Friday, November 22, 2024
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‘डरे तो हिन्दू हैं जहाँगीरपुरी में’: ‘द वायर’ की ‘डर से पलायन करते मुस्लिम’- प्रोपेगेंडा रिपोर्ट की वहाँ के लोगों ने ही खोली पोल, कहा- पुलिस न होती तो हम जिन्दा न होते

"मुस्लिमों के पलायन करने वाली खबर एकदम झूठी है। पलायन तो दूर, वो तो सड़क कब्ज़ा कर के बैठ गए हैं। मुझे तो लग रहा है कि वो और ज्यादा बढ़ गए हैं। अतिक्रमण के नाम पर सिर्फ कूड़ा हटाया गया। जहाँ से अपराध होते हैं वो झुग्गियाँ अभी भी वैसी की वैसी हैं।"

वामपंथी पोर्टल द वायर द्वारा 2 जून 2022 को दिल्ली के जहाँगीरपुरी में कथित तौर पर ‘डरे हुए मुस्लिम’ की काल्पनिक स्टोरी के सच का पहला भाग वहाँ के आज के भौगोलिक हालातों पर केंद्रित था। सड़कों पर अवैध कब्ज़े के साथ वहाँ कबाड़ के ढेर और बिना टैक्स आदि की दुकानें अब पहले की तरह चलने लगी हैं। द वायर ने वहाँ के मुस्लिमों के साथ हिन्दू आबादी में भी एक बयान के आधार पर ‘अदृश्य डर’ का जिम्मेदार पुलिस को ठहराने का प्रयास किया था। हमने वहाँ के निवासियों से ही जानने का प्रयास किया कि क्या सच में कोई डर है और अगर है तो किससे?

3 जून 2022 को ऑपइंडिया की टीम उन परिवारों से मिली जिन्होंने हनुमान जयंती पर हुई हिंसा को अपनी आँखों से न सिर्फ देखा बल्कि झेला भी था। उनमें से कई लोग अभी पूरी तरह से सामान्य नहीं हो पाए है। उनके चेहरे पर उन्मादी भीड़ के हमले की दहशत और मन में ‘फिर ऐसा न हो’ का डर साफ देखा जा सकता है। उन स्थानीय निवासियों को अब तक यही नहीं पता कि हिंसक भीड़ ने उनके घरों और वाहनों आदि में किस वजह से तोड़फोड़ की थी।

हिन्दू समाज पुलिस का सदा आभारी रहेगा

C ब्लॉक RWA के अध्यक्ष इंद्रमणि तिवारी ने बताया, “पुलिस अपराधियों और पत्थरबाजों को पकड़ रही है। यहाँ की हिन्दू जनता उनसे परेशान और प्रताड़ित थी। G ब्लॉक की गलियों में तमाम अवैध काम जो पकड़े जा रहे हैं उनके थे। अगर पुलिस घटना के दिन सक्रिय न होती तो शायद यहाँ लाशें बिछ जातीं। ये पुलिस की देन है कि एक भी व्यक्ति नहीं मरा वरना मरने वाले हिन्दू ही होते। घायल ASI मेंदलाल ने ही हिन्दुओं को घटना स्थल से हटवाया था। ऐसा न हुआ होता तो सैकड़ों की जान खतरे में पड़ जाती। हम सरकार से उनकी तरक्की की माँग करते हैं। यहाँ के पुलिस प्रशासन का हिन्दू समाज आभारी रहेगा।”

तबरेज ने पुलिस और पब्लिक दोनों को गुमराह किया

इंद्रमणि तिवारी ने आगे कहा, “जब हम लोग यहाँ के स्थानीय होकर दंगाई तबरेज को नहीं पहचान पाए तो DCP द्वारा उसे न जान पाना कोई बहुत बड़ी बात नहीं। अपराध और हंगामा करने वाले फिलहाल जेल में हैं इसलिए इलाके में अभी शांति है। जैसे ही वो बाहर आ जाएँगे वैसे ही पुरानी हरकतें फिर शुरू हो जाएँगी। डंडे उन्ही पर बरस रहे होंगे जो अपराध किए होंगे। इस पूरी हिंसा में अपराध एकतरफा था। इसमें हिन्दुओं को साजिश से टारगेट किया। तमाम वीडियो पिस्टल और बोतल चलाते हुए वायरल हो रहे हैं। हिन्दू समाज 30 साल से ये रैली निकाल रहा है। वो कभी हिंसा नहीं करता।”

ऑपइंडिया से बात करते C ब्लॉक RWA अध्यक्ष इंद्रमणि तिवारी

पुलिस पर अत्याचार का आरोप लगाने वाले हिन्दू दंगाइयों के पड़ोसी

इंद्रमणि के मुताबिक, “जिस महिला के बयान पर हिन्दुओं के पुलिस से डरे होने की स्टोरी बना दी गई वो असल में दंगाइयों की पड़ोसी है। उसके पहले भी ऐसे बयान सामने आ चुके हैं। वो वही भाषा बोलेगी जो दंगाई बोलते हैं। जबकि पुलिस के हटते ही चोरी और छिनैती शुरू हो गई। अभी कम से कम पुलिस को 2 महीने और रहना था। पुलिस के हटने से लोगों में कहीं न कहीं डर है।”

पलायन तो दूर, उन्होंने सड़कों को भी कब्ज़ा लिया

इंद्रमणि तिवारी ने आगे बताया, “मुस्लिमों के पलायन करने वाली खबर एकदम झूठी है। पलायन तो दूर, वो तो सड़क कब्ज़ा कर के बैठ गए हैं। मुझे तो लग रहा है कि वो और ज्यादा बढ़ गए हैं। अतिक्रमण के नाम पर सिर्फ कूड़ा हटाया गया। जहाँ से अपराध होते हैं वो झुग्गियाँ अभी भी वैसी की वैसी हैं। मुस्लिम भाग नहीं रहे बल्कि हमको धमका रहे हैं कि पुलिस को हटने दो फिर तुम्हे बताते हैं। दंगे में पकड़े गए आरोपितों के रिश्तेदारों पर इस धमकी की FIR भी दर्ज हुई है। हम शासन से माँग कर रहे हैं कि हमारे बच्चों के खेलने के लिए पार्क और हमें चलने के लिए सड़क खाली करवाया जाए।”

हमारी महिलाएँ डर से नहीं पहनती हैं सोने की चेन

RWA अध्यक्ष तिवारी के मुताबिक, “डर तो हम में है। हमारी महिलाएँ आभूषण पहन कर घर से नहीं निकलती हैं। उनके हाथों से मोबाईल भी छीन लिया जाता है। यहाँ डर सिर्फ हिन्दू समाज को दंगाइयों और अपराधियों से है।’

कुछ ही दूरी पर गली के अंदर हिंसा में तोड़ी गई एक कार अभी तक उसी हाल में मौजूद है।

क्षतिग्रस्त कार

पीड़ित C ब्लॉक वाले नहीं बल्कि G ब्लॉक वाले

ऑपइंडिया से बात करते हुए स्थानीय निवासी राकेश साहू ने बताया, “हिंसा प्रभावित स्थान जहाँगीरपुरी का C ब्लॉक नहीं बल्कि G ब्लॉक है। C ब्लॉक से आई भीड़ G ब्लॉक में हिन्दुओ के घरों और दुकानों में तोड़फोड़ की। उन पीड़ित हिंदुओं की तकलीफ किसी को नहीं दिखाई दे रही है। C ब्लॉक में पलायन जैसी कोई बात नहीं है। वो यहाँ से मात्र 50 मीटर की दूरी पर है।”

पुलिस पर लग रहे झूठे आरोप

राकेश ने आगे बताया, “पुलिस ने तो उस दिन बहुत बड़ी घटना होने से बचाई। उस पर बेवजह झूठा आरोप लगाया जा रहा। बहुत समय से पहुँची थी पुलिस उस दिन। यहाँ डर का माहौल पुलिस से नहीं बल्कि उस भीड़ में शामिल दंगाइयों से है जो हनुमान जयंती के दिन हमला कर दिए थे। जब तक पुलिस तैनात रही तब तक काफी कुछ सही रहा लेकिन पुलिस के हटते ही सड़कों पर कब्ज़े हो गए और पुरानी हरकतें शुरू हो गईं हैं।’

ऑपइंडिया से बात करते स्थानीय निवासी राकेश साहू

हिन्दू दंगाई नहीं बल्कि पीड़ित

द वायर में छपी पुलिस पर एकतरफा कार्रवाई के आरोप पर राकेश साहू ने बताया, “हिन्दू दंगाई नहीं बल्कि पीड़ित है। उसको मारा-पीटा गया और उसको उसकी धार्मिक यात्रा से खदेड़ा गया। यात्रा निकालने वाले भी निहत्थे थे। जबकि उधर से हमलावरों के हाथों में हथियार थे।”

अतिक्रमण कर के तो मस्जिद भी बनी है

अतिक्रमण हटाने के नाम पर बनाए गए माहौल पर राकेश ने बताया, “अतिक्रमण कुछ भी नहीं हट पाया है। जहाँ आज C ब्लॉक मौजूद है उसके कई मकान और यहाँ तक कि मस्जिद भी ग्रीन पट्टी व सरकारी पार्कों की जमीन पर बनी है। B ब्लॉक तक पार्क का वजूद है लेकिन C ब्लॉक के तमाम मकान सरकारी पार्क की जमीन है। मस्जिद तोड़ने के नाम पर बेवजह हो हल्ला मचाया गया जबकि वो अनधिकृत जमीन पर बनी है। उसी मस्जिद के सहारे कई मुस्लिमों ने अनधिकृत घर भी बना डाले।अतिक्रमण हटाने से पहले ही रुकावट डाल दी गई।”

गलत काम करने है इसलिए पुलिस को टारगेट किया जा रहा

राकेश साहू ने बताया, “पुलिस की तैनाती और लगातार मूवमेंट से सड़क पर कब्ज़ा और चोरी-छिनैती जैसे अपराध बंद हो गए थे। इसलिए पुलिस को टारगेट किया जा रहा। इसी वजह से तिरंगा यात्रा में शामिल होने का ढोंग किया गया। तिरंगा यात्रा में पीड़ित हिन्दू शामिल भी नहीं थे। एकाध पंडित जी जैसे लोगों को शामिल करके दिखावा किया गया था। तिरंगा यात्रा से कोई भाईचारा नहीं स्थापित हुआ। ये सिर्फ अपने कारनामों पर पर्दा डालने का प्रयास था और उसी के बाद मास्टरमाइंड तबरेज पकड़ा गया।”

जिस स्थान पर राकेश से बात हो रही थी उसी के बगल गौतम स्टूडियो था। उनकी दुकान बंद थी लेकिन हिंसा में तोड़ी गई उनकी बाइक उसी हालत में अभी तक उसी जगह खड़ी दिखी।

क्षतिग्रस्त बाइक

दंगाई और अपराधी ही पुलिस को गलत बता रहे

G ब्लॉक के निवासी चोखेलाल ने भी इन्ही बातों को दोहराते हुए कहा, “पुलिस ने बहुत अच्छा काम किया। किसी के पलायन जैसी कोई बात नहीं है यहाँ। गलत काम दंगाई ही करते हैं। जो अपराध और दंगे में शामिल है उन्हें जब पुलिस पकड़ रही है तब वो आरोप लगा रहे हैं। हिन्दू समाज में पुलिस का कोई डर नहीं। हिन्दू इस बात से डरा हुआ है कि अगर पुलिस हट गई तो हमारा क्या होगा। अभी परसों पुलिस हटा दी गई और कल ही हमारे इलाके में चोरी हो गई। चोरी एक हिन्दू परिवार में हुई है जो रेहड़ी लगा कर गुजरा करता है। उसका सिलेंडर तक चुरा ले गए। पुलिस हटते ही जैसे पहले सड़कें कब्ज़ा थीं वैसे ही फिर हो गईं।”

ऑपइंडिया से बात करते स्थानीय निवासी चोखेलाल

सन 1976 से बहुत बदल गया माहौल

चोखेलाल ने बताया, “मैं जहाँगीरपुरी में सन 1976 से हूँ। तब इतने घर नहीं थे। 1971 की भारत-पाक लड़ाई के बाद यहाँ बांग्लादेशी आ कर बसे थे। अब पार्कों और सड़कों तक पर कब्ज़ा हो गया है। मस्जिद की जगह पर पहले ग्रीन बेल्ट थी। कब्ज़ा करने वालों ने अपने 25 गज़ के मकान को 50 गज कर बना डाला।”

पुलिस न होती तो हम बच न पते

स्थानीय निवासी मुकेश ने ऑपइंडिया को बताया, “यहाँ से किसी की पलायन आदि की खबरें बकवास हैं। पुलिस पर आरोप भी फर्जी हैं। वो पुलिस ही है जिसने हमें बचा लिया। अगर पुलिस न होती तो हम बच नहीं पाते। यहाँ की पुलिस बहुत अच्छी है उस पर आरोप वही लगा रहे जो चोरी और अन्य अपराधों में शामिल हैं।”

ऑपइंडिया से बात करते स्थानीय निवासी मुकेश

अपराध एकतरफा है तो कार्रवाई दोतरफा कैसे हो

एक अन्य स्थानीय और हनुमान जयंती पर हुई हिंसा के चश्मदीद आकाश ने ऑपइंडिया को बताया, “जो एकतरफा कार्रवाई पर चिल्ला रहे हैं उन्होंने अपराध भी तो एकतरफा किए थे। मुझे हिंसा के आरोपित अंसार ने रोक कर कहा था कि मैं C ब्लॉक वाले रास्ते से नहीं जा सकता। हमलवारों ने पूरी तैयारी से हमला किया था। हमले के दिन पाकिस्तान जिंदाबाद तक बोला गया था। हिन्दू समाज फिर से दुकानें खोल रहा। हिन्दू समाज के लिए पुलिस डर नहीं बल्कि सुरक्षा का भाव है। यहाँ के अधिकतर अपराध बंगाली मुस्लिमों के हैं। पुलिस ने घटना के दिन भी हालत को संभाला था। पुलिस पर तानाशाही और अत्याचार के आरोप झूठे हैं।”

ऑपइंडिया से बात करते स्थानीय निवासी आकाश

जूस की दुकान पर बिकती थी शराब

आकाश ने बताया कि अतिक्रमण विरोधी अभियान के दिन जिस जूस की दुकान का सबसे ज्यादा प्रचार हुआ था वहाँ छिप कर शराब बेचीं जाती थी। जब दूकान तोड़ी गई थी तब उसमें शराब की बोलतें निकली थीं। बगल में बीयर शॉप थी लेकिन जूस के अलग टेस्ट के कारण वो जूस में शराब मिला कर पिलाया करता था। C ब्लॉक की मस्जिद के पास एक पार्क बचा है। वहाँ पर मुस्लिमों ने बड़ा सा छप्पर डाल कर नमाज़ पढ़नी शुरू की थी। अब वहाँ लाइट आदि भी लगा दी गई है। अब वो सरकारी पार्क उनके कब्ज़े में है। अतिक्रमण सिर्फ जिस दिन बुलडोजर चला उसी दिन हटा था। अब फिर वही हालत बन गए हैं। सड़क कूड़े के स्टोर बन चुके हैं।”

मार डालते वो मुझे अगर खुद को न बंद करता तो

धोबी घाट रोड पर पड़ने वाले स्टेट बैंक के ATM पर तैनात सिक्योरिटी गार्ड ने बताया, “मैंने खुद को ATM में बंद कर लिया था। दंगाई बाहर से गेट पीट रहे थे कि निकाल इसे बहन के ** को। इसे मार डालना है। वो हथियारों से लैस थे। मेरी बाहर खड़ी बाइक तोड़ डाली गई। मैं अंदर से ही पुलिस को फोन करके बुलाया। बाद में मैंने उसे 4 हजार रुपए खर्च कर बाइक को बनवाया। अभी भी मैं मस्जिद वाली रोड पर जाता हूँ तो डर लगता है।”

ऑपइंडिया को घटना की जानकारी देता SBI ATM सुरक्षा गार्ड

पैरामिलिट्री ने संभाले थे हालत

धोबीघाट रोड पर गुप्ता जी नाम से प्रसिद्ध एक दुकानदार ने कहा, “अकेले पुलिस के क़ाबू में नहीं आने वाले थे दंगाई। वो तो पैरामिलिट्री ने आ कर हालत काबू किए। मस्जिद वाली रोड पर तमाम मकान सड़कों और सरकारी जमीनों पर कब्ज़ा कर के बने हुए हैं। पुलिस द्वारा हिन्दुओं को परेशान करने वाली बात एकदम गलत है। गड़बड़ और छीना-झपटी करने वालों को पुलिस से दिक्कत है।”

पुलिस हमारी रक्षक

एक अन्य स्थानीय निवासी के मुताबिक, “मेरी बाइक तोड़ दी गई थी। भीड़ मोहल्ले के अंदर आई थी। मेरी स्कूटी को तोड़ दिया गया था। पुलिस से हमें सुरक्षा का भाव आता है। पुलिस से हम लोगों को कोई दिक्कत नहीं है।”

वर्तमान हालात की जानकारी देते एक अन्य स्थानीय

पुलिस का हटना चिंताजनक

G और C ब्लॉक को मिलाने वाले चौराहे पर मौजूद शिवम ने बताया, “पुलिस पर जो भी टॉर्चर के आरोप लगाए जा रहे हैं वो एकदम गलत हैं। अब पुलिस हटाई जा रही है। उसका हटना चिंताजनक है। उस दिन पुलिस थी इसलिए बहुत कुछ बच गया। वर्ना न जाने क्या हो गया होता। उनके (मुस्लिमों) के डरने की बात तो दूर, उनके एक छोटे बच्चे को कोई डाँट भी दे तो एक मिनट में भीड़ इकट्ठा हो जाती है। हिंसा के बाद फ़िलहाल वो चुप हैं लेकिन कब तक चुप रहेंगे ये नहीं कहा जा सकता। ये लोग शाँति चाहते ही नहीं। उन्हें (मुस्लिमों) को किसका डर? डर तो हमें है उनका। जब लड़ाई हुई थी तब यहाँ के हिन्दुओं ने लड़ने के बजाए खुद को घरों में बंद कर लिया था। उधर से तो छोटे-छोटे बच्चे भी हमला करने आ जाते हैं। जबसे बवाल हुआ है तब से सख्ती चल रही है। इस कारण उनके तमाम गलत काम बंद चल रहे हैं।”

ऑपइंडिया से बात करते स्थानीय निवसी शिवम
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राहुल पाण्डेय
राहुल पाण्डेयhttp://www.opindia.com
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।

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