Thursday, November 14, 2024
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स्कूल-कॉलेजों तक पहुँचे कट्टरपंथी समूहों के हाथ: भारत में इस्लाम को फैलाने के लिए दशकों से ले रहे हैं विदेशों से फंडिंग

पीएफआई का हिंसा करने का काफी पुराना इतिहास है। नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के और हिंदू विरोधी दिल्ली दंगों सहित देश भर में हुई हिंसा में पीएफआई की भूमिका संदिग्ध पाई गई और पीएफआई के कई सदस्यों को दंगों में शामिल रहने के लिए गिरफ्तार किया गया था।

कर्नाटक हिजाब विवाद (Karnataka Hijab Controversy) ने एक अभूतपूर्व मोड़ ले लिया है। अब पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और जमात-ए-इस्लामी हिंद जैसे कट्टरपंथी इस्लामवादी संगठन इन विरोध प्रदर्शनों को नियंत्रित कर रहे हैं। कट्टरपंथी इस्लामी संगठन मुस्लिम छात्राओं को राज्य सरकार द्वारा लागू किए गए ड्रेस कोड का उल्लंघन करने और क्लास के अंदर बुर्का पहनने के लिए उकसा रहे हैं।

इससे पहले एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया था कि कैसे कुख्यात कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पीएफाई की छात्र शाखा कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI) और प्रतिबंधित आतंकी संगठन जमात-ए-इस्लामी हिंद से प्रदर्शन करने वाली कुछ मुस्लिम छात्राएँ लगातार संपर्क में थीं और ये इन संगठनों के कहे अनुसार हिजाब पहनकर क्लास में जा रही थीं। इन छात्राओं ने ये भी बताया था कि कॉलेज में हिजाब पहनना उन्होंने दिसंबर 2021 से ही शुरू किया था।

हाल की घटनाओं से स्पष्ट है कि सीएफआई और जमात जैसे कट्टरपंथी इस्लामी संगठन न केवल कॉलेज में मुस्लिम छात्राओं का ब्रेनवॉश करने का प्रयास कर रहे हैं, बल्कि ये संगठन युवा मुस्लिम छात्राओं को पढ़ाई से गुमराह कर उन्हें कट्टर बनाने में सफल रहे हैं।

यह ध्यान देने योग्य है कि केरल और कर्नाटक राज्य में कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया और जमात-ए-इस्लामी हिंद, पीएफआई जैसे संगठनों ने अक्सर मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बनाने पर जोर दिया है। कट्टरपंथी इस्लामी संगठन केरल की तुलना में कर्नाटक में कम सफल रहा है। वहीं, केरल के युवाओं को पीएफआई गुमराह करने में अधिक सफल रहा है।

PFI, जमात को भारत में इस्लाम और कट्टरपंथ को बढ़ावा देने के लिए विदेशों से फंड मिल रहा है: रिपोर्ट

पिछले साल केरल के एक पत्रकार ने सनसनीखेज खुलासा किया था कि कैसे भारत में इस्लामवाद को बढ़ावा देने के लिए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और जमात-ए-इस्लामी जैसे कट्टरपंथी इस्लामी संगठन धन जुटा रहे हैं। एक क्लब हाउस चर्चा में केरल के पत्रकार एमपी बशीर ने देश में कट्टरपंथी इस्लाम को आगे बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय फंडिंग के बारे में भी खुलासा किया था।

अपने खुलासे में बशीर ने कहा था कि उन्होंने जमात-ए-इस्लामी हिंद द्वारा लिखे गए एक पत्र को एक्सेस किया था, जिसमें सऊदी अरब में किंग अब्दुल अजीज यूनिवर्सिटी से कट्टरपंथी इस्लामी संगठन को वित्तीय अनुदान बढ़ाने का अनुरोध किया गया था, ताकि वे केरल और भारत में इस्लामी ड्रेस कोड को बढ़ावा दे सकें। उन्होंने आगे कहा था कि जमात ने कुछ मुस्लिम महिला पत्रकारों के हिजाब नहीं पहनने पर भी आपत्ति जताई थी और कहा था कि बशीर को उन्हें हिजाब पहनने के लिए कहना चाहिए।

इसके अलावा, उन्होंने कहा था कि जमात-ए-इस्लामी हिंद ने महिलाओं के लिए इस्लामी ड्रेस कोड (Islamic dress code) को बढ़ावा देने के लिए भारत में एक योजना शुरू की थी और सऊदी अरब के Jeddah इस इस्लामी यूनिवर्सिटी से पिछले लगभग 30 सालों से धन प्राप्त किया था। पुलवामा हमले में नाम आने के बाद केंद्र सरकार ने इस कट्टर इस्लामिक संस्था को फरवरी 2019 में केंद्र सरकार ने बैन कर दिया था।

कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पीएफआई का हिंसा फैलाने का इतिहास

पीएफआई का हिंसा करने का काफी पुराना इतिहास है। नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के और हिंदू विरोधी दिल्ली दंगों सहित देश भर में हुई हिंसा में पीएफआई की भूमिका संदिग्ध पाई गई और पीएफआई के कई सदस्यों को दंगों में शामिल रहने के लिए गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावा, पिछले साल नवंबर में कट्टरपंथी इस्लामी संगठन PFI ने देश के विभिन्न हिस्सों में दंगों और हिंसा के लिए उकसाने के आरोपित किसानों के विरोध को अपना समर्थन दिया था।

बता दें कि वर्ष 2019 में नागरिकता कानून के खिलाफ देश भर में हो रहे विरोध-प्रदर्शनों में आतंकियों ने भी हिस्सा लिया था। तोड़फोड़, आगजनी, पत्थरबाज़ी और दंगा भड़काने के मक़सद से इंडियन मुजाहिदीन और सिमी से जुड़े कट्टरपंथी आतंकी अपनी पूरी तैयारी के साथ नागरिकता क़ानून के खिलाफ़ हो रहे प्रदर्शनों में शामिल हुए थे। इन प्रदर्शनों के लिए इन संगठनों ने भरपूर फंडिंग भी की थी। यह जानकारी ख़ुफ़िया एजेंसियों के माध्यम से मिली थी, जिसकी पुष्टि दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने की थी।

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