जहाँ कोरोना वायरस पूरी दुनिया के लिए महासंकट बन कर उभरा है, वहीं संक्रमितों और उनके परिवारों पर आर्थिक बोझ भी कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। इसकी बानगी बेंगलुरु में तब देखने को मिली, जब एक मरीज को कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल ने 9.09 लाख रुपए का संभावित बिल थमा दिया। जबकि उसे कोरोना भी नहीं हुआ था, वो सिर्फ कोरोना संदिग्ध था। मरीज को हॉस्पिटल में 10 दिन आईसीयू में वेंटीलेटर पर रहना था, जिसके बाद हॉस्पिटल ने ये अनुमानित बिल थमाया।
दरअसल, 67 साल के एक बुजुर्ग मरीज अपने कोरोना टेस्ट के परिणाम का इन्तजार कर रहे थे, उन्हें साँस लेने में परेशानी भी आ रही थी। लेकिन, बेंगलुरु के कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल ने इतना बिल बताया कि उनके परिवार ने उन्हें एडमिट कराने से ही इनकार कर दिया। 1.4 लाख रुपए तो केवल वेंटीलेटर का चार्ज बताया गया। इसके अलावा सिर्फ दवाओं और मेडिकल सप्लाइज के लिए ही 2 लाख रुपए माँगे गए।
लेबोरेटरी इन्वेस्टीगेशन के लिए 2 लाख रुपए का बिल थमाया गया। इसी तरह रूम रेंट के लिए 75,000 रुपए, प्रोफेशनल फी के रूप में 75,000 रुपए, नर्सिंग चार्ज के रूप में 58,500 रुपए, रेडियोलोजी और फिजियोथेरेपी के लिए 35,000 रुपए और इक्विपमेंट और सर्जिकल आइटम्स के लिए 25,000 रुपए का बिल थमाया गया। इतने सारे चार्जेज सुन कर मरीज ने अपने परिवार सहित वहाँ से निकलना उचित समझा।
The family of a Covid suspect was in for a shock when a hospital in Whitefield quoted an estimated bill of Rs 9.09 lakh for 10 days in ICU with a ventilator. @santwana99 @ranjanikanth_https://t.co/5seA72qNmI
— TNIE Karnataka (@XpressBengaluru) July 15, 2020
साथ ही संभावित बिल में ये भी लिखा हुआ था कई अन्य सेवाओं के जुड़ने के बाद अंत में आने वाला बिल इससे भी ज्यादा का हो सकता है। ‘द न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ के अनुसार, मरीज का रविवार (जुलाई 12, 2020) को संत जॉन्स हॉस्पिटल में कोरोना का टेस्ट हुआ था। अचानक से उन्हें साँस लेने में दिक्कत आने लगी, जिसके बाद परिवार वाले उन्हें लेकर हॉस्पिटल गए। कर्नाटक के मंत्री के सुधाकर ने कहा कि इतना चार्ज वसूलना गलत है और इसकी जाँच होगी।
इससे पहले 70 साल के एक बुजुर्ग को कोरोना संक्रमण की वजह से अस्पताल में 62 दिन दाखिल रहना पड़ा था। इसके बाद हॉस्पिटल ने उन्हें 1.1 मिलियन डॉलर (करीब 8.35 करोड़ रुपए) का बिल थमा दिया था। सिएटल शहर के स्वीडिश मेडिकल सेंटर में 4 मार्च को कोरोना संक्रमित होने के कारण भर्ती कराया गया था। इसके बाद अस्पताल ने जब 62 दिनों बाद उन्हें छुट्टी दी तो उन्हें 181 पन्नों का बिल थमा दिया गया।