लखनऊ में पॉक्सो कोर्ट के विशेष न्यायाधीश अरविंद कुमार मिश्रा नें 6 साल की मासूम का बलात्कार और हत्या के दोषी अराफात उर्फ बबलू को फाँसी की सज़ा सुनाई है। साथ ही 40 हज़ार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। जब फैसला सुनाया गया मृतक बच्ची की माँ और बुआ अदालत में ही थे। जज अरविंद मिश्रा ने जैसे ही आरोपित को दोषी करार देते हुए फाँसी की सज़ा सुनाई तो माँ और बुआ की आँखों से आँसू छलक गए।
दिल दहला देने वाली इस घटना में पुलिस ने भी बेहद सक्रियता दिखाई थी। मात्र 24 घंटे के अंदर आरोपित को गिरफ़्तार कर लिया था। 6 दिन के अंदर जाँच पूरी कर न्यायालय में चार्जशीट दाखिल कर दी थी।
फ़ैसला सुनाते हुए न्यायाधीश ने कहा कि महज़ 6 साल की मासूम बच्ची के साथ जिस तरह की बर्बरता की गई, उसका समाज पर बड़े स्तर पर ग़लत प्रभाव पड़ा। ऐसी जघन्य घटना की वजह से समाज में लोग अपने छोटे-छोटे बच्चों को स्वतंत्रतापूर्वक खेलने की छूट नहीं दे पाते। ऐसा इसलिए क्योंकि लोगों के मन मे हमेशा ये डर बना रहता है कि कहीं उनके बच्चों के साथ कोई लैंगिक या यौन अपराध न कर दे। इस वजह से देश की नई पीढ़ी यानी छोटे बच्चों का सर्वांगीण विकास नहीं हो पा रहा है।
उन्होंने अराफात को फाँसी की सज़ा सुनाते हुए इस मामले को रेयरेस्ट ऑफ़ रेयर मानते हुए कहा कि मृतका घटना के समय महज़ 6 साल की थी। वो किसी तरह का प्रतिरोध करने में सक्षम नहीं थी। घटना के समय उस बच्ची ने ढंग से दुनिया भी नहीं देखी थी। उसके साथ ऐसा अपराध किया गया जिसकी सभ्य समाज में कल्पना भी नहीं की जा सकती।
बच्ची की माँ का कहना था कि उन्हें इतने कम समय में दोषी को सज़ा सुनाए जाने की उम्मीद नहीं थी। उन्होंने कहा कि सरकार के निर्देश पर पुलिस ने जो काम किया है उसे वो पूरी ज़िंदगी कभी नहीं भूलेंगी। उन्होंने बताया कि उनके पति दिहाड़ी मज़दूर हैं। पिछले दो दिनों से ख़राब मौसम के चलते बच्ची के पिता काम पर नहीं जा सके थे। 200 रुपए उधार लेकर उन्होंने बच्ची की माँ और बुआ को दिए थे, तब वह कोर्ट पहुँच पाईं।
फाँसी की सज़ा पाए अराफात ने बच्ची के साथ जो बर्बरता की थी, वो बहुत भयावह थी। हैवानियत की हद पार करते हुए पहले बच्ची का बलात्कार किया और फिर उसके गले में चाकू घोंपकर उसकी हत्या कर दी। इसके बाद उसने बच्ची को अपने घर के तख़्त के नीचे छिपा दिया। बच्ची अराफात को मामू कहती थी।
मासूम बच्ची के परिजन वो दिन कभी नहीं भूल पाएँगे जब उसके साथ ऐसी घिनौनी हरक़त को अंजाम दिया गया था। 15 सितंबर 2019 को अराफात बच्ची को टॉफ़ी दिलाने के बहाने अपने घर ले गया था। वहाँ ले जाकर उसने बच्ची का बलात्कार किया और फिर उसके गले में चाकू घोंपा। इतने पर भी उसकी दरिंदगी ख़त्म नहीं हुई, उसने बच्ची का गला दबाया, जिससे वो निश्चिंत हो सके कि वो सच में मर गई है।
अरफात इतना शातिर था कि मासूम की हत्या करने बाद वो उसके पिता के साथ उसे ढूँढ भी रहा था, जिससे उस पर किसी को कोई शक़ न हो। अराफात के जघन्य अपराध का ख़ुलासा होने के बाद जब पता चला कि बच्ची उसी के घर में हैं, तो पुलिस और परिजन बच्ची को ट्रामा सेंटर ले गए, जहाँ डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया।
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