कॉन्ग्रेस नेता जगदीश टाइटलर की मुश्किलें बढ़ गई हैं। दिल्ली की एक अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में शुक्रवार (13 सितंबर 2024) को टाइटलर के खिलाफ हत्या और अन्य गंभीर अपराधों के आरोप तय किए। विशेष न्यायाधीश राकेश सियाल ने यह निर्देश दिया कि टाइटलर को अब इन आरोपों का सामना अदालत में करना होगा, क्योंकि उन्होंने इन अपराधों के लिए खुद को निर्दोष बताया है। अदालत का यह आदेश सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले के संबंध में आया है।
प्रत्यक्षदर्शी गवाह के बयान
अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में शुक्रवार को जगदीश टाइटलर के खिलाफ हत्या और अन्य अपराधों के आरोप तय किए, लेकिन जगदीश ने आरोपों से इनकार कर दिया। जिसके बाद विशेष न्यायाधीश राकेश सियाल ने निर्देश दिया कि टाइटलर द्वारा अपराध के लिए दोषी न होने की बात स्वीकार करने के बाद उन्हें मुकदमे का सामना करना पड़ेगा। उन पर मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत है।
इससे पहले, 30 अगस्त को अदालत ने कहा था कि टाइटलर के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। इस मामले में एक गवाह ने आरोप लगाया था कि 1 नवंबर, 1984 को टाइटलर ने गुरुद्वारा पुल बंगश के पास एक सफेद एम्बेसडर कार से उतरकर भीड़ को उकसाया। गवाह के अनुसार, टाइटलर ने भीड़ से कहा, “सिखों को मारो, उन्होंने हमारी माँ को मार डाला है”, जिसके बाद हिंसा भड़क गई। इस उकसावे का परिणाम तीन लोगों की हत्या के रूप में सामने आया।
कोर्ट ने कहा- सबूत पर्याप्त
अदालत ने टाइटलर के खिलाफ हत्या, गैरकानूनी सभा, दंगा, विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने, घर में अतिक्रमण और चोरी जैसे गंभीर अपराधों के तहत आरोप तय किए हैं। इन सभी आरोपों के तहत अब टाइटलर को कानूनी प्रक्रिया से गुजरना होगा, जहां उन पर मुकदमा चलेगा।
1984 के सिख दंगों में भूमिका
1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद पूरे देश में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे थे, जिसमें दिल्ली सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ था। इन दंगों में हजारों सिखों की हत्या कर दी गई थी और सैकड़ों गुरुद्वारों और घरों को लूटा व जलाया गया था। कॉन्ग्रेस के कई नेताओं पर इन दंगों में शामिल होने और भीड़ को उकसाने के आरोप लगे थे, जिनमें से एक प्रमुख नाम जगदीश टाइटलर का भी है।
जगदीश टाइटलर कौन हैं?
जगदीश टाइटलर कॉन्ग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ नेता हैं। उनका राजनीतिक करियर कई दशकों का है और वे दिल्ली में कई बार सांसद रह चुके हैं। टाइटलर का नाम 1984 के सिख विरोधी दंगों के बाद से विवादों में रहा है, जब उन पर आरोप लगे कि उन्होंने दंगों के दौरान सिख समुदाय के खिलाफ भीड़ को उकसाया।
टाइटलर का जन्म 11 जनवरी, 1944 को हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा दिल्ली में प्राप्त की और भारतीय राजनीति में कॉन्ग्रेस के टिकट पर प्रवेश किया। 1980 के दशक में, टाइटलर दिल्ली की राजनीति में उभरे और केंद्र सरकार में भी मंत्री रहे। हालाँकि सिख दंगों से जुड़ी विवादित घटनाओं के कारण उनका राजनीतिक करियर कई बार प्रभावित हुआ है। उनके खिलाफ आरोपों के चलते कॉन्ग्रेस ने भी कई बार उन्हें जिम्मेदार पदों से हटाया है।
जगदीश टाइटलर के खिलाफ अदालत का यह आदेश न केवल सिख दंगों से जुड़े मामले को फिर से सुर्खियों में लाता है, बल्कि देश की न्यायिक प्रणाली में विश्वास को भी प्रबल करता है। हालाँकि, टाइटलर ने खुद को निर्दोष बताया है, लेकिन अब उन्हें अदालत में मुकदमे का सामना करना होगा। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस मामले का कानूनी परिणाम क्या होता है, और क्या यह फैसला सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों के लिए न्याय की दिशा में एक कदम साबित होगा।