Thursday, October 3, 2024
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हॉस्पिटल से ₹4.21 लाख का बिल, इंश्योरेंस कंपनी ने चुकाए सिर्फ ₹1.2 लाख: मनोज इलाज की जगह ‘कैद’

मनोज कोठारी का यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी से 5 लाख रुपए का बीमा है। फिर 4.21 लाख रुपए के बिल के पेमेंट में क्या दिक्कत है? भुगतान सिर्फ 1.2 लाख रुपए का ही क्यों किया गया?

हैदराबाद का यशोदा हॉस्पिटल। यशोदा हॉस्पिटल में कोरोना वायरस से संक्रमित मनोज कोठारी का इलाज। मनोज कोठारी को हॉस्पिटल से 4.21 लाख रुपए का बिल। यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी से मनोज कोठारी का बीमा। लेकिन भुगतान सिर्फ 1.2 लाख रुपए का ही।

इंश्योरेंस कपनी का बहाना- कोविड-19 के इलाज के लिए तेलंगाना सरकार ने जितना प्राइस फिक्स किया है, भुगतान सिर्फ उतने का ही। नतीजा- 47 साल के मनोज कोठारी कोरोना वायरस के संक्रमण से ठीक होने के बावजूद हॉस्पिटल में 29 जून से जबरन रहने को मजबूर।

मनोज 20 जून को यशोदा हॉस्पिटल में भर्ती हुए थे। उन्होंने आरोप लगाया, “29 जून को मैं ठीक हो गया और हॉस्पिटल से डिस्चार्ज करने के लिए बोल दिया गया। लेकिन उसी 29 जून से मैं यहीं हॉस्पिटल में लगभग कैद हूँ। ना तो किसी से मिल पा रहा हूँ न ही किसी से बात करने दिया जा रहा है। अगर मुझे कुछ हो गया तो इसकी जिम्मेवारी कौन लेगा?” मनोज को बताया गया कि जब वो बाकी रकम का भुगतान करेंगे तो उन्हें डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।

सरकारी दर का लोचा

मनोज कोठारी का यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी से 5 लाख रुपए का बीमा है। फिर 4.21 लाख रुपए के बिल के पेमेंट में क्या दिक्कत है? यहाँ बिल और पेमेंट में सरकारी दर का पेंच फँस गया है। इंश्योरेंस कंपनी के अनुसार तेलंगाना सरकार ने जो दर तय किया है, वो सिर्फ उसी का भुगतान करेगी। हॉस्पिटल जहाँ मनोज भर्ती हुए, उसका कहना है कि वो बाकी रकम खुद से जमा करें और घर जाएँ। बाद में इंश्योरेंस कंपनी से सेटलमेंट अमाउंट ले लें।

यशोदा हॉस्पिटल ने हालाँकि इस मुद्दे पर यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी को संपर्क भी किया। अपने लेटर में हॉस्पिटल ने यह तर्क भी दिया कि कोरोना के उपचार के लिए तेलंगाना सरकार ने जो दर तय किया है, वो दर बीमार व्यक्ति के खुद के भुगतान के लिए है, न कि किसी इंश्योरेंस कंपनी द्वारा मेडिकल बीमा लिए हुए व्यक्ति के भुगतान के लिए। हॉस्पिटल के इस पत्र का जवाब अभी तक इंश्योरेंस कंपनी ने नहीं दिया है।

2 और परिवार वाले कोरोना+

मनोज कोठारी पर यह परेशानी अकेले नहीं आई है। उनके परिवार के 2 और लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। अफसोस यह कि उन दोनों का इलाज भी इसी यशोदा हॉस्पिटल में ही चल रहा है। मनोज कहते हैं, “मुझे डर है कि पेमेंट वाली बात उनके साथ भी हो सकती है। मैं तेलंगाना के मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से अपील करता हूँ कि महामारी के इस दौर में इंश्योरेंस कंपनियों और बड़े कॉर्पोरेट हॉस्पिटलों में चल रही लूट पर लगाम लगाएँ।”

न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी ने इस मामले पर अपनी राय रखी है। इंश्योरेंस कंपनी ने बताया कि यही दिक्कत अन्य कॉरपोरेट हॉस्पिटलों से भी रिपोर्ट की गई है। इसका कारण कंपनी ने यह बताया कि तेलंगाना सरकार ने कोविड-19 के इलाज के लिए सामान्य कॉरपोरेट दरों से 70-80 प्रतिशत की कम दरों पर हॉस्पिटल सुविधाओं को तय कर दिया है। इससे कॉरपोरेट हॉस्पिटल और इंश्योरेंस कंपनियों के बीच भुगतान को लेकर समस्या आ रही है।

इंश्योरेंस, प्रीमियम और सरदर्द

मनोज कोठरी एक नाम हैं। इनकी जगह रमेश, जॉर्ज या संगीता भी हो सकते हैं। ये 5 लाख रुपए का इंश्योरेंस लेते हैं। कमाई में से कुछ बचा कर उसका प्रीमियम भी भरते हैं। यह सोच कर कि कुछ होगा तो हॉस्पिटल और इंश्योरेंस कंपनी बचा लेंगे। लेकिन कागजों में या सरकारी पेंच में या नियम व शर्तें लागू जैसी चीजें धरातल पर इनकी जिंदगी आसान नहीं बल्कि तकलीफदेह बना देती है।

मनोज ने इसके लिए कानूनी रास्ते पर चलने की ठानी। उन्होंने इस संबंध में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। खुद पैसे देकर हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के रास्ते को उन्होंने इनकार कर दिया। एक तरह से सत्याग्रह वाला रास्ता… कॉर्पोरेट से लड़ाई का शायद और कोई रास्ता भी नहीं!

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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