उत्तर प्रदेश के आगरा स्थित पारस अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से 22 मरीजों की मौत के मामले में प्रशासन की जाँच रिपोर्ट आ गई है। इसमें प्रशासन ने अस्पताल को क्लीन चिट दे दी है। जाँच रिपोर्ट में कहा गया है कि मॉक ड्रिल का कोई सबूत नहीं है, जिसके दौरान ऑक्सीजन की आपूर्ति ठप हो गई और अस्पताल में 22 लोगों की मौत हो गई।
दरअसल, आगरा के पारस अस्पताल में ऑक्सीजन की कथित कमी से 22 कोरोना मरीजों की मौत पर काफी हंगामा हुआ था। इस मामले में सियासत भी काफी हुई थी। अस्पताल के मालिक डॉ अरिंजय जैन का एक वीडियो सामने आया था। उसमें कथित तौर पर एक ‘मॉक ड्रिल’ का जिक्र करते हुए कहा गया था कि ‘मॉक ड्रिल’ के दौरान अस्पताल में 5 मिनट के लिए ऑक्सीजन सप्लाई रोक दी गई थी। इसके बाद के घटनाक्रम में मरने वाले 22 मरीजों में हाइपोक्सिया के गंभीर लक्षण दिखाई दिए थे और अस्पताल पर मौतों को छुपाने का आरोप लगा था।
PM: “मैंने ऑक्सीजन की कमी नहीं होने दी”
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) June 8, 2021
CM: “ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं। कमी की अफवाह फैलाने वालों की संपत्ति जब्त होगी।”
मंत्री: “मरीजों को जरूरत भर ऑक्सीजन दें। ज्यादा ऑक्सीजन न दें।”
आगरा अस्पताल: “ऑक्सीजन खत्म थी। 22 मरीजों की ऑक्सीजन बंद करके मॉकड्रिल की।”
ज़िम्मेदार कौन? pic.twitter.com/DbiqtILE27
इसके बाद आगरा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने ‘पारस अस्पताल’ को सील कर उसके मालिक के खिलाफ महामारी रोग अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था।
प्रशासन की जाँच में पता चली हकीकत
पारस अस्पताल की घटना के बाद उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने इसके जाँच के आदेश दिए थे। इन्वेस्टिगेशन टीम ने अपनी रिपोर्ट में पाया कि 15 से 25 अप्रैल के बीच संबंधित अस्पताल में 16 मौतें हुई थीं। इन 16 मौतों में से कोई भी ‘मॉक ड्रिल’ के कारण नहीं हुई। रिपोर्ट के अनुसार, सभी रोगियों की मृत्यु या तो हालत गंभीर होने के कारण हुई थी, या उन्हें गंभीर बीमारी थी।
जाँच टीम के मुताबिक, अस्पताल में 25 अप्रैल 2021 को 149 ऑक्सीजन सिलेंडर इस्तेमाल किए जा रहे थे, जिसमें 20 रिजर्व में रखे गए थे। 26 अप्रैल को 121 सिलेंडरों का इस्तेमाल किया गया था और 15 रिजर्व में थे। इतना ऑक्सीजन अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए यह पर्याप्त पाया गया था। इसके अलावा जाँच में यह भी सामने आया है कि कुछ मरीजों के अटेंडेंट अपने साथ ही ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर आए थे।
जाँच रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि जिस वीडियो को लेकर बवाल हो रहा है, उसमें अस्पताल संचालक ने कहा है, “पैसे ले लो, गाड़ी ले लो, भोपाल-वोपाल जहाँ से भी मिले वहाँ से ले लो, कितने पैसे चाहिए, कैसे बचे 96 जिन्दगी, करियर बचे, सोने का भाव लगा लो, कैसे भी मिले, बस ऑक्सीजन का टैंकर उठाओ” – इससे अस्पताल की हर संभव कोशिश करने की मंशा जाहिर होती है। माना जा रहा है कि यह वीडियो 28 अप्रैल 2021 को रिकॉर्ड किया गया था।
बयानों का गलत मतलब निकाला गया: अस्पताल का मालिक
8 जून 2021 को आगरा के जिला मजिस्ट्रेट प्रभु एन सिंह ने कहा था कि जिस दिन कथित वीडियो रिकॉर्ड किया गया था, उस दिन ऑक्सीजन की कमी के कारण कोई मौत नहीं हुई थी। अस्पताल के मालिक अरिंजय जैन ने भी दावा किया था कि उनके बयानों का गलत अर्थ निकाला गया।
जैन ने कहा था, “मेरे वीडियो में मैंने कहीं भी मरीजों की मौत का जिक्र नहीं किया। हाँ, यह पता लगाने के लिए एक मॉक ड्रिल की गई थी कि कितने मरीज गंभीर हैं और अगर ऑक्सीजन खत्म हो जाए तो उन्हें बचाया नहीं जा सकता। कोई मरीज नहीं मरा। मैं एक डॉक्टर हूँ और कोई डॉक्टर ऐसी बात नहीं करेगा। मैसेज को मैनिपुलेट किया गया।” जैन ने वायरल मॉक ड्रिल वीडियो के आधार पर 22 कोविड मरीजों के मरने के दावे को ख़ारिज किया था।