नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में दिल्ली के शाहीन बाग में एक महीने से ज्यादा समय से चल रहा प्रदर्शन धीरे-धीरे हिंसक होने लगा है। यहॉं शुक्रवार को कुछ पत्रकारों के साथ मारपीट की गई थी। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार सड़क पार करने की कोशिश कर रहे कुछ लोगों को रोकने के भी मामले सामने आए हैं। हिंदुत्व विरोधी वीडियो और पोस्टर यहॉं से पहले ही सामने आ चुके हैं। अब स्थानीय लोगों का सब्र भी इस विरोध-प्रदर्शन को लेकर टूटता दिख रहा है।
असल में इस प्रदर्शन के कारण कालिंदी कुंज रोड बंद पड़ा है। इसके कारण नोएडा के स्कूल-कॉलेज में जाने वाले बच्चों और कामकाजी लोगों को काफी परेशानी हो रही है। इससे आजिज होकर लोगों ने सड़क पर उतरने का फैसला किया है। सरिता विहार के लोगों ने 2 फरवरी को इसके विरोध में प्रदर्शन करने की योजना बनाई है। यहॉं से शाहीन बाग तक मार्च निकाला जाएगा। इनका कहना है कि आम लोगों की सहूलियत देख बंद सड़क को खोल दिया जाए।
बताया जाता है कि इस संबंध में सरिता विहार के कुछ लोगों ने एसीपी अजब सिंह से मुलाकात भी की है। इनलोगों ने पुलिस को इस मसले का समाधान निकालने के लिए एक हफ्ते का वक्त दिया है। प्रदर्शन की तैयारी में जुटे एक व्यक्ति गब्बर सिंह चौहान के हवाले से एनबीटी ने कहा है कि उनका मार्च राजनीतिक पार्टियों की रैली जैसा नहीं होगा। उनका कहना है कि जैसे शाहीन बाग के लोगों को प्रदर्शन का हक है, वैसे ही सरिता विहार और जसोला के लोगों को भी इसका विरोध करने अधिकार है।
शाहीन बाग में 15 दिसंबर से सीएए के ख़िलाफ धरना चल रहा है। इससे पहले खबर आई थी कि शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन के विरोध में स्थानीय लोगों के मार्च की जिम्मेदारी महिलाओं के जिम्मे होगी।
Delhi:A petition has been filed in Delhi HC seeking direction to withdraw the closure of Kalindi Kunj-Shaheen Bagh stretch (between Mathura Road and Kalindi Kunj) & Okhla underpass, which were closed on December 15, 2019 for ongoing protests against Citizenship Amendment Act&NRC
— ANI (@ANI) January 13, 2020
स्थानीय लोगों का कहना है कि नोएडा स्थित अपने स्कूल और कॉलेजों में उत्तरी-बाहरी दिल्ली के स्टूडेंट्स समय पर नहीं पहुँच पा रहे हैं। इसके अलावा नौकरीपेशा लोग भी बुरी तरह से प्रभावित हैं। रोड बंदी के कारण समय की बर्बादी हो रही है। रोड खुलवाने को लेकर पिछले दिनों दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। लेकिन इस याचिका पर हाईकोर्ट ने विचार करने से इनकार कर दिया था।
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