Monday, November 18, 2024
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‘गालीबाज’ देवदत्त पटनायक के खिलाफ पुरी जगन्नाथ मंदिर के बारे में झूठ फैलाने पर शिकायत दर्ज: जानें क्या है मामला

“यह ऐसी टिप्पणी है, जिसे जानबूझकर जगन्नाथ मंदिर और हिंदू परंपराओं को बदनाम करने के लिए किया गया है। इस व्यक्ति का हिंदू देवताओं और हिंदू धर्म का बार-बार अपमान करने का इतिहास है। श्री जगन्नाथ मंदिर में किसी भी हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख के प्रवेश पर कोई प्रतिबंध नहीं है।”

फर्जी ‘माइथोलॉजी’ एक्सपर्ट देवदत्त पटनायक के खिलाफ ओडिशा के भुवनेश्वर में शिकायत दर्ज कराई गई है। पटनायक के खिलाफ यह शिकायत ओडिशा के पुरी जगन्नाथ मंदिर के बारे में फर्जी खबरें और झूठ फैलाकर हिंदू समाज में जाति के आधार पर विभाजन को लेकर की गई है।

कार्यकर्ता अनिल बिस्वाल ने पुरी के भगवान जगन्नाथ के खिलाफ झूठे और अपमानजनक ट्वीट करने और जगन्नाथ भक्तों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए ओडिशा के भुवनेश्वर में राजधानी पुलिस स्टेशन में विवादास्पद लेखक देवदत्त पटनायक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।

कार्यकर्ता अनिल बिस्वाल ने ट्विटर पर बताया कि देवदत्त पटनायक ने पुरी जगन्नाथ मंदिर की परंपराओं के खिलाफ झूठ फैलाया है, जिसका उद्देश्य जाति के आधार पर हिंदुओं के बीच विभाजन करना है।

उन्होंने कहा, “यह ऐसी टिप्पणी है, जिसे जानबूझकर जगन्नाथ मंदिर और हिंदू परंपराओं को बदनाम करने के लिए किया गया है। इस व्यक्ति का हिंदू देवताओं और हिंदू धर्म का बार-बार अपमान करने का इतिहास है। श्री जगन्नाथ मंदिर में किसी भी हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख के प्रवेश पर कोई प्रतिबंध नहीं है।”

इससे पहले, देवदत्त पटनायक ने यह कहकर विवाद को जन्म दिया था कि पुरी जगन्नाथ मंदिर में दलितों को प्रवेश करने की अनुमति नहीं है।

पटनायक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराते हुए, बिस्वाल ने कहा कि स्व-घोषित ‘माइथोलॉजिस्ट’ द्वारा की गई टिप्पणी न केवल झूठी है, बल्कि लाखों जगन्नाथ भक्तों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के इरादे से की गई है।

उन्होंने कहा कि हर दिन एससी, एसटी, ओबीसी सहित सभी संप्रदायों के हजारों भक्त श्री मंदिर में जाते हैं और पुरी जगन्नाथ मंदिर में किसी भी तरह के जाति आधारित भेदभाव का कोई मुद्दा नहीं है। उन्होंने कहा, “यह पूरी तरह से गलत आरोप है कि दलितों को श्री जगन्नाथ मंदिर में जाने की अनुमति नहीं है।”

अपनी शिकायत में, अनिल बिस्वाल ने ओडिशा पुलिस से भक्तों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए आईपीसी की धारा 295 ए, 500, 505, और आईटी अधिनियम धारा 67 के तहत लेखक के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।

बता दें कि देवदत्त पटनायक के ट्वीट की काफी निंदा की गई थी। पुरी जगन्नाथ मंदिर जाति के आधार पर भेदभाव नहीं करता है। यहाँ पर सेवादारों की एक महत्वपूर्ण संख्या गैर-ब्राह्मण हैं।

2018 में, कुछ झूठी मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया था कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को उनकी जाति के कारण पुरी जगन्नाथ मंदिर के अंदर ‘गलत व्यवहार’ किया गया था। हालाँकि, वे रिपोर्ट झूठी थीं और राष्ट्रपति भवन ने ऐसी किसी भी घटना से इनकार किया था। राष्ट्रपति और प्रथम महिला ने मंदिर का दौरा किया था और गर्भगृह के पास दर्शन किया था जैसा कि सभी भक्त करते हैं।

देवदत्त पट्टनायक: सोशल मीडिया पर फेक न्यूज़ और गालियाँ

देवदत्त पटनायक का सोशल मीडिया वेबसाइटों पर लोगों को गाली देने का इतिहास है। इसके अलावा उन्हें अक्सर मान्यताओं को लेकर झूठ बोलते हुए पाया गया है। देवदत्त पट्टनायक का उन लोगों के साथ दुर्व्यवहार करने का इतिहास रहा है जो उनके विचार के अनुरूप नहीं हैं। ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं जब तथाकथित इतिहासकार ने सोशल मीडिया पर भद्दे कमेंट और अभद्र गालियों का उपयोग किया है। पटनायक ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के बारे में भी झूठे दावे किए थे और हिंदुओं और हिंदुत्व का उपहास करने और उन्हें अपमानित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। उनके घृणित अपमानजनक व्यवहार और हिंदू विरोधी रवैये के कारण, सोशल मीडिया यूजर्स ने उन्हें भारत सरकार द्वारा प्रायोजित एक साहित्यिक कार्यक्रम के लिए आमंत्रित करने पर नाराजगी व्यक्त की थी।

हिन्दूफोबिया से ग्रसित देवदत्त पटनायक, जिन्हें सोशल मीडिया पर कुछ लोग देवदत्त ‘नालायक’ भी कहते हैं, ने पिछले दिनों भगवान हनुमान का मजाक बनाया था। उन्होंने ट्विटर पर लिखा था कि रामायण के बारे में जो नई बातें सामने आ रही हैं, उसने हिंदुत्व ब्रिगेड को आक्रोशित और बेचैन कर दिया है। उन्होंने लिखा कि भगवान श्रीराम नेपाल के थे और रावण श्रीलंका का था। साथ ही आगे लिखा कि भारत बंदरों का देश है। इस ट्वीट के साथ देवदत्त पटनायक ने भगवान हनुमान का चित्र डाला था, जो बताता है कि वो उनका अपमान करने के लिए ऐसा कर रहे हैं। लोगों ने उनके इस ट्वीट की जम कर निंदा की थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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