गुजरात के सबारकांठा जिले की कोर्ट ने 2002 के दंगों में ब्रिटिश नागरिक की तरफ से मुआवजे को लेकर दाखिल मुकदमे से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम हटा दिया है। ब्रिटिश नागरिक इमरान और शिरीन दाउद ने दंगों में मारे गए तीन रिश्तेदारों के लिए मुआवजे के तौर पर 23 करोड़ रुपए की राशि की माँग की थी।
अदालत ने शनिवार (6 सितंबर, 2020) पीएम मोदी का नाम शामिल करने के लिए उचित वजह नहीं होने का तर्क दिया है और इस केस से उनका नाम हटा दिया है। प्रिंसपल सिविल जज एस के गढ़वी ने कहा, “अभियोग को पढ़ते हुए यह लगा कि अभियुक्त 1 (मोदी) के खिलाफ बेवजह के आरोप लगाए गए हैं। इससे घटना पर सवालिया निशान लगता है।”
जज ने आगे कहा, “मेरे ख्याल से अभियुक्त 1 के खिलाफ बिना सबूत के ऐसे निराधार आरोप से ऐक्शन लिए जाने की कोई वजह नहीं बन पाएगी।” बता दें कि इस केस से पीएम मोदी का नाम हटान के लिए आवेदन किया गया था। जिसमें कहा गया था कि इस घटना के लिए व्यक्तिगत तौर पर नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। इसके लिए स्टेट जवाबदेह हो सकता है। उस वक्त नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम थे।
गौरतलब है कि साल 2004 में ब्रिटिश नागरिक इमरान और दाउद ने नरेंद्र मोदी समेत 14 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था। उनके रिश्तेदार सईद दाउद, शकील दाउद, मोहम्मद असवत दंगों में मारे गए थे। 28 फरवरी 2002 को जयपुर से नवसरी वापस आते वक्त ये तीनों दंगाइयों के हाथ लग गए थे, जिन्होंने इन लोगों की हत्या कर दी थी। इन्हीं के मौत के मुआवजे को लेकर केस दर्ज किया गया था।