नार्थ-ईस्ट दिल्ली के हिन्दू-विरोधी दंगों में एक आरोपित सीसीटीवी फुटेज के कारण ही पकड़ा गया और फिर उसी फुटेज के कारण ज़मानत पर भी रिहा हो गया। असल में वो व्यक्ति जिस सीसीटीवी फुटेज के कारण आरोपित बना था, उसी ने उसे राहत भी दिलाई। अदालत ने माना कि फुटेज में उक्त आरोपी अपने हाथ में सिर्फ छड़ी लेकर खड़ा तो दिख रहा है, लेकिन वह किसी के घर में चोरी करता हुआ या आगजनी करता हुआ नहीं दिख रहा, जैसा कि उस पर आरोप है।
नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली के डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज डॉक्टर सुधीर कुमार जैन ने उक्त सीसीटीवी फुटेज के आधार पर आरोपित को ज़मानत दी। आरोपित का नाम चिंटू उर्फ़ संतोष है, जिसे सीसीटीवी फुटेज के तथ्यों एवं परिस्थितियों की जाँच के बाद रिहा किया गया। 25,000 रुपए का निजी मुचलका और इतनी ही रकम की जमानती राशि देने का आदेश देते हुए कोर्ट ने संतोष को रिहा किया। अपनी जमानत की अवधि में उसे मामले के गवाहों को किसी तरह का लालच या धमकी न देने व साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ न करने को भी कहा गया है। जमानत देते हुए अदालत ने कहा:
‘हाल ही में नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में बड़े पैमाने पर दंगे हुए और जम कर हिंसा हुई। इन दंगों में सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को भारी नुकसान पहुँचा। कई लोगों को चोटें आईं और 50 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। चिंटू पर सिर्फ इतना आरोप है कि उसके पास एक छड़ी थी और वह किसी दूसरे के घर के सामने खड़ा था। ऐसा कोई सबूत नहीं, जिससे यह लगे कि आरोपी घर से चोरी के अपराध में शामिल था।”
चिंटू के ख़िलाफ़ उस्मानपुर थाने में नजमा नामक महिला ने मामला दर्ज कराया था। उसका आरोप था कि चिंटू ने उसके घर से सारी चीजें चोरी कर ली। आरोपी की ओर से जमानत की दरख्वास्त करते हुए वकील मनीष भदौरिया ने अदालत को बताया कि चिंटू पर अपने पूरे परिवार की देखरेख की जिम्मेदारी है, जिसमें उसकी गर्भवती पत्नी भी शामिल है। गृह मंत्रालय में कार्यरत चिंटू अपने घर व जान-माल की सुरक्षा के लिए बाहर पहरा दे रहा था।
#DelhiViolence जिस फुटेज ने आरोपी बनाया, उसी ने दिलाई जमानत https://t.co/pUgsgTONWa
— NBT Hindi News (@NavbharatTimes) March 14, 2020
वकील ने भरोसा दिलाया कि चिंटू जाँच में पूरी तरह सहयोग करेगा और दावा किया कि उसकी चोरी में कोई भूमिका नहीं है। वहीं अर्जी का विरोध करते हुए सरकारी वकील ने सीसीटीवी में एक व्यक्ति को घर का दरवाजा तोड़ते जबकि दूसरे को छड़ी लेकर खड़ा देखे जाने को लेकर अपना तर्क रखा। वकील ने दावा किया कि जाँच एजेंसियों द्वारा छानबीन पूरी करने तक आरोपित को ज़मानत न दी जाए।