आजाद भारत में फाँसी की सजा पाने वाली शबनम के मामले में नया मोड़ आ गया है। उसकी सजा बदलने की माँग करते हुए यह दलील दी गई है कि इससे देश की छवि खराब होगी। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इलाहाबाद हाईकोर्ट की वकील सहर नकवी ने यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को पत्र भेज शबनम की फाँसी की सजा को बदलने की माँग रखी है।
अमरोहा की रहने वाले शबनम ने 2008 में अपने ही परिवार के 7 लोगों का कत्ल कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी उसकी फाँसी की सजा बरकरार रखी थी और राष्ट्रपति भी उसकी दया याचिका ख़ारिज कर चुके हैं। ऐसे में नकवी ने पत्र लिख राज्यपाल से मानवीय आधार पर हस्तक्षेप की अपील की है।
आजतक की रिपोर्ट के अनुसार राज्यपाल के निर्देश पर उनके विशेष सचिव बद्री नाथ सिंह ने मामला प्रदेश के कारागार विभाग के प्रमुख सचिव को सौंप दिया है। उनसे नियमों के मुताबिक फैसला लेने को कहा है। दैनिक भास्कर को सहर नकवी ने बताया है कि राज्यपाल ने ऐसा कर राहत देने का काम किया है। उनके अनुसार कारागार विभाग फाँसी का फैसला पलटने पर विचार कर सकता है। सहर ने 23 फरवरी 2021 को राज्यपाल को पत्र भेजा था।
नकवी का कहना है कि आजाद भारत में आज तक किसी भी महिला को फाँसी नहीं हुई है। ऐसे में शबनम को सूली पर लटकाने से पूरी दुनिया में भारत और देश की महिलाओं की छवि खराब होगी। उन्होंने पत्र में जेल में पैदा हुए शबनम के 13 साल के बेटे के भविष्य की भी दुहाई दी है। उनका कहना है कि शबनम के जुर्म और सजा पर कोई सवाल नहीं है, वे केवल यह चाहती हैं कि इसे उम्रकैद में तब्दील कर दिया जाए।
गौरतलब है कि बावनखेड़ी गाँव के मास्टर शौकत अली की बेटी शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर 14-15 अप्रैल, 2008 की रात को अपने ही घर में 7 खून किए थे। उसने अपने माता-पिता, दो भाई, एक भाभी, मौसी की लड़की और मासूम भतीजे को मार डाला था।
एमए पास शबनम उस समय गाँव के स्कूल में शिक्षा मित्र थीं। मास्टर शौकत उसकी शादी किसी पढे़-लिखे लड़के से करना चाहते थे। लेकिन, शबनम का दिल अपने गाँव के 8वीं पास सलीम पर आ चुका था। दोनों का प्यार इतना परवान चढ़ा कि शबनम ने अपने घरवालों को नशे की दवाई देकर सलीम को हर रात घर पर बुलाना शुरू कर दिया। कुछ दिनों में दोनों ने परिवार को बाधा मानकर उन्हें खत्म करने की साजिश रची और फिर एक रात कुल्हाड़ी से काट कर 7 लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी थी।