Sunday, November 17, 2024
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‘कर्नल बेटा चला गया’: अनंतनाग में बलिदान हुए मनप्रीत सिंह ने ही किया था बुरहान वानी को ढेर; 2021 में मिला वीरता पदक; सेना से जुड़ा है पूरा परिवार

कर्नल मनप्रीत का पूरा परिवार सेना से जुड़ा है। उनके पिता लखमीर सिंह सेना से बतौर सिपाही भर्ती हुए थे और हवलदार के रूप में रिटायर हुए थे। साल 2014 में उनकी मौत हो गई। वहीं, कर्नल मनप्रीत के दादा स्वर्गीय शीतल सिंह, उनके भाई साधु सिंह और त्रिलोक सिंह सेना से रिटायर्ड थे। उनके चाचा भी सेना से रिटायर हैं।

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में मंगलवार (12 सितंबर, 2023) को भारतीय सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच हुई मुठभेड़ में 3 अधिकारी वीरगति को प्राप्त हो गए थे। इनमें कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धोंचक और DSP हुमायूँ भट्ट शामिल हैं। मुठभेड़ में 2 आतंकी भी मार गिराए गए थे। बलिदान हुए कर्नल मनप्रीत सिंह बलिदान होने से कुछ देर पहले ही अपने घरवालों से बात की थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मूल रूप से पंचकुला के रहने वाले कर्नल मनप्रीत सिंह के परिवार में उनकी माँ, पत्नी और दो बच्चे हैं। उनका बेटा 6 साल, जबकि बेटी ढाई साल की है। पत्नी जगमीत ग्रेवाल टीचर हैं। वीरगति प्राप्ति की सूचना के बाद कर्नल मनप्रीत के घर और गाँव में माहौल गमगीन है।

कर्नल मनप्रीत के पिता लखमीर सिंह सेना से बतौर सिपाही भर्ती हुए थे और हवलदार के रूप में रिटायर हुए थे। साल 2014 में उनकी मौत हो गई। वहीं, कर्नल मनप्रीत के दादा स्वर्गीय शीतल सिंह, उनके भाई साधु सिंह और त्रिलोक सिंह सेना से रिटायर्ड थे। उनके चाचा भी सेना से रिटायर हैं।

मीडिया से बात करते हुए कर्नल सिंह की माँ ने कहा, “मेरा कर्नल शहीद हो गया। मेरे दिल का टुकड़ा शहीद हो गया। रविवार को मेरी बात हुई थी। तब मनप्रीत ने कहा था कि मैं सो कर उठा हूँ मम्मी, तुम भी आराम कर लो।” कर्नल सिंह अगले महीने अपने बेटे के जन्मदिन पर घर आने का वादा किया था।

मनप्रीत के ससुर जगदेव सिंह ने कहा, “हम इस समय बहुत ज्यादा दुःखी हैं। मनप्रीत 3 साल पहले प्रमोशन पाकर कर्नल बने थे। पिछले साल उन्हें सेना मेडल मिला था।” तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े मनप्रीत सिंह का पार्थिव शव 14 सितंबर 2023 को शाम तक मोहाली लाया जा सकता है।

मोहाली से उनका शव अंतिम संस्कार के लिए उनके पैतृक गाँव भारांजिया ले जाया जा सकता है। मनप्रीत के बहनोई वीरेंद्र ने मुठभेड़ के दिन ही उनसे 6:45 शाम के आसपास फोन पर बात करने की बात कही। तब जवाब में मनप्रीत सिंह ने कहा, “अभी मैं कॉर्डन में हूँ। बाद में बात करता हूँ।”

मनप्रीत के भाई संदीप सिंह ने बताया कि 6 दिन पहले उनके भाई ने एक काम सौंपा था। उसी काम के सिलसिले में उन्होंने घटना के दौरान अपने भाई को कॉल किया। हालाँकि, तब मनप्रीत सिंह का फोन नहीं उठा और कुछ ही देर बाद उनके वीरगति की खबर आई।

41 वर्षीय कर्नल सिंह उस बटालियन का नेतृत्व कर रहे थे, जो आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही थी। मनप्रीत सिंह 12वीं सिख लाइट इन्फेंट्री से थे। आतंकियों को मार गिराने के लिए उन्हें साल 2021 में वीरता पदक दिया गया था। साल 2016 में आतंकवादी बुरहान वानी को भी उन्होंने ढेर किया था। कर्नल मनप्रीत साल 2003 में CDS की परीक्षा पास कर ट्रेनिंग के बाद 2005 में लेफ्टिनेंट बने थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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