दिल्ली हाई कोर्ट ने ओल्ड राजेंद्र नगर के राव IAS एकेडमी के बेसमेंट में भरे बारिश के पानी में डूबकर हुई तीन विद्यार्थियों की मौत की जाँच केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंप दी है। कोर्ट ने इस निर्णय के पीछे घटना की गंभीरता और लोकसेवकों के भ्रष्टाचार में संलिप्तता की आशंका को कारण बताया है। हाई कोर्ट ने एमसीडी, दिल्ली पुलिस और दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) को भी लताड़ा है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार (2 अगस्त 2024) को इस मामले की सुनवाई की। हाई कोर्ट ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) को निर्देश दिया कि वह संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों की मौत के मामले की सीबीआई जाँच की निगरानी करने के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी को नामित करे। साथ ही स्थिति की समीक्षा के लिए तीसरे पक्ष से ऑडिट का भी आदेश दिया।
The High Court remarked that it would not be wrong to conclude that Delhi's civic agencies lack the necessary funds for major infrastructure projects. The court noted that much of Delhi’s physical infrastructure, such as drains, is outdated, having been laid nearly 75 years ago,…
— ANI (@ANI) August 2, 2024
हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि यह निष्कर्ष निकालना गलत नहीं होगा कि दिल्ली की नागरिक एजेंसियों के पास प्रमुख बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिए आवश्यक धन की कमी है। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली का अधिकांश बुनियादी ढाँचा, जैसे कि नालियाँ, पुरानी हो चुकी हैं। इन्हें लगभग 75 साल पहले बनाया गया था। इन सबका अपर्याप्त एवं बेहद खराब रख-रखाव है।
कोर्ट ने आगे कहा कि 8 अप्रैल को 2024 को न्यायालय ने निर्देश दिया था कि अधिक कुशलता से समस्या का समाधान सुनिश्चित करने के लिए किसी एक एजेंसी को केवल वर्षा जल नालियों को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार नहीं होना चाहिए। इसके अतिरिक्त, न्यायालय ने वर्तमान स्थिति की समीक्षा करने के लिए तीसरे पक्ष के ऑडिट कराने का भी आदेश दिया है।
Delhi HC directs the formation of a committee headed by the Chief Secretary of GNCTD, with members including the Vice Chairman of the DDA, the MCD Chairman, and the Commissioner of Police to re-look at Delhi's administrative, financial, physical infrastructure.
— ANI (@ANI) August 2, 2024
Committee need to…
दिल्ली हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि हाल की त्रासदियों ने यह दिखा दिया है कि नागरिक एजेंसियों द्वारा न्यायालय के निर्देशों का पूरी तरह से पालन नहीं किया जा रहा है। हाई कोर्ट ने दिल्ली में प्रशासनिक स्थिति की आलोचना करते हुए कहा कि विभिन्न अधिकारी केवल जिम्मेदारी बदल रहे हैं और मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के बजाय एक-दूसरे पर दोष मढ़ रहे हैं।
जज ने दिल्ली पुलिस को खरी खोटी सुनाते हुए कहा, “अगर आपको एमसीडी से फाइल नहीं मिल रही है तो आप उनके ऑफिस में जाकर फाइल जब्त कर लीजिए।” कोर्ट ने आगे कहा, “आपके पास एमसीडी अधिकारियों को फोन करने की भी हिम्मत नहीं है। शुक्र है कि आपने पानी का चालान नहीं किया और उससे यह नहीं पूछा कि वह तहखाने में कैसे घुस गया।”
वहाँ से गुजर रहे एक वाहन के चालक को गिरफ्तार करने पर भी हाई कोर्ट के जज नाराज हो गए। उन्होंने कहा, “सड़क से गुजर रहे व्यक्ति को कैसे गिरफ्तार किया गया? पुलिस का सम्मान तब होता है जब आप अपराधी को गिरफ्तार करते हैं और निर्दोष को छोड़ देते हैं। आप निर्दोष को गिरफ्तार करेंगे और दोषी को छोड़ देंगे हैं तो यह बहुत दुखद होगा।”
हाई कोर्ट ने एमसीडी को भी लताड़ा। जज ने कहा, “एमसीडी का हाल तो यह है कि अगर अनधिकृत निर्माण को लेकर उसे किसी बिल्डिंग को सील करने के लिए कहा जाए तो सीलिंग के बाद बिल्डिंग का साइज और बड़ा हो जाता है। हम आदेश पारित करते रहते हैं, पर उन्हें कोई असर नहीं पड़ता है।” सख्त रूख अपनाते हुए कोर्ट ने कहा कि इस घटना की किसी ना किसी को जिम्मेदारी लेनी होगी।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली के प्रशासनिक, वित्तीय, भौतिक बुनियादी ढाँचे पर फिर से विचार करने के लिए जीएनसीटीडी के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति के गठन का निर्देश दिया है। इस समिति में डीडीए के उपाध्यक्ष, एमसीडी के अध्यक्ष और पुलिस आयुक्त सदस्य के रूप में शामिल होंगे। इस समिति को आठ सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है।