गुजरात में ईसाई मिशनरी लोगों को फँसाकर उनका धर्मान्तरण करा रहे हैं। पिछले सप्ताह एक ईसाई मिशनरी की ओर से आयोजित ‘मसीह में नया जीवन’ नाम के कथित धार्मिक सभा का पेम्फलेट छोटा उदयपुर जिले के नसवाड़ी तालुका के संकदिबारी गाँव, उसके आसपास और गुजरात के आसपास के गाँवों में बाँटा गया था। जैसे ही स्थानीय विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के लोगों को हिंदू आदिवासियों का धर्मान्तरण कराने की खबर मिली तो उन्होंने कार्यक्रम को रोकने के लिए नसवाड़ी के तहसीलदार के पास ज्ञापन दिया।
पम्पलेट के मुताबिक, ईसाई मिशनरी द्वारा 9 मई और 10 मई को नसवाड़ी तालुका के संकदिबारी गाँव में ‘न्यू लाइफ इन क्राइस्ट’ टाइटल से एक शीर्षक से धर्मान्तरण का कार्यक्रम होना था। कार्यक्रम को मुख्य वक्ता रेव जी सैमुअल और भाई विनुभाई संबोधित करने वाले थे। वीएचपी नसवाड़ी के अध्यक्ष विशाल कुमार सुरेश चंद्र जायसवाल के नेतृत्व में करीब 20 कार्यकर्ताओं ने नसवाड़ी में तहसीलदार को ज्ञापन दिया और नसवाड़ी थाने को भी सूचित किया।
मामसे में जूनागढ़ जिले के हिंदू धर्मगुरुओं ने भी नसवाड़ी तहसीलदार पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए कार्यक्रम बंद करवाने की माँग की।
ऑपइंडिया से एक्सक्लूसिव बातचीत में विशाल जायसवाल ने कहा, “हमें 6 मई को इलाके में फैले एक पैम्फलेट के जरिए इस घटना के बारे में पता चला। पहले भी इस सीमावर्ती इलाके में इसी तरह के कार्यक्रम होते रहे हैं, जिसमें अंत में भोले-भाले हिंदू आदिवासियों को बहला-फुसलाकर ईसाई बना लिया गया। इसलिए, हमने तुरंत 7 तारीख को ही कार्यक्रम को रोकने के लिए तहसीलदार को लिखित अनुरोध किया।”
विशाल जायसवाल ने कहा, “ईसाई मिशनरी पहले भी ऐसी सभाएँ करते रहे हैं, जिनमें चमत्कार के नाम पर भोले-भाले आदिवासियों का दिन में धर्म परिवर्तन किया जाता है और रात में एक ही स्थान पर शराब और माँस की गंध आती है।”
चमत्कार के नाम पर धर्मान्तरण का खेल
किस तरह से ये ईसाई मिशनरी धर्मान्तरण का खेल खेलते हैं। इसको लेकर विशाल जायसवाल कहते हैं, “जब भी ऐसी कोई सभा होती है, तो मिशनरियों के स्थानीय एजेंट आसपास के आदिवासी क्षेत्रों का सर्वे करते हैं। गाँवों में जाकर वे एक लिस्ट तैयार करते हैं जैसे खाँसी, सर्दी-बुखार सिरदर्द जैसी सामान्य बीमारियाँ किस घर में हैं और कौन तीन या अधिक दिनों से बीमार है। चमत्कार का दिलासा देकर इन लोगों को इसमें बुलाया जाता है। ये ऐसे रोग होते हैं, जो कि सामान्यतया 4-5 दिनों में ठीक हो जाते हैं। इस दौरान कुछ मिलावटी पाउडर देकर ये लोग ठीक होने का दावा करते हैं। इसी कथित चमत्कार का दावा कर भोले हिंदू आदिवासियों धर्म परिवर्तन कराया जाता है।”
वीएचपी की सतर्कता से रद्द हुआ कार्यक्रम
विशाल जायसवाल के मुताबिक, जब वो इस कार्यक्रम की शिकायत लेकर तहसीलदार के पास पहुँचे, तो पता चला कि धर्मान्तरण कार्यक्रम के आयोजकों ने इसके लिए प्रशासन से इजाजत भी नहीं ली थी। हमने तहसीलदार और स्थानीय पुलिस अधिकारियों से आग्रह किया था कि अगर कार्यक्रम रद्द नहीं किया गया तो हम विहिप और बजरंग दल के 2,000 से अधिक कार्यकर्ताओं के साथ वहाँ जाकर हनुमान चालीसा और रामधुन बजाएँगे। बाद में खुद ही इस कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया।
ऑपइंडिया को जायसवाल ने बताया कि इस मामले में पुलिस और प्रशासन से मिले सहयोग के कारण इसे रोका गया। इस आदिवासी क्षेत्र में आए दिन ऐसे कार्यक्रम होते हैं। जब भी इनका पता चलता है तो इसका विरोध किया जाता है। उल्लेखनीय है कि दक्षिण गुजरात के सीमावर्ती इलाकों में पहले भी कई बार इस तरह की घटनाएँ सामने आ चुकी हैं। एक महीने पहले तापी जिले में इसी तरह के धर्मांतरण के मामले में एक ही ईसाई परिवार के पाँच सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था।