Sunday, November 3, 2024
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याद है AAP का पार्षद रहा ताहिर हुसैन, दिल्ली दंगों से जुड़े मामले में उसका भाई शाह आलम और राशिद-शादाब बरी: जानिए अदालत ने क्या कहते छोड़ा

अदालत ने कहा जब इतिहास दिल्ली में विभाजन के बाद के सबसे भीषण सांप्रदायिक दंगों को देखेगा, तो नए वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल करके सही जाँच करने में जाँच एजेंसी की विफलता निश्चित रूप से लोकतंत्र के रखवालों को पीड़ा देगी।

साल 2020 में दिल्ली में हुए हिंदू विरोधी दंगों के दौरान आम आदमी पार्टी (AAP) के पार्षद रहे ताहिर हुसैन की भूमिका मुख्य रूप से सामने आई थी। अब दिल्ली की एक अदालत ने दंगों से जुड़े एक मामले में तीन लोगों को बरी कर दिया है। इनमें ताहिर हुसैन का भाई शाह आलम भी है। साथ ही राशिद सैफी और शादाब को भी आरोप मुक्त किया गया है।

तीनों को मुकदमा नंबर 93/2020 से बरी किया गया है। विशेष अदालत में मामले की सुनवाई कर रहे अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने दंगों को लेकर पुलिस की जाँच पर भी नाराजगी व्यक्त की। सबूतों के अभाव में तीन आरोपितों को बरी करते हुए कहा कि ये विफलता निश्चित रूप से लोकतंत्र के रखवालों को पीड़ा देगी।

अदालत ने कहा, “जब इतिहास दिल्ली में विभाजन के बाद के सबसे भीषण सांप्रदायिक दंगों को देखेगा, तो नए वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल करके सही जाँच करने में जाँच एजेंसी की विफलता निश्चित रूप से लोकतंत्र के रखवालों को पीड़ा देगी।”

कोर्ट ने पुलिस को फटकारते हुए कहा, मामले में जिस तरह की जाँच की गई, वो वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से उनकी निगरानी की कमी साफ तौर पर दर्शाती है। जाँच एजेंसी ने केवल अदालत की आँखों पर पट्टी बाँधने की कोशिश की है और कुछ नहीं। कोर्ट ने कहा कि बिना चश्मदीदों, असली आरोपित और तकनीकी सबूत के पुलिस चार्जशीट दायर करके केस सुलझाने में लगी रही।

कोर्ट ने कहा, “न्यायालय ऐसे मामलों में न्यायिक प्रणाली के गलियारे में बिन सोचे समझे चक्कर लगाने की अनुमति नहीं देता है। जब मामला ओपन एंड शट केस है तो ये केवल कोर्ट का कीमती समय जाया कर रहा है।” मालूम हो बरी किए गए आरोपितों में से आलम बढ़ई का काम करता है, सैफी प्राइवेट जॉब में और शादाब अकाउंटेंट है। शाह आलम अभी 9 मामलों में आरोपित है। राशिद और शादाब पर 7-7 केस चल रहे हैं।

तीनों से जुड़ा केस पिछले साल 3 मार्च को, 2 शिकायतों के आधार पर दर्ज किया गया था। दोनों शिकायतें हरप्रीत सिंह आनंद की थीं। वह चांद बाग इलाके में फर्नीचर का काम करते हैं। उन्होंने दंगों के दौरान अपनी दुकान को आग लगाने और उसमें लूटपाट का आरोप लगाया था। कोर्ट ने जाँच में पाया कि उक्त आरोपितों का नाम इस एफआईआर में अलग से नहीं जुड़ा था न ही इनकी भूमिका को लेकर बात थी।

बता दें कि नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली दंगों को लेकर लगभग 750 मामले दर्ज किए गए। इनमें से ज्यादातर मामले इसी अदालत के पास हैं। सेशन कोर्ट को उनमें से अब लगभग 150 मामले सौंपे जा चुके हैं। अभी तक लगभग 35 मामलों में ही आरोप तय किए गए हैं। उल्लेखनीय है कि AAP के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन पर अंकित शर्मा की हत्या का आरोप है। इसके अलावा उस पर भीड़ को साम्प्रदायिक रूप से भड़काने का भी इल्जाम है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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