बुर्के पर चल रहे विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता निखिल उपाध्याय ने शीर्ष अदालत से शिक्षण संस्थानों में कॉमन ड्रेस कोड लागू करने की अपील की है। वहीं, स्कूल डेवलपमेंट मैनेजमेंट कमेटी उडुपी के वाइस प्रेसिडेंट यशपाल सुवर्णा ने दावा किया है कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI) के उकसाने के बाद यह पूरा बखेड़ा शुरू हुआ है। CFI पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) की स्टूडेंट विंग है।
उनका दावा है कि विवाद शुरू करने वाली छात्राओं को CFI ने किसी प्राइवेट जगह पर ट्रेनिंग दी। इसी ट्रेनिंग के बाद कथित तौर पर छात्राओं ने नियमों के उल्लंघन और अध्यापकों के साथ बदतमीजी शुरू कर दी। वहीं स्कूल मैनेजमेंट कमेटी के अध्यक्ष और उडुपी से भाजपा विधायक रघुपति भट के अनुसार उन्हें हैदराबाद के इंटरनेट कॉल से धमकियाँ आ रही हैं। विधायक के अनुसार ऐसा पाकिस्तान के न्यूज़ चैनलों और अल जजीरा पर खबर चलने के बाद से हो रहा है।
BJP leader Yashpal Suvarna says if possible CFI should make women in Muslim community to get access to visit mosques before talking about their other rights@XpressBengaluru @KannadaPrabha #Hijab #HijabRow pic.twitter.com/ijlMMVNS3N
— Prakash Samaga (@prakash_TNIE) February 11, 2022
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुवर्णा का दावा है कि उडुपी के कॉलेज में बुर्के में आने वाली छात्राओं को CFI ने उकसाया था। इसके बाद उन्होंने शिक्षकों के साथ अभद्रता शुरू की। पहले ये छात्राएँ भी दूसरी छात्राओं की तरह यूनिफॉर्म में आती थीं। लेकिन CFI और उसके जैसे अन्य मुस्लिम संगठनों के उकसाने के बाद उन्होंने इस मसले पर हंगामा शुरू किया।
इंडिया टुडे से बात करते हुए यशपाल ने बताया, “मेरे हिसाब से स्कूल मैनेजमेंट छात्रों के हित को ध्यान में रख कर नियम बनाता है। 30 दिसम्बर तक ये छात्राएँ, सामान्य छात्राओं की तरह ही स्कूल ड्रेस पहनती थीं। लेकिन 31 दिसंबर से अचानक ही इन्होने नियमों का उल्लंघन करना शुरू कर दिया। ये नियम 2004 से लागू हैं। एडमिशन लेते समय भी इन छात्रों ने सभी नियम मानने की स्वीकृति दी थी। ये तमाम लोग असमाजिक तत्वों के बहकावे में आ रही हैं। हमने हंगामा करने वाली छात्रों को बता दिया है कि अगर आप यहाँ के नियमों से संतुष्ट नहीं है तो अपनी TC ले कर जहाँ कहीं और अच्छा लगे वहाँ पढ़ने जा सकती हैं। हम नियमों के साथ कोई भी समझौता नहीं करने वाले हैं।”
Listen in to what Yashpal Suvarna,V-P, Udupi, College Development Panel, said on #HijabRow, in an exclusive conversation with India Today’s @nabilajamal_ #Karnataka pic.twitter.com/QDe58V9wgW
— IndiaToday (@IndiaToday) February 10, 2022
वहीं निखिल उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में एक PIL दाखिल करते हुए देश के सभी शैक्षणिक संस्थाओं में समान ड्रेस कोड लागू करने के लिए सरकार को निर्देश देने की माँग की है। याचिका में समान ड्रेस कोड को राष्ट्रीय एकता और समानता के लिए जरूरी बताया गया है। याचिका में कहा गया है कि समान ड्रेस कोड लागू होने पर हिंसा में कमी आएगी और पढ़ने का माहौल और बेहतर बनेगा। PIL में अमेरिका, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देशों का हवाला दिया गया है जहाँ स्कूलों में कॉमन ड्रेस कोड लागू है। याचिकाकर्ता भाजपा नेता एडवोकेट अश्वनी उपाध्याय के बेटे हैं।
नोट: भले ही इस विरोध प्रदर्शन को ‘हिजाब’ के नाम पर किया जा रहा हो, लेकिन मुस्लिम छात्राओं को बुर्का में शैक्षणिक संस्थानों में घुसते हुए और प्रदर्शन करते हुए देखा जा सकता है। इससे साफ़ है कि ये सिर्फ गले और सिर को ढँकने वाले हिजाब नहीं, बल्कि पूरे शरीर में पहने जाने वाले बुर्का को लेकर है। हिजाब सिर ढँकने के लिए होता है, जबकि बुर्का सर से लेकर पाँव तक। कई इस्लामी मुल्कों में शरिया के हिसाब से बुर्का अनिवार्य है। कर्नाटक में चल रहे प्रदर्शन को मीडिया/एक्टिविस्ट्स भले इसे हिजाब से जोड़ें, लेकिन ये बुर्का के लिए हो रहा है।