने रामसेतु के अस्तित्व को स्वीकार किया था। उन्होंने कहा कि उनकी माँग पर विचार करने के लिए 2017 में बैठक संबंधित मंत्री ने बैठक बुलाई थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ।

बता दें कि सुब्रह्मण्यम स्वामी ने इससे पहले की कॉन्ग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल में सेतुसमुद्रम पोतमार्ग परियोजना के खिलाफ जनहित याचिका दायर किया था। यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँचा और उसके बाद साल 2007 मे इस परियोजना पर रोक लगा दी।

रामसेतु तमिलनाडु के दक्षिण-पूर्वी तट के पंबन द्वीप और श्रीलंका के उत्तर-पश्चिमी तट पर मन्नार द्वीप के बीच चूना पत्थर की पुल जैसी श्रृंखला है। 48 किलोमीटर लंबे रामसेतु को आदम ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है। इतिहासकारों की मानें तो साल 1480 में आए एक तूफान में यह पुल काफी टूट गया। उससे पहले लोग पैदल और वाहन के जरिए भारत और श्रीलंका आते-जाते थे।

अमेरिका के साइंस चैनल ने तथ्यों के साथ ये दावा किया था कि भारत और श्रीलंका के बीच मौजूद रामसेतु प्राकृतिक नहीं, बल्कि मानव का द्वारा बनाया गया है। कहा जाता है कि अमेरिका के वैज्ञानिकों को इस बात के प्रमाण मिले हैं कि रामसेतु के पत्थर करीब 7000 साल पुराने हैं। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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