राजस्थान में बिजली संकट का खतरा बढ़ता जा रहा है। कोयले की आपूर्ति न होने के कारण प्रदेश में 23 थर्मल स्टेशनों में से 11 ने बिजली उत्पादन करना बंद कर दिया है। कई जिले में तो कई घंटों बिजली गायब होती है। स्थानीय शिकायत देते हैं लेकिन अधिकारी कोई सुनवाई नहीं करते। राज्य के ऐसे हालातों को देख डर है कि कहीं दीवाली तक राजस्थान में अंधेरा न छा जाए।
राजस्थान में बिजली घरों की 11 यूनिट बंद
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान में कोयला आपूर्ति न होने पर बिजली घरों की जिन 11 यूनिस्ट को बंद किया गया है उनमें 4 तो सूरतगढ़ थर्मल पावर प्लांट की हैं। वहीं 3- कोटा थर्मल पावर प्लांट की और 3 राजवेस्ट की हैं। इसी तरह छबड़ा थर्मल पावर प्लांट और रामगढ़ की 1-1 यूनिट को भी बंद किया गया है।
इन 11 यूनिट के बंद होते ही राज्य में 2400 मेगालाट कैपेसिटी बिजली का उत्पादन थम गया है। अधिकारी बता रहे हैं कि हर दिन करीब 30 हजार मीट्रिक टन से अधिक कोयले की आपूर्ति में कमी आने के कारण ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हुई है। कोयला खत्म होने के पीछे विभागीय अधिकारियों की लापरवाही की बात भी सामने आई है।
कितनी बिजली की आवश्यकता, कितनी शेष
खबर में राजस्थान ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड की असेसमेंट रिपोर्ट का हवाला देकर कहा गया है कि साल 2022-23 के पीक आवर्स में बिजली की डिमांड 17757 मेगावाट पहुँच सकती है जबकि उपलब्ध कैपेसिटी मात्र 12847 रह पाएगी। ऐसे में राजस्थान के लोगों को कोयला सप्लाई और बिजली प्रोडक्शन के रुकने के चलते लंबे पावर कट की परेशानी को झेलना पड़ सकता है।
फिलहाल, हालातों को सुधारने के लिए दीवाली मेंटेनेंस के नाम पर रोज 4 घंटे बिजली कटौती कई ब्लॉक में की जा रही है। पिछले कई दिनों से ऐसा प्रदेश में चल रहा है। ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में यदि छोड़ दें तो पावर कट की समस्या शहरी इलाकों में भी बनी हुई है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, राज्य में 1 करोड़ 47 लोग राज्य में बिजली उपभोक्ता हैं। सभी को बिजली की समस्या से जूझना पड़ रहा है। अधिकारी बता रहे हैं कि उनके पास 4 दिन का कोयला बाकी बचा है जो कि केंद्र की गाइडलाइंस का उल्लंघन है। केंद्र द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार, प्रदेश के पास कम से कम 26 दिन का स्टॉक होना ही चाहिए।
छत्तीसगढ़ में माइनिंग के काम पर लगी रोक
बता दें कि राजस्थान में बिजली और कोयले को लेकर ये जो सारी परेशानियाँ सामने आ रही हैं, इसके पीछे की जड़ छत्तीसगढ़ है। दरअसल राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को कोयला आपूर्ति के लिए छत्तीसगढ़ में ‘पारसा ईस्ट एंड कांटा बासन कोल ब्लॉक’ नामक माइंस अलॉट हो रखी है। लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने सरजुगा में 841 हेक्टेयर के एक्सटेंशन ब्लॉक में माइनिंग पर रोक लगा रखी है।
यहाँ माइनिंग की शुरुआत न हो पाने का कारण- आदिवासियों से लेकर स्थानीय नेताओं और गैर सरकारी संगठनों का विरोध, जल-जंगल-जमीन से जुड़े आंदोलन और छत्तीसगढ़ सरकार में ही चल रहे अंदरूनी कलह है। इन्हीं कारणों से न कोयला निकल पा रहा है और न ही राजस्थान के पावर प्लांट तक पहुँच पा रहा है।
कॉन्ग्रेस सरकार (छत्तीसगढ़) नहीं सुन रही कॉन्ग्रेस सरकार (राजस्थान) की गुहार
राजस्थान में कॉन्ग्रेस की सरकार होने के बावजूद मंत्री इस संबंध में छत्तीसगढ़ की कॉन्ग्रेस सरकार से बात करके समस्या का समाधान खोजने का प्रयास नहीं कर रहे। वे केंद्र से गुहार लगा रहे हैं कि उनकी मदद की जाए। केंद्र ने भी इस संबंध में हालात देखते हुए उनकी कुछ माँगों को माना है। जैसे 3 रैक कोयले की मदद देते हुए उन्होंने राजस्थान सरकार से कहा है कि वह छत्तीसगढ़ की कॉन्ग्रेस सरकार से बात करके मामले को सुलझाएँ।
जानकारी के मुताबिक राजस्थान के सभी पावर प्लांट्स को चलने के लिए 37 रैक (1 रैक में 4000 मीट्रिक टन) कोयले की प्रतिदिन सप्लाई चाहिए लेकिन कुछ दिन पहले वह घटकर केवल 20 रैक रह गया था और अब वह और कम होकर 14 हो गया है।